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कुख्यात पिंटू महरा क्यों चर्चा में आया?
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने कुम्भ सपंन्न होने के बाद विधानसभा में अपनी सरकार और अधिकारियों की पीठ थपथपाते हुए यह कहा कि महाकुंभ सकुशल संपन्न होने से विपक्षी दलों के पेट में दर्द उठ रहा है। इस आयोजन में कोई भी बड़ी समस्या या दुर्घटना नहीं हुई।

Modi Shah & yogi are so upset about next Gen. elections due to failior of delivery in UP
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इस आयोजन से बिजनेसमैन को बिजनेस, सनातनियों को पुण्य, स्थानीय दुकानदारों को व्यवसाय और धर्म का प्रचार प्रसार हुआ। जिन लोगों को सिर्फ कमियां दिखी वो उनकी घटिया सोच का परिणाम है। सीएम योगी ने इस बात पर कोई टिप्पणी नहीं कि आयोजन स्थल में जो अनेक बार आगजनी हुई। भगदड़ में हुई मौतों के कारण क्या थे इसकी चर्चा नहीं थी। आम जनता को अव्यवस्था के चलते कितनी वेदना सहनी पड़ी, असहाय और गरीब बुजुर्गों को पच्चीसियों किमी पैदल चलना पड़ा। इन सब बातों को योगी ने भुला दिया। याद रहा तो महाकुंभ की भव्यता और विशालता। प्रशानिक अमला वीआईपी के आतिथ्य और सेवा टहल में जुटा रहा। उसे जनसामान्य आस्थावान लोगों की समस्याओं व परेशानियों से कोई वास्ता नहीं था।
योगी ने सिर्फ सफलता का जिक्र किया मोतों व समस्याओं को पचा गये
एक दिलचस्प बात यह रही कि योगी ने अपने भाषण में एक नाविक के बारे में जरूर जिक्र किया और बताया कि उसके परिवार ने 45 दिनों में 30 करोड़ का मुनाफा कमाया है। उन्होंने यह भी बताया कि उसके पास 130 नावें है। हर नाव ने प्रति दिन लाखों में कमाई की। इसे बता कर सीएम योगी जनता को क्या संदेश देना चाहते थे यह वहीं बता सकते हैं। योगी ने यह नहीं बताया कि इन 130 नावों की कमाई से करोड़ का राजस्व भी वसूला जा रहा है। लेकिन कुछ लोग उस नाविक के बारे चर्चा कर रहे हैं कि वो नाविक कुख्यात बदमाश है जिसके पिता और भाई भी कुख्यात बदमाश थे। पूरे परिवार समेत पिंटू पर हत्या डकैती लूटमार के मुकदमें आज भी अदालतों में चल रहे हैं। उनका परिवार अपनी दबंगई और गुंडई से इलाके में दहशत फैला कर अवैध कामों में संलिप्त रहा है।
पिंटू को मिल सकता है विधानसभा चुनाव का टिकट
जिस तरह से योगी आदित्यनाथ पिंटू महरा की शान में कसीदे पढ़ रहे हैं उससे साफ हो रहा है कि वो जल्द ही पिंटू को भाजपा में शामिल करा लेंगे। भाजपा के बारे में एक बात सच है कि वो ऐसे कुख्यात और संपन्न लोगों को पार्टी में शामिल करने में देर नहीं लगाती है। यूपी में अब चुनाव की तैयारी भाजपा ने शुरू कर दी है। पिछले विधान सभा में भाजपा की सरकार तो बन गयी लेकिन उनकी सीटों में कामी आ गयी। लोकसभा चुनाव में भाजपा की सरकार होने के बाद भी काफी नुकसान हआ। 62 सीटों से घट कर 33 पर भाजपा सिमट गयी थी। समाजवादी पार्टी भी विधानसभा की तैयारी में जुट गयी है। लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव के नेतृत्व में इतिहास रचते हुए 37 सीटो पर जीत हासिल की है। अब अखिलेश यादव की निगाहें 2027 के विधानसभा चुनाव पर टिकी हैं।
महाकुंभ आयोजन के दौरान भ्रष्टाचार का बोलबाला
पूरा डेढ माह तक महाकुंभ का आयोजन प्रयागराज में संपन्न हुआ इस दौरान वीआईपी कल्चर देखने को मिला। देश भर से भारी संख्या में गणमान्य लोगों के साथ उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, लोकसभा अध्यक्ष,पीम मोदी अमित शाह समेत भाजपा नताओं के लिये भारी सुरक्षा व्यवस्था की गयी थी। जनसामान्य के लिये परेशानियों और समस्याओं का अंबार रहा। सबसे ज्यादा समस्या तो महिलाओं और बुजुर्गों के लिये थे। महिलाओं के लिये सबसे बड़ी समस्या तो नहाने और शौचालयों की थी। महिलाओं इतनी अव्यवस्था और कुप्रबंधन का सामना करना पड़ा। कुछ महिलाओं ने तो नहाने के लिये बनाये गये टेंट में छुप कर बैठे एक तथाकथित साधू को वीडियो बनाते पकड़ कर पुलिस के हवाले किया था। यह साफ दिखा कि महाकुंभ में आम आदमी को हर जगह लूटने की तैयारी थी। धार्मिक आयोजन के नाम पर मेले में लूट का माहौल था। धर्म के नाम लोगों की जेबों पर डाका डाला गया। आटो रिक्शा, हाथ रिक्शा, रेहड़ी, बैट्री रिक्शा चालकों ने जमकर आस्थावान लोगों को अपना शिकार बनाया। दिलचस्प बात यह है कि यूपी सरकार ने धर्मिक आयोजन के नाम पर देशभर से आये करोड़ों लोगों की जेब को काटने का काम किया। इतना ही नहीं अपनी सरकार का खजाना भी भरा है। मालूम हो कि यूपी की वर्तमान सरकार पर 9 लाख करोड़ का कर्ज है। ऐसे आयोजन के नाम पर वो देश की जनता को अपनी लूट का निशान बना रही है।
कुख्यात पिंटू महरा व परिवार का काला इतिहास
पिंटू महरा के खिलाफ गंभीर धाराओं में 21 आपराधिक मुकदमे हैं दर्ज आपको जानकर हैरानी होगी कि नाविक परिवार के मुखिया पिंटू महरा के खिलाफ गंभीर धाराओं में 21 आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं। यही नहीं उसके खिलाफ 2 बार गुंडा एक्ट और गैंगस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की जा चुकी है. नाविक पिंटू महरा के परिवार का पुराना आपराधिक इतिहास रहा है. परिवार के पांच सदस्यों की दबंगई और वर्चस्व की लड़ाई में हत्या भी हो चुकी है. आसपास के इलाके में परिवार की छवि दबंगों और माफिया जैसी है.
