Edited By Ram Shankar | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
- पूर्वी लद्दाख में करीब एक महीने से सीमा विवाद को लेकर तनातनी के बीच भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत
- लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह समकक्ष चीनी मेजर जनरल लियु के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा पर गतिरोध के खात्मे का रास्ता ढूंढेंगे
- यह मीटिंग भारत-चीन बॉर्डर के पास चुशूल मोल्डो में होगी, बैठक पर दोनों मुल्कों के अलावा दुनिया के शक्तिशाली देशों की नजरें भी
नई दिल्ली
पूर्वी लद्दाख में करीब एक महीने से सीमा विवाद को लेकर तनातनी के बीच भारत और चीन के बीच लेफ्टिनेंट जनरल लेवल की बातचीत शनिवार को होने जा रही है। लेफ्टिनेंट जनरल हरिंदर सिंह अपने समकक्ष चीनी मेजर जनरल लियु लिन के साथ वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर इस गतिरोध के खात्मे का रास्ता ढूंढेंगे। यह मीटिंग भारत-चीन बॉर्डर के पास चुशूल मोल्डो में होगी। इस बैठक पर दोनों मुल्कों के अलावा दुनिया के शक्तिशाली देशों की नजरें भी टिकी हैं। सबके मन में एक ही सवाल है कि क्या यह विवाद खत्म हो पाएगा?
इस विवाद को खत्म करने के लिए लोकल कमांडर, डेलिगेशन लेवल और हाईएस्ट कमांडर स्तर की लगभग 12 दौर की बातचीत हो चुकी है, लेकिन अब तक कोई ठोस समाधान नहीं निकल पाया है। विवाद को खत्म करने की उम्मीद हालांकि इसलिए अब भी बनी हुई है, क्योंकि पहली बार दोनों देशों के विदेश मंत्रालयों के बीच शुक्रवार को बातचीत हुई। संयुक्त सचिव स्तर की हुई बातचीत में दोनों देशों ने एक-दूसरे की भावनाओं का सम्मान करते हुए विवादों के निपटारे पर जोर दिया।
पढ़ें: लद्दाख पर भारत-चीन की सीधी बात, मानेगा ड्रैगन?
क्या होगा मीटिंग का अजेंडा?
सूत्रों के मुताबिक, इस तरह की मीटिंग से पहले लिखित में अजेंडा शेयर किया जाता है। मीटिंग में इसी अजेंडे पर बात होती है और इसके अलावा भी अगर कोई पक्ष किसी और मसले को उठाना चाहे तो वह बात कर सकता है। शनिवार को होने वाली इस मीटिंग में गलवान एरिया, पैंगोग त्सो और गोगरा एरिया पर बात होगी।
बातचीत का स्थल मॉलडो बीपीएम (फाइल फोटो)
सबसे अहम मुद्दा पैंगोग त्सो का रहेगा जहां चीनी सैनिक फिंगर-4 तक आ गए हैं जबकि दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक ग्रे जोन (जहां भारत और चीन, दोनों दावा करते हैं) में सैनिक गश्त तो कर सकते हैं, लेकिन वहां कोई ढांचा खड़ा नहीं कर सकते हैं और न ही वहां डेरा डाल सकते हैं।
भारत की तरफ से क्या प्रस्ताव?
यह भी चर्चा है कि भारतीय पक्ष पैंगोग त्सो, गलवान घाटी और देमचोक में तनाव को कम करने के लिए वार्ता में विशिष्ट प्रस्ताव रख सकता है। यह पूर्वी लद्दाख के वे तीन क्षेत्र हैं, जहां दोनों पक्षों के बीच पिछले एक महीने से विवाद चल रहा है। सबसे अहम मुद्दा पैंगोग त्सो का रहेगा जहां चीनी सैनिक फिंगर-4 तक आ गए हैं।
दोनों देशों के बीच हुए समझौते के मुताबिक ग्रे जोन (जहां दोनों देश अपना दावा करते हैं) में सैनिक गश्त तो कर सकते हैं, लेकिन स्ट्रक्चर नहीं बना सकते और न ही वहां रुक सकते हैं। चीन ने अग्रीमेंट का उल्लंघन करते हुए वहां बड़ी संख्या में सैनिक बैठा दिए हैं। चर्चा है कि भारतीय पक्ष सभी इलाकों में यथास्थिति पर लौटने पर जोर दे सकता है।
चीन के इस फैसले ने चौंकाया
इस बीच चीन-भारत सीमा पर चौकसी रखने वाले अपने वेस्टर्न थिअटर कमांड बलों के लिए चीन ने नए सैन्य कमांडर की नियुक्ति की है। सीमा पर गतिरोध समाप्त करने के मकसद से वरिष्ठ भारतीय और चीनी सैन्य अधिकारियों के बीच होने वाली प्रमुख वार्ता से पहले यह कदम उठाया गया है।
पढ़ें: चीन बोला- भारत को ताकतवर होने का भ्रम, US उकसा रहा
पीपल्स लिबरेशन आर्मी (पीएलए) की वेस्टर्न थिअटर कमांड ने अपनी आधिकारिक वेबसाइट पर घोषणा की है कि लेफ्टिनेंट जनरल शू किलिंग को उसके सीमा बलों का नया कमांडर नियुक्त किया गया है।
सीमा पर चीन को कड़ा जवाब
पिछले महीने की शुरुआत में विवाद शुरू होने के बाद, भारतीय सेना नेतृत्व ने फैसला किया कि वह भारतीय सैनिक पेंगोंग त्सो, गलवान घाटी, देमचोक और दौलत बेग ओल्डी के सभी विवादित इलाकों में चीनी सैनिकों के आक्रामक रवैये से निपटने के लिए कड़ा रुख अपनाएगा।
समझा जाता है कि चीनी सेना ने पेंगोंग त्सो और गलवान घाटी में करीब 2,500 सैनिकों की तैनाती की है। साथ ही वह अस्थायी अवसंचरना और हथियारों के जखीरे को भी बढ़ा रहा है। जवाब के तौर पर भारत भी अतिरिक्त सैनिकों और तोपें भेजकर अपनी उपस्थिति मजबूत की है।