Inside Story: मांझी का दाहिना हाथ दानिश रिजवान जिसने दी महागठबंधन छोड़ने की जानकारी, इसकी खादी पर हैं कई दाग


पटना
हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा के राष्ट्रीय प्रवक्ता दानिश रिजवान ने गुरुवार को महागठबंधन से अलग होने की मांझी के फैसले की जानकारी प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाकर दी। यह बात किसी से छिपी नहीं है कि दानिश जीतन राम मांझी के दाहिने हाथ हैं। लेकिन इस दाहिने हाथ की खादी के आस्तीन पर भी कई दाग है। जानिए कब-कब दानिश आए विवादों में…

1- दानिश पहली बार सुर्खियों में तब आए थे, जब आरा के मशहूर कारोबारी और भू माफिया कृष्णा सिंह की 2 जुलाई 2017 को दिनदहाड़े नगर थाना क्षेत्र के पड़ाव मोड़ पर गोली मार हत्या कर दी गयी थी। इस मामले में दानिश समेत दस लोगों के खिलाफ नामजद मुकदमा दर्ज किया गया था।

2- आरा के मशहूर चर्च और मदरसे की जमीन के घोटाले में भी दानिश का नाम आया था। हालांकि इस मामले में दानिश ने तत्कालीन डीएम संजीव कुमार पर बदले की भावना से मुकदमा दर्ज कराने का आरोप लगाया था।

3- भोजपुर के पूर्व डीएम और उनके पिता के खिलाफ आपत्तिजनक खबर पोस्ट करने में भी हम के राष्ट्रीय प्रवक्ता कानूनी पचड़े में फंसे थे। मई 2019 में हम प्रवक्ता दानिश रिजवान के खिलाफ आरा के नवादा थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। आरा सदर अनुमंडल के तत्कालीन कार्यपालक दंडाधिकारी विनोद कुमार सिन्हा ने एफआईआर दर्ज कराई थी और उसमें हम प्रवक्ता पर जिला प्रशासन की छवि धूमिल करने, वरीय अधिकारी को मानसिक रूप से प्रताड़ित करने और सरकारी कार्य में बाधा डालने का आरोप लगाया गया था। आरोप में कहा गया था कि ‘हम प्रवक्ता के खिलाफ जिले में हत्या, रंगदारी व जमीन कब्जे से संबंधित मामले दर्ज हैं। उनकी सांठगांठ अफराधियों व भू-माफियाओं से है। इस कारण उनके हथियार का पिछले साल लाइसेंस कैंसिल कर दिये गये हैं। उस लाइसेंस को फिर से प्राप्त करने के लिए प्रवक्ता द्वारा जिला प्रशासन पर काफी दिनों से दबाव बनाया जा रहा था। साथ ही प्रशासन की छवि धूमिल करने का भी प्रयास किया जा रहा था। इस बीच 29 मई को डीएम के तबादले की अधिसूचना जारी हो गयी। इसके बाद प्रवक्ता उत्साहित हो गये और अन्य अफसरों पर दबाव बनाने में जुट गये। इसी क्रम में उनके द्वारा डीएम के खिलाफ बिना किसी साक्ष्य व प्रमाण के गलत आरोप लगा दिये गये। इससे प्रशासन की छवि धूमिल हो रही है।’

हालांकि हम प्रवक्ता ने प्रशासन की छवि धूमिल करने संबंधी आरोप को गलत बताया था। उन्होंने कहा था कि चर्च की जमीन में गड़बड़ी की शिकायत मिली थी। समाजसेवी होने के नाते इस मामले को लेकर शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि पूर्व डीएम संजीव कुमार के दबाव पर उनके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी।



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