कई बार जेल जा चुका है पिंटू
इस नाविक परिवार के मुखिया पिंटू महरा के खिलाफ पहला केस 2005 में दर्ज हुआ था, जब इसकी उम्र महज 23 साल थी। पिंटू के खिलाफ 21 मामलों में हत्या, हत्या के प्रयास, रंगदारी मांगने जैसे गंभीर क्रिमिनल केस दर्ज हैं। साल 2010 और 2016 में इसके खिलाफ गैंग्स्टर एक्ट के तहत कार्रवाई की गई। इसके अलावा 2013 और 2015 में गुंडा एक्ट के तहत केस दर्ज हुआ। पिंटू महरा कई बार जेल जा चुका है और कई सालों तक जेल में रहने के बाद वो कुछ महीने पहले ही जमानत पर बाहर आया है। आरोप है कि जेल में रहते हुए भी वो लोगों को धमकाने का काम करता था, इसके चलते उसकी जेल भी बदली गई थी. इसकी हिस्ट्री शीट प्रयागराज के नैनी थाने में खुली हुई है, अकेले पिंटू महारा नहीं बल्कि इसके पिता से लेकर भाई तक सबकी क्राइम प्रोफाइल रही है।
पिंटू का पिता राम सहारे उर्फ बच्चा महरा भी शातिर अपराधी
नाविक पिंटू महरा की क्राइम वाली कहानी सिर्फ इतनी भर नहीं हैं। पिंटू का पिता राम सहारे उर्फ बच्चा महरा भी शातिर अपराधी था। बच्चा महरा की मौत जेल में रहते हुए 25 जून 2018 को हुई थी। पिंटू का बड़ा भाई आनंद महरा भी शातिर अपराधी और हिस्ट्रीशीटर था। रंगदारी और वसूली को लेकर हुए विवाद में कुछ साल पहले उसकी हत्या दो अन्य लोगों के साथ कर दी गई थी। पिंटू महरा का एक और भाई अरविंद महरा है, वो भी हार्डकोर क्रिमिनल है। जेल जा चुका है और जमानत पर छूटा हुआ है।
संगम किनारे एक पूरा बोट रैकेट चलाता पिंटू
इसके अलावा ये पिंटू प्रयागराज में संगम किनारे एक पूरा बोट रैकेट चलाता है। नाव चलाना सिर्फ इसका दिखावा है बल्कि इसका असल काम नाव चलाने वालों से रंगदारी वसूलना है। आतंक ऐसा है कि बिना इस परिवार की मर्जी के कोई अपनी नाव लहरों में उतार भी नहीं सकता। पिंटू महरा का साम्राज्य कितना बड़ा है। इसका अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि ये परिवार कुंभ और माघ मेलों में चेकर्ड प्लेटें यानि लोहे की प्लेट की सड़कें बनाने और बिजली के सबस्टेशन तैयार करने और लाइन बिछाने का काम भी करता है। पिंटू महरा की मां शुक्लावती देवी बिजली विभाग की रजिस्टर्ड ठेकेदार हैं। अब आपके लिए नाविक पिंटू के 30 करोड़ कमाने का राज ते हैं।
एक नाव से रोजाना 6400 रुपये की कमाई
महाकुंभ के दौरान प्रयागराज मेला प्राधिकरण ने अलग अलग घाटों से संगम तक जाने का किराया 75 से 160 रुपये तय किया था. एक नाव पर दो चालकों के साथ अधिकतम आठ लोग ही बैठ सकते थे। महाकुंभ के दौरान कई दिन नावों का संचालन बंद भी था. अगर मान लिया जाए कि महरा की कुल 130 नावों ने रोजाना संगम के आठ चक्कर लगाए. हर बार अधिकतम आठ श्रद्धालु बैठे और सभी ने औसतन सौ रुपये किराया दिया तो इस हिसाब से एक नाव से रोजाना 6400 रुपये की कमाई हुई.
आस्थावान को लूट खसोट कर कमाये 30 करोड़
इस तरह 130 नावों से पूरे महाकुंभ के दौरान अधिकतम 3 करोड़ 74 लाख 40 हजार रुपये की ही कमाई संभव है। यानि सरकारी रेट पर 30 करोड़ की कमाई मुमकिन नहीं है। ये तब ही संभव है जब श्रद्धालुओं से मनमाने ढंग से मोटी रकम वसूल की गई हो। हालांकि पिंटू का परिवार कह रहा है कि श्रद्धालुओं ने खुश होकर जो टिप या बख्शीश दी है, वो भी इसमें शामिल है।

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