Edited By Sudhakar Singh | टाइम्स न्यूज नेटवर्क | Updated:

भारत-चीन विवाद: पीएम मोदी की चीन को चेतावनी
हाइलाइट्स

  • चीन-भारत के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा पर तनाव पांच दशकों के चरम पर
  • भारतीय सेना के पास 45 जरूरी साजो-सामान की कमी, ओएफबी से की मांग
  • गोला-बारूद, ठंडे इलाकों में जरूरी गर्म कपड़े और पैराशूट जैसी चीजें शामिल
  • गलवान घाटी में चीन और भारतीय सेना की हुई थी झड़प, 20 जवान हुए शहीद

चेतन कुमार, नई दिल्ली

लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर भारत और चीन की सेनाएं आमने-सामने हैं। इस बीच खबर है कि सेना के पास 45 जरूरी साजो-सामान की अभी कमी हो गई है। इस लिस्ट में कई तरह के गोला-बारूद, लद्दाख जैसे ठंडे इलाकों में रहने के लिए गर्म कपड़े और पैराशूट शामिल हैं। बताते चलें कि गलवान घाटी में चीनी सेना से झड़प में 20 भारतीय जवान शहीद हो गए थे। इस दौरान 40 चीनी सैनिकों के भी हताहत होने की बात मीडिया रिपोर्ट में सामने आई थी।

सेना ने डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रॉडक्शन (डीडीपी) के जरिए ऑर्डनेंस फैक्ट्री बोर्ड (ओएफबी) से इन जरूरी सामानों की सप्लाई सुनिश्चित करने की मांग की है। यह ऐसे दौर में है जब जुलाई में ओएफबी के 80 हजार कर्मचारियों ने बेमियादी हड़ताल पर जाने की चेतावनी दी है।

हमारे सहयोगी अखबार टाइम्स ऑफ इंडिया ने डीडीपी के दस्तावेजों की पड़ताल में पाया कि इन जरूरी चीजों में से 20 गोला-बारूद से जुड़ी हैं। ये 10 दिनों से कम यानी 10(I) लेवल से नीचे हैं। इसका मतलब है कि 10 दिन की भीषण लड़ाई के उनका वर्तमान स्टॉक पर्याप्त नहीं है। इन 20 आइटम्स में से पांच गोला-बारूद ऐसे हैं, जो सेना को आर्डनेंस फैक्ट्री से मिलते हैं। इसके साथ ही इन्हें आयात करना पड़ता है लेकिन अभी स्टॉक जरूरी सीमा के मुताबिक नहीं है।

पढ़ें: चीन पर करगिल जैसा ऐक्शन चाहती है सेना

दूसरी 21 चीजों के बारे में सेना का कहना है, ‘सामान्य सप्लाई अगर बाधित होती है तो ये आइटम बहुत मुश्किल से मिल सकेंगे। इनमें कॉम्बैट ड्रेस, कोट ईसीसी (भीषण ठंड के लिए जरूरी कोट), पॉन्चो (कंबल जैसा लबादा) और ग्लेशियर के लिए कैप, सप्लाई गिराने वाले उपकरण और पैराशूट शामिल हैं।’

चीन को सबक सिखाने गूगल पर ये क्या सर्च कर रहे भारतीय?चीन को सबक सिखाने गूगल पर ये क्या सर्च कर रहे भारतीय?चीन की कायराना हरकत का बदला लेने के लिए भारत के आम लोग भी अब तैयार हो रहे हैं। कोरोनावायरस के इस संकट के दौर में चीन ने भारत पर हमला करके सैन्‍य के साथ-साथ आर्थिक मुसीबत भी मोल ले ली है।

इसके साथ ही डीडीपी ने तीन आर्टिलरी गन की सप्लाई में कमी का संकेत दिया है। इस तरह की 167 गन अभी तक ओएफबी के पास नहीं पहुंची हैं। कोरोना वायरस महामारी की वजह से इनका प्रॉडक्शन प्रभावित हुआ है। इसके अलावा 196 माइन प्रटेक्टेड (बारूद रोधी) गाड़ियों की सप्लाई भी नहीं हुई है।

एक सूत्र ने टीओआई को बताया, ‘पिछले तीन महीने से इन सामानों की कोई सप्लाई नहीं हुई है क्योंकि तमाम ऑर्डनेंस फैक्ट्रियां कोरोना से संबंधित आइटम का निर्माण करने में फंसी हैं। वहीं लॉकडाउन की बंदिशों की वजह से बहुत सी फैक्ट्रियां बंद हैं।’

पढ़ें:

