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लोकसभा चुनाव 2024 के रिजल्ट आ गये हैं। बीजेपी सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है लेकिन वो पूर्ण बहुमत की सरकार अपने बल पर बनाने से चूक रही है। जो भाजपा रिजल्ट आने से पहले 370 पार आने की बात कर रही थी। वो 240 सीट तक पहुंचने में विफल रही है। ऐसे में उसे अपने सहयोगी दलों की बैसाखी का सहारा लेना पड़ रहा है। इस समय सरकार बनाने का दारोमदार नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू पर आ गया है। दोनों ही दल एनडीए के सहयोगी दल हैं। ये दोनों ही एनडीए के साथ पहले भी रह चुके हैं। लेकिन ये बात भी याद रखना होगा कि दोनों नेताओं के साथ मोदी शाह ने बेवफाई की है। आज ऐसे हालात हैं कि मोदी शाह बिना जेडीयू और टीडीपी के सरकार की कल्पना भी नहीं कर सकते हैं। नितीश कुमार तो कई बार एनडीए के साथ रहे हैं और अलग भी रह चुके हैं। इस लोकसभा चुनाव से ठीक पहले नितीश कुमार महागठबंधन सरकार छोड़ कर एनडीए में शामिल हुए हैं। दिलचस्प बात यह है कि नितीश और चंद्रबाबू नायडू भी मोदी शाह की तरह मौका परस्त हैं। मौका देख कर पाला बदलने में माहिर हैं।

जेडीयू और एलजेपी व टीडीपी को ठग चुके हैं मोदी शाह
पिछले 20 सालों में कई बार नितीश कुमार एनडीए भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सीएम बन चुके हैं। ये भी सही है कि पिछले दो दशकों से बिहार में सीएम बने हुए है। इस बात को बिहार में लोग समझ चुके हैं कि गठबंधन किसी के साथ हो सीएम नितीश कुमार ही रहेंगे। इस बात से बहुत से लोग उन्हें पल्टूराम की कहने से नहीं चूकते है। ये बात नहीं है कि नितीश कुमार बीजेपी के मंशा को जानते नहीं हैं कि जेडीयू का वजूद मोदी शाह को खटकता है। कई बार मोदी शाह ने उनकी पार्टी को तोड़ने की साजिश रची है लेकिन नितीश कुमार की चतुरायी और सजगता से पार्टी टूटने से रह गयी। लेकिन रामविलास पासवान की लोजपा को तोड़ने में भाजपा सफल रही। मोदी शाह ने चिराग पासवान और उनके चचा पशुपति पारस के बीच फूट डलवा कर पार्टी को तोड़ दिया। पशुपति पारस के साथ पांच सांसद थे वो सरकार के साथ हो लिये। मोदी सरकार में पशुपति पारस को मंत्री पद मिला साथ ही एलजेपी का स्वामित्व भी मिला चिराग से उनके पिता का दिल्ली वाला बंगला भी सरकार ने खाली करवा लिया। चिराग अपने को मोदी का हनुमान कहते थे लेकिन बुरे वक्त में मोदी ने उनको मदद करने बजाय मुंह मोड़ लिया। लेकिन ठीक चुनाव से दस माह पूर्व चिराग पासवान को अपने खेमे में कर मोदी शाह ने ये सिद्ध कर दिया कि वो किसी के भी सगे नहीं हैं। ठीक चुनाव से पहले टिकट वितरण करते वक्त केन्द्रीय मंत्री पशुपति पारस का हाथ झटकते हुए चिराग पासवान को गोद में बिठा लिया। चिराग पासवान को पांच टिकट दी और पशुपति पारस को पैदल कर दिया।
किसी की सगे नहीं है मोदी शाह
टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू 2014 में एनडीए के साथ थे लेकिन 2019 के आम चुनाव के ठीक पहले उन्होंने एनडीए का साथ छोड़ दिया था। एनडीए से अलग होते ही भाजपा के आईटी सेल ने उनके विरुद्ध अभियान छेड़ दिया था। उन पर भ्रष्टाचार के आरोप भी लगाये गये। आन्ध्र प्रदेश वायसीआर की सरकार थी जिसकी कमान जगनमोहन रेड्डी के हाथों में थी। इस बार के आम चुनाव के साथ विधानसभा के भी चुनाव हुए। पिछले दस सालों से जगनमोहन की सरकार आन्ध्र में थी। लेकिन इस बार टीडीपी के हाथों जगन मोहन को करारी हार देखनी पड़ी है। लोकसभा चुनाव के ठीक पहले टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू को धोखाधड़ी के आरोप में आंध्र पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। काफी समय तक नायडू को जेल में रहना पड़ा था। चर्चा इस बात की थी कि एनडीए में रहने के लिये नायडू और रेड्डी के बीच तनातनी चल रही थी। जगन मोहन नहीं चाहता था कि नायडू की नजदीकियां मोदी शाह के साथ बढ़ें। इसलिये आन्ध्र पुलिस ने नायडू पर कार्रवाई की थी। उस वक्त तक एनडीए की दिलचस्पी रेड्डी के साथ रहने की थी। वैसे मोदी शाह चाहते तो नायडू को पुलिस की कार्रवाई से बचा सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया और नायडू को जेल जाना पड़ा था। लेकिन आज हालात बिल्कुल उलट हैं। मोदी शाह को नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू अपने साथ रखने की मजबूरी है। इन दोनों के बिना मोदी तीसरी बार पीएम नहीं बन सकते हैं। पिछले 9 सालों में मोदी शाह ने एनडीए के दलों की सुध नहीं ली लेकिन जब हालात गंभीर हुए तो वो ऐसे ऐसे दलों को साथ लाने को बेताब हो गये जिनका एक भी विधायक और सांसद नहीं है