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आखिर मोदी सरकार को किस बात डर
देश में प्रचंड बहुमत की सरकार को किस बात का डर सता रहा है जो विपक्षी दलों के नेताओं को जेल भेजने की फिराक में जुट गयी है। जैसे जैसे आम चुनाव नजदीक आ रहा है वैसे वैसे ईड सीबीआई और इनकम टैक्स इंडिया गठबंधन के नेताओं को शिकंजे में कसने की तैयारी हो रही है। जिस सरकार के पास नरेंद्र मोदी जैसे बहुआयामी व्यक्तित्व वाले पीएम हों। विश्व में जिनके नाम का डंका बज रहा है।
करोड़ों की सख्या में रामभक्त, भाजपा जैसी विशाल कार्यकर्ताओं की ताकत हो। अडाणी और अंबानी से दोस्त हों। देश की संवैधानिक संस्थाओं का समर्थन प्राप्त हो। जांच एजेंसियों का साथ प्राप्त हो इसके अलावा भाजपा का आईटी सेल हो। हर चुनाव में उनके आदेश मानने वाला हनुमान सरीखा चुनाव आयोग हो तो किस बात का डर है। मोदी सरकार को ऐसे हालात में भी विपक्ष से डर क्यों लगने लगा है।
मोदी सरकार को भारत जोडो न्याय यात्रा का खौफ
14 जनवरी से कांग्रेस की भारत जोड़ो न्याय यात्रा की शुरुआत मणिपुर से किया जा रहा है। मणिपुर पिछले आठ माह से हिंसा और आगजनी के दौर से गुजर रहा है। केन्द्र और मणिपुर में भजापा की सरकारें हैं। महिलाओं के साथ यौन उत्पीड़न की लगातार वारदातों को अंजाम दिया जा रहा है। केन्द्र सरकार ने इस गंभीर हालात पर कोई प्रभावशाली कदम नहीं उठाया है। यहां तक कि पीएम मोदी देश विदेश मेे दौरे कर रहे हैं। पांच प्रदेशों में चुनाव प्रचार के लिये रैलियां और जनसभाएं करने का समय है लेकिन मणिपुर की महिलाओं की सुध लेने का वक्त पीएम के पास नहीं हैं। कांग्रेस के एमपी राहुल गांधी अपने कुछ साथियों के साथ मणिपुर के हिंसा प्रभावित इलाकों में गये और उनकी समस्याओं के बारे में जाना। दिलसचस्प बात यह है कि सुप्रीमकोर्ट की तल्ख टिप्पणी के बाद भी केन्द्र ने प्रदेश सरकार को नोटिस नहीं दिया। वहां के सीएम और डीजीपी आज भी बने हुए हैं। दोनों सरकारें ऐसा दर्शा रही हैं कि जैसे मणिपुर में बिल्कुल सामान्य माहौल है। लेकिन वहां हिंसा और यौन उत्पीड़न हत्याओं का दौर जारी है। ऐसे में राहुल गांधी न्याय यात्रा की शुरुआत मणिपुर से कर रहे हैं। उनको देखने को लिये लाखों का हुजूम पहुंचा। हर कोई राहुल की एक झलक देखने को बेकरार दिखा। यात्रा को जनसमर्थन और सहयोग भी मिला। इससे पहले पिछले साल राहुल गांधी ने भारत जोड़ो यात्रा का आयोजन किया जिसकी शुरूआत कन्याकुमारी से होते हएु जम्मू कश्मीर में किया गया। उससे कांग्रेस के प्रति जनता में काफी बदलाव देखने को मिला। उसी का असर था कि कांग्रेस का हिमाचल ओर कर्नाटक में जीत मिली। दोनो ही जगह भाजपा को करारी हार को सामना करना पड़ा। इससे भाजपा की धड़कने बढ़ गयी।
असम, मेघालय, नागालैंड और बिहार में राहुल का जलवा
भारत जोड़ो न्याय सेवा को असम को छोड अन्य सभी जगह किसी भी प्रकार की बाधा नहीं आयी। असम में पहले दिन से ही स्थानीय भाजपा की सरकार की ओर बाधाएं डालने का प्रयास किया गया। स्थानीय पुलिस ने यात्रा को रोकने का प्रयास किया। अगले दिन राहुल गांधी के काफिले पर भाजपा के कार्यकर्ताओं ने हमला किया। इस पर असम पुलिस ने उन हमलावरों पर कोई कार्रवाई नहीं कि बल्कि यात्रा आयोजक समेत दो लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया। असके बाद सीएम हेमंत बिस्व सरमा का बेतुका बयान सामने आया कि प्रदेश में अशांति फैलाने के प्रयास में मामले दर्ज किये गये हैं लेकिन दो लोगों को चुनाव बाद सरकारी मेहमान बना कर जेल में डाला जायेगा। इससे पहले राहुल गांधी ने सीएम पर तीखा हमला करते हुए कहा था कि देश के सबसे भ्रष्ट सीएम है हिमंता बिस्व सरमा। इनका पूर परिवार भ्रष्टाचार में लिप्त है। उसी दिन से रोज सीएम बेतुका बयान देने लगे ताकि उनकी टीआरपी में इजाफा हो जाये।
बिहार प बगाल और झारखंड में जांच एजेंसी का कहर
असम के बाद न्याय यात्रा प बंगाल में प्रवेश कर गयी। यहां भी राहुल की न्याय यात्रा में भारी भीड़ उमड़ने लगी। इससे प्रभावित हो सीएम ममता बनर्जी ने भी रंग बदलना शुरू कर दिया कांग्रेस पर यह आरोप लगाया कि न्याय यात्रा के बारे में उनसे चर्चा नहीं की गयी। कांग्रेस की तरफ कहा गया कि आन लाइन मीटिंग के दौरान यात्रा की चर्चा की गयी थी। इसके बाद अध्यक्ष खरगे ने भी अपनी तरफ से ईमेल कर जानकारी दी गयी थी। राहुल गांधी ने भी अपनी ओर मेल व हार्ड कॉपी लैटर सीएम ममता को भेजा था। लेकिन ममता ने यह साफ कर दिया कि बंगाल में कांग्रेस से सीट शेयरिंग पर कोई समझौता नहीं किया जायेगा। इंडिया गठबंधन के नेताओं पर जांच एजेंसियों ने अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया। झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन को ईडी दस सम्मन भेज चुका है। उनकी गिरफ्तारी की लगभग पूरी तेयारी की जा चुकी है। सोरेन पर मोदी शाह एजेंसी कि जरिये दबाव बनाया जा रहा है कि इंडिया गठबंधन को साथ छोड़ भाजपा के साथ तालमेल कर लें। लेकिन सोरेन इस बात के लिये तैयार नहीं हो रहे हैं। नितीश कुमार और ममता बनर्जी पर भी कुछ न कुछ दबाव जरूर केन्द्र सरकार ने जरूर बनाया है जिससे वो इंडिया गठबंधन से दूरी बना रहे है। दिलचस्प बात यह है कि नितीश और ममता दोनों ही इंडिया गठबंधन के अग्रणी नेताओं में थे।
आज के समय में ये हालात हो गये हैं कि यदि आप सत्ता के साथ नहीं हैं तो आप सत्ता के विरोधी है अगर ऐसा है तो सरकारी जांच एजेसियों के कहर के शिकार होंगे। इसका जीता जागता उदाहरण झारखंड सीएम हेमंत सोरेन हैं जो इंडिया गठबंधन के प्रमुख दलों में जाने जाते हैं।