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पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और एमपी लॉकेट चटर्जी के बीच जोरदार ठन गयी है। दिलीप घोष को लॉकेट चटर्जी का वो बयान खटक गया कि उन्होंने आत्ममंथन पर जोर देते हुए ममता सरकार कोसने से दूर रहने को कहा था। इस पर घोष ने कहा कि केन्द्रीय नेतृत्व को ज्ञान देने से जरूरी है कि क्षेत्र में काम किया जाये। लेकिन प्रदेश स्तरीय नेताओं ने काम नहीं किया और दोष केन्द्रीय नेतृत्व पर मढ़ रहे हैं। अगर नेता क्षेत्र में काम करते तो नगर निकाय और उपचुनावों में परिवर्तन कर सकते थे। वैसे तो गोदी मीडिया ने बीजेपी को वहां जिता ही दिया था लेकिन परिणाम आये तो बीजेपी को मुंह की खानी पड़ी। ठीक ऐसा ही हाल यूपी चुनावों के ऐग्जिट पोल में बीजेपी को सरकार में दोबारा आता दिखा रहे हैं।
पिछले साल पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी ने शानदार ढंग से सत्ता प्राप्त की। भाजपा को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा। लगभग दस माह बाद भाजपा में भी अंदरूनी कलह सामने आ रही है। नेता और कार्यकर्ता सबके सब तपे बैठे हैं। ऐसे में शीर्ष नेतृत्व सिर्फ ज्ञान बांट रहा है। पूर्व प्रदेश अध्यक्ष दिलीप घोष और बीजेपी एमपी लॉकेट चटर्जी के बीच तूतू मैं मैं भी हो गयी।
हाल ही में हुए निकाय चुनाव व उपचुनावों में एक बार ममता दीदी का जलवा बरकरार रहा जिससे भाजपा को जोरदार झटका मिला। भाजपा कोे इन चुनावों में कुछ भी हाथ नही लगा। प.बगाल में भाजपा को भारी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। केन्द्रीय नेतृत्व के बड़बोलेपन और नकारात्मक प्रचार के चलते ममता दीदी के पक्ष में जनता आ गयी और बीजेपी को बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा। ऐसा ही कुछ भाजपा ने दिल्ली विधानसभा चुनाव के दौरान अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को बीजेपी और आरएसएस ने भरभर का गालियां दी और जिसका फायदा आम आदमी पार्टी को मिला। भाजपा तीसरी बार आम आदमी पार्टी से हार गयी।