#Mahayuti Govt.# Maharashtra Politics# CM Devendra fadanvis issues# Dy CM Eknath Shinde issues# Dy CM Ajit pawar updates# MVA Updates# NCP Sharad Pawar# Sivsena UBT# Election Commission# RSS with Yogi#

लगभग 11 दिन बाद आखिरकार महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बन गयी और देवेंद्र फडणवीस तीसरी बार सीएम बन गया हैं। वहीं पूर्व सीएम अब उसी सरकार में डिप्टी पद पर डिमोट कर दिये गये हैं। इससे पहले महाराष्ट्र के पूर्व सीएम एकनाथ शिंदे सरकार में डिप्टी बनाये गये थे। आज महाराष्ट्र में इतिहास दोहराया गया है। सरकार तो बन गयी लेकिन कितने दिनों तक टिकेगी यह भगवान भी नहीं जानता है। राजनीति में सत्ता के लिये नेता कब तक किसी गठबंधन में रहता है। सत्ता छिनने के बाद वो कब तक साथ देता है इसका कोई भरोसा नहीं।
विश्वसनीय नहीं हैं शिंदे और अजित पवार
अगर ​इतिहास उठा कर देखें तो पता चलता है कि अजित पवार सत्ता के लिये कुछ भी कर सकते हैं। 2019 के चुनाव के बाद जब सरकार नहीं बन पा रही थी। ऐसे में अजित पवार ने एनसीपी के बागी बन कर देवेंद्र फडणवीस से मिले और उन्हें विश्वास दिलाया कि उनके साथ लगभग 30 विधायक हैं जो समर्थन देकर सरकार बनवा सकते हैं। तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने सुबह पांच बजे देवेंद्र फडणवीस और अजित पवार को राजभवन बुला कर सीएम पद की शपथ दिला दी। लेकिन बाद में सुप्रीम कोर्ट में मामला जाने से सरकार दो तीन दिनों के भीतर गिर गयी। अजित पवार पर भाजपा पहले घोटालेबाज का आरोप लगाती रही हैं। केन्द्रीय जांच एजेंसियों ने अजित पवार के खिलाफ 70 हजार करोड़ के सिंचाई घोटाले का मामला दर्ज किया था। पीएम मोदी ने आम चुनाव के दौरान अजित पवार को भ्रष्टाचारी बताते हुए नेशनल करप्ट पार्टी कहा था। उसके कुछ दिन बाद ही अजित पवार एनसीपी तोड़ कर महायुति सरकार कर में वित्त मंत्रालय के साथ उपमुख्यमंत्री बना दिये गये।
शिंदे कब तक महायुति में रहेंगे
सीएम पद की शपथ लेने के बाद से सरकार हिचकोले लेने लगी है। नयी ​सरकार में डिप्टी सीएम शिंदे ने कह दिया कि उसे होम मिनिसट्री तो चाहिये ही। इसके साथ ही मंत्रालयों के लिये भी खींचतान होने लगी है। महायुति के दूसरे घटक दल एनसीपी ने भी सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है। मंत्रालयों के बंटवारे को लेकर घटक दालों में खींचतान होने लगी है। ​शिंदे दल ने साफ कर दिया है कि उसे एनसीपी से अधिक मंत्रालय चाहिये क्यों कि उसके पास उससे अधिक विधायक हैं। यह भी चर्चा है कि गृह मंत्रालय के साथ शिंदे ने वित्त मंत्रालय भी मांगा है। एकनाथ शिंदे अपनी महत्वकांक्षा के चलते जब शिवसेना को तोड़ सकते हैं तो महायुति क्या महत्व रखती है। महत्व तो सिर्फ पावर का है। इस बात की क्या गारंटी कि शिंदे को गृहमंत्रालय व वित्त नहीं मिला तो वो महायुति में बने रहेंगे।
संघ ने फडणवीस को बनवाया सीएम
