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आपरेशन लोटस की तैयारी में पार्टी
मोदी शाह एक बार फिर से सांसदों की खरीद फरोख्त की ​जुगाड़ में दिख रही है। इसके लिये अपने गठबंधन के दलों को भी निशाने पर रख रही है। कारण यह है कि वो किसी भी तरह से अपने बल पर 272 का आंकड़ा प्राप्त करने की मंशा रख रही है।

Ex central minister Milind Deora left congress & joined Shivsena Shinde gut said he was feeling uneasy in congress
Ex central minister Milind Deora left congress & joined Shivsena Shinde gut said he wants gain no pain

ऐसे में उसने महाराष्ट्र के दलों पर जांच एजेंसियों को लगा दिया है। जांच एजेंसियों के निशाने पर शिवसेना, एनसीपी, शिवसेना यूबीटी, एनसीपी शरद गुट के सांसदों को रखा है। वैसे तो मोदी शाह की निगाहें उन छोटे दलों पर भी है जिनके दो तीन सांसद हैं उन्हें भी अपने पाले में लाने को प्रयास किया जा रहा है। लालच दे कर या जांच एजेंसियों के दबाव में ऐसे हालात बनाये जा रहे हैं कि वो भाजपा में शामिल होने को मजबूर हो जायें। जैसा कि आम चुनाव से पहले हाराष्ट्र्र कांग्रेस के कट्टर नेता पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चाव्हाण और मुरली देवड़ा के बेटे मिलिंद देवरा ने कांग्रेस छोड़ भाजपा का दामन थामा था। ऐसे बहुत से विपक्ष के नेताओं ने पाला बदला था। एनडीए के नेताओं को भी इस काम पर लगाया गया है। वो नेता सांसदों से संपर्क बना कर आफर दे रहे हैं।
नितीश और चंद्रबाबू नायडू से निजात पाना चाहतें है मोदी शाह!
वर्तमान की केन्द्र सरकार नितीश कुमार और चंद्रबाबू नायडू की बैसाखियों पर ही टिकी है। मोदी शाह मजबूत नहीं मजबूर सरकार को चला रहे हैं। पिछले कई माह से नितीश कुमार के हाव भाव बता रहे हैं कि वो एनडीए में कसमसा रहे हैं। वहीं भाजपा भी बिहार में अपने बल पर सरकार बनाने का ख्वाब संजो रहे हैं। लेकिन वो अभी खुलकर सामने नहीं कह रहे हैं। लेकिन अंदर ही अंदर खिचड़ी पकाई जा रही है। नितीश कुमार के खेमे में भी कुलबुलाहट है कि भाजपा के अंदर कुछ तो खिचड़ी पक रही है कि महाराष्ट्र की तर्ज पर बिहार में भी नितीश कुमार को एकनाथ की तरह खेला किया जा सकता है। वहां भी भाजपा ने यही कह कर चुनाव लड़ा था कि शिंदे के नेतृत्व लड़ा गया है। शिंदे के चेहरे पर चुना लड़ा गया।

A political strome in Maharashtra. State govt. is unstable due to Broken parties
A political strome in Maharashtra. State govt. is unstable due to Broken parties

महायुति के सभी दलों को आशा से कहीं ज्यादा जीत हासिल हुई। लेकिन चुनाव परिणाम के बाद ही भाजपा के सुर बदल गये। शिंदे को स्टेपनी बना कर प्रदेश की कमान फडणवीस को थमा दी गयी। यह भी चर्चा में है कि मोदी शाह की निगाहें शिवसेना के सात सांसदों पर हैं ताकि भाजपा सांसदों की सख्या बहुमत को पाया जा सके है। ऐसा ही कुछ बिहार में भी भाजपा जेडीयू के साथ करना चाह रही है पार्टी के बहुत से पहले मोदी शाह के करीब पहुंच गये हैं। मोदी शाह बिहार चुनाव के बाद ऐसा कुछ करने जा रही है ऐसी चर्चा चल रही है। मोदी शाह के रडार पर लोजपा, आरएलडी और हम के सांसद पर ​भी टिेकी है।
विपक्षी दलों को अपने नेता बचाना हो गया है मुश्किल
भारतीय राजनीत में यह हालात काफी गंभीर हैं कि सत्ताधारी दल विपक्ष को खत्म करने की मंशा रख रहा है। इसके लिये दो तरह के आफर दिये जा रहे हैं सुरक्षित रहना है तो भाजपा को ज्वाइन कर लो वर्ना जेल जाने को तैयार रहो। यह भी सच है कि जो भी नेता चुनाव ज।त कर आता है तो मलाई खाने को ही आता है। महाराष्ट्र में तो विपक्ष का कोई प्रभाव नही दिख रहा है। प्रदेश मेंं भी महायुति की सरकार है और केन्द्र में भी मोदी शाह का कब्जा है। पूरे पांच साल तक परिवर्तन के कोई आसार नहीं हैं। ऐसे में सांसद करें भी तो क्या करें। इसलिये वो सत्ता के साथ जाने के अलावा कोई मौका नहीं है। वैसे भी केन्द्र सरकार के पास जांच एजेंसियों का मजबूत व अभेद्य हथ्यिार है उनको जेल जाने के पूरे आसार हो सकते हैं। ऐसे में विपक्षी दलों को भी इस बात का अंदाजा है। कुछ सांसदों ने अपनी पार्टी से दूरियां बनाना भी शुरू कर दिया है।
मोदी शाह की मजबूत नही मजबूर सरकार
एनडीए सरकार को बने सात माह हो चुके हैं लेकिन एक भी बिल सरकार पास नहीं करा सकी है। पिछले दस सालों तक नरेंद्र मोदी बेताज बादशाह के रूप में देश पर सुलतान बन कर रहे हैं। जो चाहा वो किया किसी की सुननी नहीं विपक्ष की कोई हैसियत नहीं थी कि सरकार को मनमानी से रोक सके।

Modi Shah & Govt. don't want disclose the secret of Electoral bond through SBI in Supreme Court
Modi Shah & Govt. don’t want disclose the secret of Electoral bond through SBI in Supreme Court

लोकसभा और राज्यसभा में विपक्ष को साधने के लिये ओम बिड़ला और उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ को तैनात कर दिया। वो संवैधानिक पदों पर बैठ कर भी भाजपा नेता के रूप में ज्यादा दिखते हैं। लेकिन वर्तमान सरकार में मोदी शाह कसमसा कर रह जा रहे हैं। दरअसल इस बार पहले के ​मुकाबले विपक्ष काफी मजबूत स्थिति में है। संसद के दोनों सदनों में सरकार की मनमानी चल नहीं पा रही है। कारण यह है कि भाजपा पूर्ण बहुमत का आंकड़ा नहीं छू सकी है। इस बार भाजपा के ​केवल 240 सांसद ही जिता पाई है।

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