भारत के 74वें स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण पर देश-दुनिया की नजरें गड़ी हुई हैं। पीएम लालकिले से लगातार सातवीं बार तिरंगा ध्वज फहराने के बाद देशवासियों को संबोधित कर रहे हैं। उन्होंने कोरोना संकट के कारण लालकिले के समारोह स्थल पर बच्चों के नहीं जुटने पर क्षोभ व्यक्त किया। प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में आत्मनिर्भर भारत अभियान पर बहुत जोर दिया। आप प्रधानमंत्री के भाषण की प्रमुख बातें यहां पढ़ सकते हैं…
मेरे प्यारे देशवासियों, इस पावन पर्व पर, आप सभी को बधाई और बहुत-बहुत शुभकामनाएं।
कोरोना के इस असाधारण समय में, सेवा परमो धर्म: की भावना के साथ, अपने जीवन की परवाह किए बिना हमारे डॉक्टर्स, नर्सें, पैरामेडिकल स्टाफ, एंबुलेंस कर्मी, सफाई कर्मचारी, पुलिसकर्मी, सेवाकर्मी, अनेकों लोग, चौबीसों घंटे लगातार काम कर रहे हैं।
अगले वर्ष हम अपनी आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश कर जाएंगे। एक बहुत बड़ा पर्व हमारे सामने है।
गुलामी का कोई कालखंड ऐसा नहीं था जब हिंदुस्तान में किसी कोने में आजादी के लिए प्रयास नहीं हुआ हो, प्राण-अर्पण नहीं हुआ हो।
विस्तारवाद की सोच ने सिर्फ कुछ देशों को गुलाम बनाकर ही नहीं छोड़ा, बात वही पर खत्म नहीं हुई। भीषण युद्धों और भयानकता के बीच भी भारत ने आजादी की जंग में कमी और नमी नहीं आने दी।
विस्तारवाद की भावना ने दुनिया को विश्वयुद्ध में धकेल दिया। उस वक्त भी भारत ने अपनी आजादी की ललक नहीं छोड़ी।
परिवार भी 20-21 वर्ष के बच्चों से कहता है कि अब अपने पैरों पर खड़े हो जाओ। भारत तो आजादी के 75वें वर्ष में प्रवेश करने जा रहा है।
कोरोना महामारी के बीच 130 करोड़ भारतीयों ने आत्मनिर्भर भारत बनाने का संकल्प लिया है। हमें पूरा भरोसा है कि भारत इस सपने को चरितार्थ करके रहेगा। मुझे अपने देश के सामर्थ्य पर विश्वास है।
आखिर कब तक हमारे ही देश से गया कच्चा माल, फिनिश्ड प्रॉडक्ट बनकर भारत में लौटता रहेगा। हम इस स्थिति को बदलेंगे। हमारे आत्मनिर्भर बनने से दुनिया का कल्याण होगा।
एक समय था, जब हमारी कृषि व्यवस्था बहुत पिछड़ी हुई थी। तब सबसे बड़ी चिंता थी कि देशवासियों का पेट कैसे भरें। आज हम सिर्फ भारत ही नहीं, दुनिया के कई देशों का पेट भर सकते हैं। किसानों ने कृषि क्षेत्र में भारत को आत्मनिर्भर बना दिया है।
देश के सामने लाखों चुनौतियां हैं तो देश के पास करोड़ों समाधान देनेवाली शक्ति भी है। मेरे देशवासी भी हैं जो समाधान का सामर्थ्य देते हैं।
सिर्फ कुछ महीना पहले तक N-95 मास्क, PPE किट, वेंटिलेटर ये सब हम विदेशों से मंगाते थे। आज इन सभी में भारत, न सिर्फ अपनी जरूरतें खुद पूरी कर रहा है, बल्कि दूसरे देशों की मदद के लिए भी आगे आया है।
आत्मनिर्भर भारत का मतलब सिर्फ आयात कम करना ही नहीं, हमारी क्षमता, हमारी क्रिएटिविटी हमारी स्किल्स को बढ़ाना भी है।
नए भारत की सोच क्या होना चाहिए- हमें लोकल के लिए वोकल होना पड़ेगा।
कौन सोच सकता था कि कभी देश में गरीबों के जनधन खातों में हजारों-लाखों करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर हो पाएंगे?कौन सोच सकता था कि किसानों की भलाई के लिए APMC एक्ट में इतने बड़े बदलाव हो जाएंगे।
वन नेशन- वन टैक्स, इनसॉल्वेंसी और बैंकरप्ट्सी कोड, बैंकों का विलय, आज देश की सच्चाई है।
इस शक्ति को, इन रिफॉर्म्स और उससे निकले परिणामों को देख रही है। बीते वर्ष, भारत में FDI ने अब तक के सारे रिकॉर्ड तोड़ दिए हैं। भारत में FDI में 18 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। ये विश्वास ऐसे ही नहीं आता है।
आज दुनिया की बहुत बड़ी-बड़ी कंपनियां भारत का रुख कर रही हैं। हमें Make in India के साथ-साथ Make for World के मंत्र के साथ आगे बढ़ना है।
भारत को आधुनिकता की तरफ, तेज गति से ले जाने के लिए, देश के ओवरऑल इन्फ्रास्ट्रक्चर डिवेलपमेंट को एक नई दिशा देने की जरूरत है। ये जरूरत पूरी होगी नैशनल इन्फ्रास्ट्रक्चर पाइपलाइन प्रॉजेक्ट से। इस पर देश 100 लाख करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च करने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
अलग-अलग सेक्टर्स के लगभग 7 हजार प्रोजेक्ट्स की पहचान भी की जा चुकी है। ये एक तरह से इन्फ्रास्ट्रक्चर में एक नई क्रांति की तरह होगा।
अब इन्फ्रास्ट्रक्च में Silos को खत्म करने का युग आ गया है। इसके लिए पूरे देश को मल्टि मॉडल कनेक्टिविटी इन्फ्रास्ट्रक्चर से जोड़ने की एक बहुत बड़ी योजना तैयार की गई है।
मेरे प्यारे देशवासियों,
हमारे यहां कहा गया है-
सामर्थ्य्मूलं स्वातन्त्र्यं, श्रममूलं च वैभवम्।।
किसी समाज, किसी भी राष्ट्र की आज़ादी का स्रोत उसका सामर्थ्य होता है, और उसके वैभव का, उन्नति प्रगति का स्रोत उसकी श्रम शक्ति होती है।
हमारे देश का सामान्य नागरिक, चाहे शहर में रह रहा हो या गांव में, उसकी मेहनत, उसके परिश्रम का कोई मुकाबला नहीं है।
7 करोड़ गरीब परिवारों को मुफ्त गैस सिलेंडर दिए गए, राशनकार्ड हो या न हो, 80 करोड़ से ज्यादा लोगों को मुफ्त अन्न की व्यवस्था की गई, बैंक खातों में करीब-करीब 90 हजार करोड़ रुपए सीधे ट्रांसफर किए गए।
कुछ वर्ष पहले तक ये सब कल्पना भी नहीं की जा सकती थी कि इतना सारा काम, बिना किसी लीकेज के हो जाएगा, गरीब के हाथ में सीधे पैसा पहुंच जाएगा।
अपने इन साथियों को अपने गाँव में ही रोजगार देने के लिए गरीब कल्याण रोजगार अभियान भी शुरू किया गया है।
वोकल फॉर लोकल, Re-Skill और Up-Skill का अभियान, गरीबी की रेखा के नीचे रहने वालों के जीवनस्तर में आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था का संचार करेगा।