दो दिन बाद देश् को मिलेगा नया मुख्य चुनाव आयुक्त
वर्तमान सीईसी राजीव कुमार 18 फरवरी को रिटायर हो रहे हैं। देश की मोदी सरकार एक और राजीव कुमार की तलाश में जुट गयी है।

इसके लिये 17 फरवरी को एक कमेटी नये मुख्य चुनाव आयुक्त की तलाश कर लेगी। चर्चा है कि सरकार ऐसे मुख्य चुनाव आयुक्त की तलाश में है जो अगला आम चुनाव जिताने में राजीव कुमार की तरह सत्ता की मदद कर सके। जिस तरह से राजीव कुमार 2020 से चुनाव आयुक्त के रूप में काम कर सत्ता की राह को सरल और सुगम बना रहे हैं। मोदी शाह ऐसे ही कसी यस मैन आईएएस की तताश कर रहे हैं। दरअसल भाजपा जनता पार्टी और सरकार यह चाह रही है कि विपक्ष किसी भी सूरत में उनके आगे टिक नहीं सके। इसलिये ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स पहले से ही केन्द्र के इशारों पर विपक्ष पर शिकंजा कसे हुए है। इसी क्रम में वो देश में कब्जा बनाये रखने को मुख्य चुनाव आयुक्त भी अपनी मनपंद का बनाये रखना चाहती है। मोदी शाह की मंशा है कि विपक्ष हमेशा विभाजित रहे। 2024 के आम चुनाव के दौरान इंडिया ब्लाक की एकजुटता से भाजपा को भारी झटका लगा है। भाजपा विपक्ष को हमेंशा परेशान और बंटा हुआ देखना चाहती है।
नया राजीव कुमार कौन बनेगा!18 को मिलेगा देश को नया मुख्य चुनाव आयुक्त
दो साल पहले जब चुनाव आयुक्त की प्रक्रिया को देखते हुए पूर्व सीजेआई चंद्र चूड ने प्रक्रिया पर ऐतराज जताते हुए कहा कि इससे चयन प्रक्रिया की पारदर्शिता पर सवाल उठा सकत है। उस वक्त चुनाव आयुक्त अरुण गोयल की नियुक्ति मोदी सरकार ने की थी। उस वक्त सुप्रीमकोर्ट ने इस नियुक्ति पर ऐतराज जताया था। इसी मामले पर पूर्व सीजेआई ने यह तय किया कि अब जब भी किसी विशेष पद की नियुकित होगी तो उस कमेटी में नेता प्रतिपक्ष के साथ पीएम और सीजेआई भी शामिल होंगे। लेकिन उसमे यह शर्त लगा दी कि जब तक संसद में इस प्रक्रिया पर बिल नहीं आता है तब तक सीजेआई इस कमेटी के सदस्य रहेंगे। इसी बात पर केन्द्र सरकार ने सदन के अंदर नया बिल लाकर सीजेआई को चयन प्रक्रिया से बाहर करवा दिया। इसके साथ यह भी तय हो गया कि इस चयन कमेटी में पीएम के साथ उनकी सरकार का कोई वरिष्ठ मंत्री कमेटी का सदस्य शामिल किया जायेगा।
चयन कमेटी में सरकार का बहुमत
अब इस कमेटी में पीएम मोदी के साथ गृहमंत्री अमित शाह हैं। ऐसे में लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष के होने का कोई मतलब नहीं होता है। नया मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति के लिये राहुल गांधी को भी बुलाये जाने की चर्चा है। राहूल गांधी ने इस मामले पर सदन में कहा कि ऐसी कमेटी में नेता प्रतिपक्ष के जाने या न जाने से कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। नेताप्रति पक्ष उस चयन प्रक्रिया में सिर्फ मूकदर्शक बन कर हारने के लिये क्यों जाये। राहुल गांधी ने यह कहा कि मोदी सरकार देश की सभी प्राइम एजेंसी पर अपना कब्जा बनाये रखना चाहती है जिससे उसकी सत्ता पर पकड़ बनी रहे। सरकार के इशारे पर चुनाव आयोग सरकार के लिये नरम रवैया अपना कर निशाने पर विपक्ष को रखता है। यह पिछले आम चुनाव, हरियाणा और महाराष्ट्र विधानसभा के चुनावों में देखा गया है। पिछली बार हरियाणा और महाराष्ट्र में एक साथ चुनाव कराये गये थे। लेकिन इस बार हरियाणा विधानसभा चुनाव के बाद महाराष्ट्र चुनाव कराया गया ऐसा भाजपा और केन्द्र सरकार के इशारे पर किया गया। चुनाव आयोग से इस पर सवाल किया गया तो गोल गोल घुमा दिया गया। सुप्रीमकोर्ट के बाद अगर किसी संस्थान को सबसे मजबूत माना जाता है तो वह है चुनाव आयोग किसी भी राजनीतिक दल को सत्ता में कायम रहना है तो जांच एजेंसियों के बाद किसी संस्था को अपने हक में रखना है तो वो चुनाव आयोग है। पिछले दस सालों से देखा जा रहा है कि किस तरह मोदी सरकार के साथा जांच एजेसियां और चुनाव आयोग कदम ताल कर रहे हैं इसीवजह से विपक्ष किसी चुनाव में मजबूती से लड़ नहीं पा रहा है। जब चुनाव होता है तो जांच एजेंसियों को विपक्षी दलों के नेताओं के पीछे ईडी, सीबीआई और इनकम टैक्स विभागों की रेड पड़ने लगती हैं। विपक्षी दलों ने ईडी पर यह भी आरोप लगाया है कि ईडी को भाजपा चंदा वसूलने के लिये हथियार बना चुकी है। ऐसे बहुत मामले सामने आये कि पहले ईडी का छापा पड़ता है बाद में चंदा देने के बाद मामले को रफा दफा कर दिया गया। इस साल के अंत में बिहार विधानसभा का चुनाव होना है। ऐसे में चुनाव आयोग भाजपा के मनमाफिक नहीं हुआ तो भाजपा बिहार में जीत हासिल करने में नाकाम रहेगी। भाजपा बिहार का चुनाव हर सूरत में जीतने की कोशिश में जुटी है। 2026 में प बंगाल में चुनाव होने हैं। वहां भी भाजपा को चुनाव आयोग की पूरी मदद चाहिये। यही वजह है कि मोदी शाह हर हाल में मुख्य चुनाव आयुक्त अपने पसंददीदा को बनाना चाहती हें। वैसे भी मोदी शाह ने जनता को यह समझा दिया है कि देश का मतलब मोदी शाह और देश के दुश्मन इंडिया ब्लाक के दल।