चर्चा तो यह है कि मोदी शाह देवेंद्र फडणवीस को सीएम बनाने के पक्ष में नहीं थे। उसका कारण फडणवीस का संघ का करीबी होना बताया जा रहा है। महाराष्ट्र में संघ ने चुनाव जिताने में काफी मशक्कत की थी। इसका असर विधानसभा चुनाव के परिणामों देखने को मिला भी। लाड़ली बहना योजना का असर भी माना जा सकता है। मध्यप्रदेश में इसी योजना के चलते भाजपा ने चुनाव प्रचंड बहुमत से जीता था। इसी को प्रयोग के रूप में भाजपा ने महाराष्ट्र में किया। चुनाव आयोग ने हरियाणा के साथ चुनाव कर के भाजपा को मदद की। इस बीच एकनाथ सरकार ने प्रदेश की महिलाओं के खातों में चार माह की किश्तों को डाल दिया। 50 लाख से अधिक महिलाओं ने महायुति के उम्मीदवारों को जिताने में योगदान किया। संघ ने भी देवेंद्र फडणवीस को जिताने में पूरा दम खम लगा दिया। केन्द्रीय भाजपा तो किसी मराठा या दक्षिण महाराष्ट्र के नेता को सीएम बनाना चाहता था।
संघ और भाजपा सरकार के बीच रार
यह बात किसी से छिपी नहीं है कि मोदी शाह जिस ढंग से केन्द्र सरकार को हांक रहे थे उससे संघ सहमत नहींं था। लोकसभा चुनाव के परिणाम आने के बाद खुल कर सामने आ गया था। संघ प्रमुख ने चुनाव परिणाम आने के एक दो दिन बाद मोहन भागवत ने परोक्ष रूप से मोदी पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकार को विपक्ष के साथा दुश्मनों जैसे बर्ताव नहीं करना चाहिये। संसद में एक सत्ता पक्ष होता है दूसरी ओर प्रतिपक्ष होता है। संघ प्रमुख ने मोदी के पुजारी के रूप में अयोध्या में राम मंदिर लोकार्पण के समय निशाना साधा था। उनका कहना था कि देश के प्रधानमंत्री को मंदिर पुजारी नहीं बनना चाहिये था। आम चुनाव के दौरान भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने एक सभा में कह कर चौंका दिया था कि अब भाजपा अपने पैरों पर खड़ी हो चुकी है। उसे संघ की कोई जरूरत नहीं है। इस बात से संघ काफी खफा हुआ। उसने तभी सोच लिया था कि वो अब भाजपा के संगठन और स्वरूप में आमूल चूल परिवर्तन करना जरूरी है। भाजपा अध्यक्ष पद पर किस नेता को चुना जायेगा इसकी जिम्मेदारी संघ पर है। यह बात तो तय है कि जो अध्यक्ष बनेगा वो मोदी शाह कैंप का तो कतई नहीं होगा। हाल में ही विश्व हिन्दू परिषद के प्रवीण तोगड़िया और पूर्व भाजपा नेता संजय जोशी ने संघ प्रमुख मोहन भागवत से बैठकें की हैं। ये इस बात का संकेत है कि आने वाले समय में भाजपा में भारी परिवर्तन होने वाला है।
संघ ने योगी का साथ खुलकर दिया था
आम चुनाव के परिणाम के बाद यूपी में सीएम योगी के खिलाफ भी केन्द्र के इशारों पर साजिश रची जा रही थी। सरकार दो हिस्सों बंट गयी थी। ऐसे में संघ एकजुट हो कर योगी के साथ पूरी ताकत से खड़ी हो गयी। जिससे योगी ने काफी मजबूती से विरोधियों को चित कर दिया था। संघ के दखल के बाद यूपी में भाजपा का असंतोष खत्म किया जा सका। उसके बाद ही उपचुनाव में भाजपा ने सात सीटों पर जीत ​हासिल की। अब योगी यूपी में काफी मजबूत स्थिति में आ गये हैं। बागियों के तेवर अब शांत हो गये हैं। बागियों को​ दिल्ली दरबार शह मिली हुई थी। यह योजना था कि बागियों के जरिये मोदी शाह वहां गुजात का कोई खास नेता बुला कर यूपी पर अपना कब्जा जमा लिया जाये। लेकिन संघ के मैदान में उतरने से मोदी शाह की चाल सफल नहीं हो सकी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here