किसानों और सरकार के बीच 11वें दौर की बैठक भी बिना किसी नतीजे के खत्म हो गयी। सरकार के मंत्रियों ने एक बार फिर किसानों को समझाने का काफी प्रयास कि नये कृषि कानून किसानों के हित में ही हैं इससे बेहतर हम कुछ भी नहीं कर सकते है। इस पर किसान संगठनों ने कनूनों को रद करने की मांग दोहरायी। केन्द्रीय मंत्रियों नरेंद्र सिंह तोमर और पीयूष गोयल ने कहा कि अगर आप कानून रद करने के अलावा कुछ और योजना व प्रस्ताव लाते हैं तो आगे की बैठक में विचार किया जा सकता है। लेकिन किसान संगठन अपनी मांग पर डटे रहे। सरकार ने साथ ये भी कहा कि एमएसपी पर एक कमेटी का भी गठन कर सकते हैं। इस पर किसान संगठनों ने कहा कि कमेटी के गठन प्रस्ताव पर उन्हें कोई विश्वास नहीं कमेटियां बनती हैं सरकारें उससे सहमत नहीं होती हैं और मांगें पूरी नहीं होती है। हमें एमएसपी पर कमेटी नहीं कानून चाहिये।
जैसे कि सबको मालूम है कि पिछले लभग दो माह से हजारोंकी संख्या में लि्ी बार्डर पर डटे हुए हैं। दिल्ली में वो प्रवेश करना चाह रहे थे लेकिन दिल्ली पुलिस ने उन्हें ऐसा करने से रोक दिया। दिन ब दिन किसानों का प्रदर्शन उग्र होता जा रहा है। इस बीच 60 से अधिक किसान आंदोलन शहीद हो गये लेकिन सरकार ने इन मौतों पर कोई शेक संदेश नहीं दिया। बल्कि बीजेपी के नेता और सरकार के मंत्रियों ने आंदोलन कर रहे किसानों को देश द्रोही, आतंकवादी, खालिस्तानी और चीन पाकिस्तान के एजेंट तक कह डाला था। इससे भी किसान संगठन काफी आहत हुए। इस बात से सेना में तैनात फौजी जवानों में काफी रोष हुआ और उन्होंने किसानों के समर्थन कर दिया। भूतपूर्व सैनिकों ने भी किसानों को समर्थन देते हुए हौसला बढा दिया है। किसान संगठनों को मिलते जनसमर्थन से सरकार की परेशानियां बढ़ गयी हैं। किसान संगठनों ने 26 जनवरी के दिन किसान टै्रक्टर जागरूकता रैली का ऐलान कर दिया है। इससे सरकार की किरकिरी हो रही है।