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अगर चालाक लोग नियम कानून के छेद ढूंढ कर उसमें से निकल भागने के तरीके खोज लेंगे तो और समझदार लोग उस छेद को बंद करने का उपाय भी करना जानते हैं। आज़ादी के बाद से देश भर में दल-बदल होता रहा है, मगर दलबदलुओं का जैसा इलाज बंगाल में हुआ है, वैसा इलाज और कहीं नहीं हुआ। ना भूतो ना भविष्यति…। आगे भी कोई दलबदलुओं का ऐसा इलाज कर पाएगा, इसका अंदाजा नहीं। ममता बैनर्जी में सारे गुण हैं कि वे देश की प्रधानमंत्री बनने की तरफ कदम बढ़ाएं क्योंकि उनमें दुष्टों का संहार करने का साहस और कुटिल लोगों का मानमर्दन करने का चातुर्य है।
पूरे बंगाल में टीएमसी छोड़कर भाजपा में गए कार्यकर्ता वापस आना चाहते हैं। वापस आने की शर्त यह है कि खुद रिक्शा लें, उस पर भोंपू बंधवाएं और गली गली जाकर माफी मांगे कि मैं टीएमसी का कार्यकर्ता था, मैंने अमुक अमुक कारण से भाजपा में जाने की गलती की, कृपया मुझे माफ कर दीजिए। अगर बंगाल में दलबदलू कार्यकर्ता ऐसा नहीं करते, तो उन्हीं के गांव टोले-मुहल्ले में उन्हें स्वीकार नहीं किया जाएगा। टीएमसी ऐसी पार्टी नहीं है जो दलबदलुओं को माफ कर दे। टीएमसी माफी मांगने वालों को पार्टी में लेगी ज़रूर मगर उनकी हैसियत दोयम दर्जे की रहेगी और बहुत समय तक पद वगैरह देते समय यह ध्यान रखा जाएगा कि ये आदमी भरोसेमंद नहीं है। ऐसा होना कितना लोकतांत्रिक है कितना नहीं मगर इतना पक्का है कि टीएमसी से अब कोई शख्स किसी छोटे फायदे के लिए दल-बदल तो नहीं करेगा। अगर दलबदल रोकना है तो ममता दीदी का यह आइडिया बुरा नहीं है।
जो विधायक स्तर के हैं उनके सामने शर्त रखी गई है कि किसी न्यूज़ चैनल पर जाकर बताओ कि भाजपा ने हमें अमुक अमुक पद देने का लालच दिया था या इतना धन दिया था। टीएमसी के विधायक गिड़गिड़ा रहे हैं कि हम पर रहम किया जाए। न्यूज़ चैनल पर भले ही ना भेजा जाए मगर विधायकों से लिखवा तो लिया जाएगा और कैमरा पर माफीनामा मय कबूलनामे के रेकार्ड भी कर लिया जाएगा कि मैंने इतना लिया, यह लालच मुझे दिया गया था। राज्यपाल धनखड़ के बारे में एक बयान दिया गया कि अंकल जी आपने अपने सारे रिश्तेदारों और गांववालों को राजभवन में भर लिया है और वे बैकफुट पर आ गए। राज्यपाल से मंगल को होने वाली मुलाकात में 24 विधायक नदारद रहे। जाहिर है ये 24 भी टीएमसी की शोभा बढ़ा सकते हैं। ममता बैनर्जी ने भाजपा को बुरी तरह हरा कर तो कमाल किया ही है, वे लगातार कमाल करती चली जा रही हैं। दलबदलुओं पर कानून कुछ नहीं कर सका, मगर ममता ने दलबदलुओं को सज़ा देने की तरकीब निकाल ली। सत्ता लोलुप ताकत बढ़ाने के लिए हर किसी की घरवापसी के लिए एक टांग पर बैठे रहते हैं। ममता बैनर्जी सत्ता लोलुप नहीं हैं।/कानूनी-छूट-खत्म-होने-के-बा/
हितेश एस वर्मा
Jan Vichar Samvad