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How Narendra Modi will handle problems-कितने समय तक चलेगी एनडीए सरकार

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How Narendra Modi will handle problems-कितने समय तक चलेगी एनडीए सरकार

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रजिया फंस गयी गुंडों के बीच
नरेंद्र मोदी चाहते थे कि वो अपनी जीत की हैट्रिक लगायें। लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बनें। ऐसा नहीं कि उनकी मुराद पूरी नहीं हो रही। मुराद तो पूरी हो रही है लेकिन जिन हालात में मोदी के सिर ताज सज रहा है वो काफी जटिल हैं। उनकी सरकार को समर्थन दे रहे दलों ने अब मुंह फाड़ कर अपनी मांगें मोदी के सामने रख दी हैं। नितीश कुमार ने रेलवे मंत्रालय के साथ तीन और मंत्री पद मांगें है। बिहार में नितीश कुमार की वजह से एनडीए ने 16 सीटों पर जीत हासिल की हैं। 12 सांसद जेडीयू के हैं। बिहार में भाजपा को भारी झटका लगा है। बाकी 10 सीटों पर विपक्षी दलों को सफलता मिली है। हालात ये हैं कि मोदी के आगे करो या मरो की दशा है। उनकी हालत सांप छछूंदर की सी हो गयी है। न उगल सकते हैं और न निगल सकते हैं। एक बात तो है कि जितना ऐश नरेंद्र मोदी करना था कर चुके हैं। अब तो उनकी फजीहत होना तय है। दूसरी ओर इंडिया गठबंधन सही समय का इंतजार कर रहा है।

INDIA alliance is being stronger day by day So PM Modi & Shah is very confuse about what to do next
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नितीश कुमार और नायडू तोलमोल पे उतरे
समर्थन देने वाले नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू के रवैये से उनके भी कान खड़े हो गये हैं। नितीश कुमार और नायडू ने जिस तरह मोदी शाह की नाक में दम कर रखा है। वहीं बीजेपी 240 सीटें रख कर खास मंत्रालयों को अपने पास रखना चाहती है। ताकि सरकार और घटक दालों पर नियंत्रण रख सके। यह सुनने में आया है कि नितीश कुमार ने चार कैबिनेट मंत्रियों के साथ लोकसभा स्पीकर की मांग रखी है। इसके साथ बिहार को विशेष राज्य पैकेज भी मांगा है। दिलचस्प बात यह है कि ऐसी ही कुछ है। टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने भी लोकसभा स्पीकर का पद और 5 मंत्री पद मांगें हैं। इसके अलावा छोटे छोटे एनडीए घटक दल एलजेपी, हम पार्टी अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने भी मोदी शाह के आगे मंत्री पद की मांग रखी है। वैसे चिराग पासवान को तो मोदी शाह ने मंत्री बनाने का झांसा एक साल पहले से दे रखा है। इस बार चिराग पासवान का मंत्री बनना तय है लेकिन वो एक और मंत्री पद की डिमांड कर रहे हैं।
डिमांड के आगे झुकेंगे मोदी शाह
इन जटिल हालातों में मोदी शाह कितना आत्मसात करेंगे ये 24 घंटों के भीतर पता चल जायेगा। 9 जून को नरेंद्र मोदी तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने वाले हैं। अभी तो जेडीयू और टीडीपी ने समर्थन पत्र जारी किया है। इस बात का कोई आश्वासन नहीं दिया है कि वो पूरे पांच साल सरकार के समर्थन में रहेंगे। जैसा कि नितीश कुमार का इतिहास देखते आये हैं कि अपने तीस पैंतीस साल के राजनीति कॅरियर में पाला बदलने के लिये जाने जाते हैं। हर बार यह कहते हैं कि वो ताउम्र एनडीए में रहेंगे लेकिन कुछ समय बाद ही पलट जाते हैं। 2022 में एक बार फिर महागठबंधन के साथ हुए और सीएम बने और मोदी शाह को बाय बाय कर दिया। लेकिन तीन माह पहले ही उन्होंने महागठबधन को अंगूठा दिखाते हुए एनडीए के साथ खड़े हो गये। उन्होंने एनडीए के साथ आम चुनाव लड़ा और अपनी उपियोगिता साबित कर दी। आज के समय में जेडीयू और टीडीपी की वजह से ही मोदी सरकार बनने जा रही है।
चंद्रबाबू नायडू को भी मोदी शाह कोस चुके हैं
2014 में आम चुनाव के दौरान चंद्रबाबू नायडू एनडीए के घटक थे। मोदी सरकार में वो सरकार में शामिल थे। लेकिन 2019 के आम चुनाव के समय मोदी और नायडू के बीच अनबन हुई और नायडू ने सरकार से समर्थन वापस ले लिया था। तब मोदी सरकार के मंत्रियों और पार्टी ने उन पर गंभीर आरोप लगाते हुए बदनाम किया था। नायडू ने भी मोदी का आतंकवादी कहा था। मोदी ने उनको अपने ससुर की पीठ में खंजर घोंपने वाला कहा था। ऐसा यह पहली बार नहीं हुआ कि मोदी शाह ने अपने घटक दलों के बारे में अपमान किया है। उसकी फितरत में है कि जब तक उनक साथ कोई है वो तभी तक उसको शरण देते हैं फायदा खत्म होते ही दुश्मन की तरह उससे बर्ताव करते हैं। इसका जीता जागता उदाहरण महाराष्ट्र में शिवसेना और एनसीपी का है जिसे मोदी शाह ने अपने राजनीतिक फायदे के लिये तुड़वा दिया। बिहार की लोक जनशक्ति पार्टी को भी मोदी शाह ने तुड़वाया और अपने साथ में एक धड़े को कर लिया। लेकिन इस समय तो दोनों ही धड़े एनडीए के साथ हैं।

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