9 जून को डीडीपी ने मोस्ट अर्जेंट की कैटिगरी में रखते हुए ओएफबी को इस सिलसिले में खत भेजा है। इसके साथ ही देशभर की 41 ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के जनरल मैनेजरों को भी यही संदेश भेजा गया है। लेकिन 80 हजार कर्मचारियों की एम्पलाई फेडरेशन का कहना है कि वह अनिश्चिकालीन हड़ताल नहीं टालेंगे। ओएफबी को कॉर्परटाइज करने के केंद्र सरकार के फैसले का फेडरेशन विरोध कर रहा है।

चीन के खिलाफ गुस्सा, कानपुर में निकली 'अर्थी'चीन के खिलाफ गुस्सा, कानपुर में निकली ‘अर्थी’लद्दाख की गलवान घाटी में चीन की हरकत के खिलाफ भारत के लोगों का गुस्सा फूट पड़ा है। एक तरफ चीनी सामान के बहिष्कार की मुहिम चल पड़ी है, तो दूसरी ओर लोग सड़कों पर उतर कर भी गुस्सा जाहिर कर रहे हैं। ये तस्वीरें कानपुर की है, जहां लोगों ने चीन की अर्थी निकाल दी। देश के 20 जवानों की शहादत से आहत लोगों ने चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की तस्वीर लगाकर सांकेतिक तौर पर उनका अंतिम संस्कार कर डाला।

डीडीपी की तरफ से ओएफबी को लिखे खत में कहा गया है, ‘आपसे गुजारिश है कि फेडरेशन, कन्फेडरेशन और ओएफबी के असोसिएशन्स से बातचीत करें। उन्हें इस बात के लिए राजी करें कि कर्मचारियों के हितों की सुरक्षा की जाएगी और सरकार सभी पक्षों से इस सिलसिले में निश्चित रूप से चर्चा करेगी।’

पढ़ें: लोहिया से मुलायम…1958 से क्यों चीन दुश्मन नंबर-1



ऑल इंडिया डिफेंस एम्पलाइज फेडरेशन (एआईडीईएफ) के जनरल सेक्रटरी सी श्रीकुमार का कहना है कि हड़ताल के बारे में राय जानने के लिए जनमत संग्रह कराते हुए वोटिंग हुई थी। 8 से 17 जून के बीच हुए इस सर्वे में 99.9 फीसदी कर्मचारियों ने हड़ताल के लिए समर्थन दिया है।

श्रीकुमार का कहना है, ‘पिछले साल अगस्त में सरकार ने ने हमें मनाने की कोशिश की थी। लेकिन अचानक से उन्होंने कोविड-19 पैकेज के तहत ओएफबी को कॉर्परटाइज करने का फैसला ले लिया। हम केवल कर्मचारी हितों के लिए नहीं लड़ रहे हैं बल्कि यह पूरी इंडस्ट्री को बचाने की लड़ाई है। हमने बीएसएनएल का हाल देखा है। हम नहीं चाहते हैं कि ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों का भी वही हाल हो क्योंकि यह देशहित के खिलाफ होगा।’

पढ़ें: बॉर्डर टेंशन : चिनफिंग का सेना को यह आदेश

जवानों की शहादत का बदला, चीन को 'पहली सजा'जवानों की शहादत का बदला, चीन को ‘पहली सजा’बॉर्डर पर चीन की गुस्‍ताखी का सेना ने मुंहतोड़ जवाब तो दिया ही, अब आर्थिक मोर्चे पर भी चीन को उसकी हरकतों की सजा देने की शुरुआत हो गई है। भारत सरकार ने सरकारी टेलिकॉम कंपनियों यानी BSNL और MTNL से किसी भी चीनी कंपनी के इक्विपमेंट्स का इस्‍तेमाल ना करने को कहा है।

डीडीपी ने ओएफबी से कहा है, ‘ऑर्डनेंस फैक्ट्रियों के जनरल मैनेजरों को निर्देश दिया जाए कि वे अपने स्तर पर कर्मचारियों से बातचीत करें। हमें भरोसा है कि इससे तमाम आशंकाएं दूर होंगी और कर्मचारियों की चिंताएं कम होंगी। ओएफबी को लिस्ट में दिए गए जरूरी साजोसामान का हर फैक्ट्री में उत्पादन शुरू करने का प्लान बनाना चाहिए जिससे देश का डिफेंस प्रॉडक्शन बरकरार रहे।’

एआईडीएफ के जनरल सेक्रटरी श्रीकुमार कहते हैं, ‘सभी ऑर्डनेंस कर्मचारी देशभक्त हैं। हमने 1962 के अलावा दूसरे मौकों पर भी यह सिद्ध किया है। इसलिए हम सरकार से अपील करते हैं कि ओएफबी को कॉर्परटाइज करने का फैसला वापस ले लें, जिससे हम देश की रक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए शांतिपूर्वक काम करते रहें। अगर हमारा भविष्य अनिश्चित होगा तो हम कैसे काम कर सकते हैं?’

लद्दाख में चल रहा चीन से तनाव

लद्दाख में चल रहा चीन से तनाव



Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here