LIC IPO: एलआईसी पर लगभग 75,000 करोड़ का टैक्स बकाया, जानें क्या होगा निवेशकों पर असर


LIC IPO: सरकारी बीमा कंपनी एलआईसी पर करीब सरकार का 75000 करोड़ रुपये का टैक्स बाकी है। कंपनी देश की कई अदालतों में सरकार से इस मांग को लेकर लड़ रही है कि वह बैक टैक्स में 74,894.5 करोड़ रुपये का भुगतान करे।  यह जानकारी भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) लिमिटेड के ड्राफ्ट शेयर बिक्री दस्तावेजों से मिली है। बता दें एलआईसी 75000 करोड़ का आईपीओ भी ला रही है।

दस्तावेजों के मुताबिक 63 प्रमुख कर मामलों में से 37 डायरेक्ट टैक्स से संबंधित हैं, जिनमें 72,762.3 करोड़ रुपये की राशि शामिल है और 26 अप्रत्यक्ष कर के मामले हैं, जिनमें 2,132.3 करोड़ रुपये शामिल हैं। टैक्स को लेकर मुकदमेबाजी के तहत राशि देश की सबसे बड़ी एकल इकाई है और अगर एलआईसी सरकार के खिलाफ इनमें से कुछ मामलों में भी हार जाती है, तो इससे एक महत्वपूर्ण कैश खर्च हो सकता है। 

प्रॉस्पेक्टस पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि एलआईसी के टैक्स मामले कई वर्षों में इकट्ठा हुए हैं। ज्यादातर मामले आयकर विभाग द्वारा लगाए गए आरोपों से संबंधित हैं कि एलआईसी ने 2005 से कई आकलन वर्षों के लिए अपनी कुल आय को गलत तरीके से प्रस्तुत किया है।

 

एलआईसी के ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) के अनुसार, इसने टैक्स देनदारियों को कवर करने के लिए अलग से धनराशि निर्धारित नहीं की है, जो अदालतों के प्रतिकूल फैसलों के कारण लगभग ₹ 24,728.03 करोड़ से जुड़े मामलों में उत्पन्न हो सकती है। एलआईसी देश की अब तक का सबसे बड़ा आईपीओ के साथ सार्वजनिक बाजारों में उतरने के लिए तैयार है, जिसका अनुमानित मूल्य लगभग ₹75,000 करोड़ है।

इन देनदारियों के परिणामस्वरूप एलआईसी के सार्वजनिक शेयरधारकों के लिए रिटर्न की संभावनाओं को कम कर सकता है। बता दें एलआईसी के प्रवक्ता ने इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया। एलआईसी के नकद और नकद समकक्ष, जो कंपनी के डिस्पोजेबल नकद और लिक्विड इन्वेस्टमेंट का प्रतिनिधित्व करते हैं, सितंबर के अंत में ₹ 26,122.95 करोड़ थे। वित्त वर्ष 2021 के लिए, यह ₹36,117.68 करोड़ था, जो पिछले वित्त वर्ष में ₹63,194.34 करोड़ और वित्त वर्ष 2019 में ₹67,905.95 करोड़ की गिरावट थी।

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 भूता शाह एंड कंपनी एलएलपी, टैक्स  एंड लीगल कंसल्टिंग फर्म  के पार्टनर जिग्नेश शह कहते हैं, “यदि इन अपीलों को विभाग के पक्ष में सुनाया जाता है तो यह लाभ और साथ ही एलआईसी के नकदी प्रवाह पर एक बड़ा टैक्स इंपैक्ट पैदा करेगा। यह देखते हुए कि लाभ और हानि खाते के शेयरधारकों के खाते के समेकित विवरण के अनुसार वित्त वर्ष 2011 के लिए विनियोग से पहले अधिशेष ( गैर-तकनीकी खाता) केवल ₹ 2,974 करोड़ था।”



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