LAC लद्दाख तनाव: भारत और चीन के बीच आज लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत


पूर्वी लद्दाख में महीने भर से जारी सीमा गतिरोध को हल करने के अपने पहले बड़े प्रयास के तहत भारत और चीन की सेनाएं शनिवार (5 जून) को लेफ्टिनेंट जनरल स्तरीय बातचीत करेंगी। हालांकि दोनों सेनाएं ऊंचाई वाले क्षेत्र के संवेदनशील इलाकों में आक्रामक मुद्रा में बनी हुई हैं। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह करेंगे। सिंह लेह स्थित 14वीं कोर के जनरल ऑफिसर कमांडिंग हैं। चीनी पक्ष का नेतृत्व तिब्बत सैन्य जिला कमांडर करेंगे। यह बातचीत मालदो में सीमा कर्मी बैठक स्थान पर होगी।

दोनों पक्षों के मध्य पहले ही स्थानीय कमांडरों के बीच कम से कम 12 दौर की तथा मेजर जनरल स्तरीय अधिकारियों के बीच तीन दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन चर्चा से कोई सकारात्मक नतीजा नहीं निकला। उम्मीद है कि शनिवार की बैठक में भारतीय पक्ष पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में यथास्थिति बहाल रखने पर जोर देगा ताकि पांच मई को दोनों पक्षों के बीच हिंसक झड़प के बाद चीन द्वारा बनाए गए अस्थाई शिविरों को हटाते हुए तनाव में धीरे-धीरे कमी लाई जा सके।

लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत से पहले दोनों पक्षों ने साधा संपर्क
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद पर शनिवार को प्रस्तावित लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के पहले दोनो देशो के बीच राजनयिक स्तर पर संपर्क हुआ। इसमे मतभेद को बातचीत के जरिए निपटाने और उन्हें विवाद में न तब्दील होने देने पर सहमति जताई गई। माना जा रहा है कि लेफ्टिनेंट जनरल स्तर की बातचीत के पहले दोनो देशो के बीच सकारात्मक माहौल बनाने की कोशिश के तहत दोनो देशो बक बीच कूटनीतिक स्तर पर संपर्क हुआ।

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विदेश मंत्रालय द्वारा दी गई जानकारी के मुताबिक विदेश मंत्रालय में संयुक्त सचिव (पूर्वी एशिया) नवीन श्रीवास्तव और चीनी विदेश मंत्रालय में महानिदेशक वू जियांगहो के बीच शुक्रवार (5 जून) को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से एक बैठक हुई। इस बैठक में दोनों पक्षों ने वर्तमान घटनाक्रम सहित द्विपक्षीय संबंधों की स्थिति की समीक्षा की। दोनो देशो के राजनयिकों ने भारत और चीन के शीर्ष नेतृत्व के बीच पूर्व में बनी सहमति का हवाला दिया गया। दोनों देशो के प्रतिनिधियों ने माना कि भारत और चीन के बीच शांतिपूर्ण, स्थिर और संतुलित संबंध मौजूदा वैश्विक स्थिति में स्थिरता के लिए एक सकारात्मक कारक होंगे।

दोनों पक्ष इस बात पर भी सहमत हुए कि नेतृत्व द्वारा प्रदान किए गए मार्गदर्शन के अनुसार, दोनों पक्षों को एक दूसरे की संवेदनाओं, चिंताओं और आकांक्षाओं का सम्मान करते हुए परस्पर बातचीत से मतभेद को निपटाना चाहिए। दोनों पक्षो ने माना कि शांतिपूर्ण चर्चा के माध्यम से अपने मतभेदों को निपटाया जाना चाहिए और उन्हें विवाद नहीं बनने देना चाहिए।दोनों पक्षों ने कोविड -19 महामारी से उपजी चुनौती के मद्देनजर विभिन्न बहुपक्षीय मंचों में परस्पर सहयोग को लेकर भी विचारों का आदान-प्रदान किया।

5 मई को भारत और चीन की सेना में झड़प
पूर्वी लद्दाख में स्थिति तब खराब हुई जब बीते पांच मई को पेगोंग झील क्षेत्र में भारत और चीन के लगभग 250 सैनिकों के बीच लोहे की छड़ों और लाठी-डंडों से झड़प हो गई। दोनों ओर से पथराव भी हुआ था, जिसमें दोनों देशों के सैनिक घायल हुए थे। यह घटना अगले दिन भी जारी रही। इसके बाद दोनों पक्ष ”अलग” हुए, लेकिन गतिरोध जारी रहा। इसी तरह की एक अन्य घटना में नौ मई को सिक्किम सेक्टर में नाकू ला दर्रे के पास दोनों देशों के लगभग 150 सैनिकों के बीच झड़प हो गई थी। सूत्रों के अनुसार, इस घटना में दोनों पक्षों के कम से कम 10 सैनिक घायल हुए थे।

डोकलाम को लेकर भी लंबा चला था गतिरोध
वर्ष 2017 में डोकलाम तिराहा क्षेत्र में भारत और चीन के सैनिकों के बीच 73 दिन तक गतिरोध चला था, जिससे दोनों देशों के बीच युद्ध की आशंका उत्पन्न हो गई थी। भारत और चीन के बीच वास्तविक नियंत्रण रेखा कही जाने वाली 3,488 किलोमीटर लंबी सीमा को लेकर विवाद है चीन अरुणाचल प्रदेश के दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा होने का दावा करता है, जबकि भारत का कहना है कि यह उसका अभिन्न अंग है। चीन, जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन किए जाने और लद्दाख को केंद्रशासित प्रदेश बनाने के भारत के कदम की निन्दा करता रहा है। लद्दाख के कई हिस्सों पर बीजिंग अपना दावा जताता है।

भारत और चीन ने बढ़ाई सैनिकों की संख्या     
पिछले महीने गतिरोध शुरू होने के बाद भारतीय सैन्य नेतृत्व ने फैसला किया कि भारतीय सेना पैंगोंग त्सो, गलवान घाटी, डेमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित क्षेत्रों में चीनी सैनिकों की आक्रामक मुद्रा से निपटने के लिए दृढ़ दृष्टिकोण अपनाएगी। समझा जाता है कि चीन पैंगोंग त्सो और गलवान घाटी में लगभग 2,500 सैनिकों को तैनात करने के अलावा धीरे-धीरे अस्थाई बुनियादी ढांचे का निर्माण कर रहा है और हथियारों की तैनाती बढ़ा रहा है। आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि उपग्रह द्वारा लिए गए चित्रों से चीन द्वारा अपनी ओर रक्षा संबंधी बुनियादी ढांचे को विकसित करने जानकारी मिली है। उन्होंने कहा कि चीन ने उत्तरी सिक्किम और उत्तराखंड में वास्तविक नियंत्रण रेखा से लगे कुछ क्षेत्रों में भी अपनी उपस्थिति बढ़ाई है, जिसके बाद भारत भी अतिरिक्त सैनिकों को भेजकर अपनी उपस्थिति बढ़ा रहा है।





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