एक अनार तीन बीमार
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणाम आये चार दिन बीत गये हैं। लेकिन सीएम को बनेगा इसके लिये नाम पर मुहर नहीं लगी है। चर्चा है कि मोदी शाह के लिये इतना आसान नहीं हैं। सीएम पद के लिये पूर्व सीएम देवेंद्र फडलणवीस सबसे आगे हैं। वहीं वर्तमान सीएम एकनाथ शिंदे का नाम शिवसेना के नेता और कार्यकर्ता आगे रख रहे हैं। इन दोनों में से एक का नाम तय करना केन्द्रीय भाजपा के लिये आसान नहीं है। भाजपा किसी भी राजनीतिक दल को नाराज नहीं करना चाह रही है। वो शिवसेना को भी साथ रखना चाहती है कारण है कि बीएमसी के चुनाव भी करीब हैं। शिवसेनास की नाराजगी से उन्हें नुकासान उठा पड़ सकता है।
ऐसा ही कुछ हाल एनसीपी का है अजित पवार विधानसभा चुनाव से पहले सीएम पद की रेस में थे। उनका दावा अभी भी बना हुआ है लेकिन वो इतनीउतावली नहीं दिखा रहे हैं। फडणवीस सीएम बनने को काफी व्याकुल दिख रहे हैं। देवेंद्र फडणवीय को आरएसएस का भी समर्थन प्राप्त है। 28 से पहले इस रहस्य पर से पर्दा उठना तय है क्यों कि 28 नवंबर को सीएम पद का शपथ ग्रहण समारोह होना है। इस बात की चर्चा चल रही है कि महायुति के किसी एक दल से पीछा छुडाने का प्रयास करना चाह रही है।
महायुति में सीएम पद को लेकर खींचतान
जबसे चुनाव परिणाम आये हैं तब से महायुति में इस बात की मारामारी हो रही है कि महाराष्ट्र का अगला सीएम कौन होगा। महा भाजपा चाह रही है कि सीएम पद पर देवेंद्र फडणवीस ही चुने जायें। पिछले ढायी साल से वो महायुति सरकार में डिप्टी सीएम बने हुए हैं। ऐसा पहली बार भाजपा ने सत्ता के लिये अपने ही मुख्यमंत्री को डिमोट कर दिया। फडणवीस बड़े ही अनमने ढंग से सरकार में बने हुए हैं। अब की बार वो सीएम बनने के कमर कस चुके हैं। जब शिंदे राज्यपाल को अपना इस्तीफा सौंपने गये तो उनके साथ दोनों उपमुख्य मंत्री फडणवीस और अजित पवार मौजूद थे। लेकिन सबसे ज्यादा जोश में फडणवीस नजर आ रहे थे। वहीं शिदे इस्तीफे के बाद काफी खिन्न दिखे। डिप्अी सीएम अजित पवार बड़े ही शांत भाव से खड़े दिखे। यह बात तो तय है कि सीएम के नाम का ऐलान करने के बाद कुछ न कुछ बड़ा होने की आशंका मानी जा रही है।
बीजेपी ने तैयार किये तीन प्लान
सीएम पद के लिये भाजपा ने रणनीति तय कर ली है। प्लान ए के तहत वो एकनाथ शिंदे और पवार को डिप्टी सीएम बना सकती है। लेकिन वहां समस्या वही आयेगी कि शिंदे सीएम रहने के बाद डिप्टी सीएम बनने को तैयार होंगे कि नहीं। वो फडणवीस की तरह मुख्यमंत्री होने के बाद भी उपमुख्यमंत्री बनने को तैयार हो गये। लेकिन शिंदे की वजह से भाजपा एक बार फिर से महाराष्ट्र की सत्ता पाने में सफल हुए थी। इसलिये शिंदे को भी छोड़ना नहीं चाहते हैं क्यों कि इस बार भी शिवसेना को 55 सीटों पर जीत हासिल की है। आने वाले बीएमसी चुनाव में इसका असर दिखेगा। एकनाथ शिंदे भी सीएम पद पर दोबारा बने रहना चाहते हैं। यही वजह है कि शिवसेना के विधायक और नेता सोशल मीडिया एकनाथ है तो सेफ हैं का नारा बुलंद कर रहे हैं। अजित पवार को भी भाजपा अपने साथ रखना चाहती है। कारण यह है कि एनसीपी के भी 41 विधायक हैं। इस बार अजित पवार के हाथों शरद पवार की पार्टी बुरी तरह मात खा गयी। शिवसेना और यूबीटी शिवसेना को भारी झटका लगा है। बीजेपी का सबसे ज्यादा लाभ हुआ है। चिधानसभा में 132 चिधायक जीत कर आये है। प्लान सी यह है कि जरूरत पड़ी तो वो महायुति के दोनों दलों को साइड लाइन कर निदलियों, छोटे दलों के विधायकों और बागियों के साथ मिल कर सरकार बनाने की योजना बना रही है। इस तरह वो एकनाथ शिंदे और अजित पवार को झटका दे सकती है। लेकिन ऐसा वो सबसे बाद में इसे लागू कर सकती है।
महायुति के दलों की आशंकाएं
शिवसेना और एनसीपी जानती हैं कि मोदी शाह अपने विरोधियों को किस तरह ठिकाने लगाती है। जांच एजेंसियां और सरकारी मशीनरी का बेजा इस्तेमाल करने में केन्द्र की सरकार माहिर है। उन्हें मालूम है कि किस तरह भाजपा ने एनसीपी और शिवसेना को तोड़ा था। अगर एकनाथ शिंदे और अजित पवार ने महायुति अलग होने की सोची तो उनके साथ भी उद्धव ठाकरे और शरद पवार के साथ होने से कोई नहीं बख पायेगा। उन्हें यह भी याद होगा कि महसविकास अघाड़ी सरकार को गिराने के लिये मोदी शाह किस तरह के हथकंडे अपनाये थे।