#Haryana Assemblly election# Haryana Politics# CM Nayab Singh Saini# Ex CM BS hudda# Rahul Gandhi# MP Kumari Sailja#priyanka gandhi updtes# Haryana BJP# PM Modi & Shah#

हरियाणा में क्षेत्रीय दलों का भविष्य क्या
आठ तारीख को ​हरियाणा में विधानसभा के चुनाव परिणाम आने के बाद ये साफ हो गया कि कांग्रेस बीजेपी के आगे फेल हो गयी। भाजपा ने तीसरी बार सरकार बना कर हैट्रि​क बना ली है। इसमे कोई शक नहीं कि भाजपा हर तरीके से कांग्रेस पर भारी पड़ रही है। कांग्रेस पिछले एक डेढ़ माह से भाजपा को हटाने की कोशिश में लगी रही। लेकिन उसे सफलता नहीं मिली।

PM Modi with CM ML kahttar are serious about Gen. Electons 2024
PM Modi with CM ML kahttar are serious about Gen. Electons 2024बहुत खामोशी से रणनीति के तहत भाजपा ने अपने शिकंजे मं कांग्रेस का फंसा कर जीत अपने नाम कर ली। ये बात साफ हो गयी कि जनता में भाजपा व सरकार से नाराज थी। इस बार भाजपा के हिस्से में 47 सीटें आयी। जबकि 2019 में भा​जपा के 41 विधायक ही रहे। इस बार उनको 6 सीटें अधिक सीटें मिली है। इसके अलावा भाजपा को तीन निर्दलीय विधायको राजेश जून, सावित्री जिंदल और राजेंद्र कादियान का समर्थन भी मिल गया है। कांग्रेस को 37 सीटों से ही संतोष करना पड़ा है। सबसे दिलचस्प बात यह है कि इस साल दो बार चुनावी एग्जिट पोल झूठे साबित हुए है। सभी सर्वे और ऐ​ग्जिट पोल ​हरियाणा में बदलाव की लहर दिखा रहे थे। वहीं दूसरी ओर स्थानीय राजनीतिक दल इस उम्मीद से चनुावी गठबंधन कर मैदान में ताल ठोक रहे थे कि इस बार उनके बिना कोई सरकार नहीं बनने वाली है।

क्षेत्रीय दलों ने कमर कस कर चुनाव लड़ा
हरियाणा में पिछले दस सालोंं से बीजेपी की सरकार थी। विपक्षी राजनीतिक दल इस बात की चर्चा कर रहे थे कि इस बार भाजपा को हटाना है। कांग्रेस इस मिशन में सबसे आगे थी। बाकी अन्य दल इनेलो, जेजेपी, आजाद समाज पार्टी, हलोपा, हविपा और हजपा भी चुनाव मैदान में उतरे हुए थे। जेजेपी ने 2019 में पहली बार चुनाव लड़ा और 10 सीटों पर जीत हासिल की। इतना ही नहीं जिस भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ा उसी भाजपा के साथ सरकार में शामिल हो गये। भाजपा ने भी साढ़े चार साल तक जेजेपी का साथ दिया और आम चुनाव के करीब उसे साथ रखा और दूध की मक्खी की तरह सरकार से बाहर निकाल फेंका। इतना ही नहीं उनके 6 विधायकों को भी बागी बना कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया। यह पहला मौका नहीं जब भाजपा ने अपने साथी घटक दल के विधायकों को तोड़ा हो। इससे पहले वो बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और उत्तराखंड में भी तोड़ फोड़ और खरीदफरोख्त कर सरकारें गिरायी हैं।
जेजेपी ने आजाद समाज पार्टी और बसपा ने इनेलो से किया करार
इतिहास गवाह है कि हरियाणा में तीन लाल का ही वर्चस्व रहा है। ये नेता बंसीलाल, देवी लाल और भजनलाल रहे। आज भी उनकी पीढ़ियां राजनीति मे सक्रिय है। देवी लाल के बेटे अभय ओमप्रकाश चौटाला प्रदेश के सीएम रह चुके हैं। लेकिन भ्रष्टाचार में दोषी होने पर मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। आजकल वो जेल मे सजा काट रहे हैं। उनकी पार्टी में भी दो फाड़ हुए। अभय चौटाला इनेलो के अध्यक्ष हैं उनका भाई अजय चौटाला हैं। उनके एक भाई रणजीत चौटाला हैं जो खट्टर सरकार में मंत्री रहे इस बार भाजपा ने टिकट नहीं दिया तो निर्दली चुनाव लड़े और हार गये। इनेलो ने इस चुनाव में बसपा से गठबंधन किया था। बसपा से पहले भी इनेलो का गठबंधन हो चुका है। लेकिन इस चुनाव में बसपा से मिलकर चुनाव लड़ने का कोई विशेष लाभ नहीं दिखा। पिछली बार उन्हें 1 सीट मिली थी। लेकिन इस बार 2 सीटों पर सफलता मिली है। अ​र्जुन चौटाला और आदित्य देवीलाल चुनाव जीतने सफल रहे है। बसपा का जनाधार अब यूपी में भी नहीं रहा है बस चुनाव लड़ने की खानापूरी के लिये चुनाव लड़ा जाता है। पूर्व सीएम मायावती पिछले दस सालों से सक्रिय राजनीति से दूर रही है। किसी भी चुनाव में गंभीरता से चुनाव प्रसार नहीं करती दिख रही है। उनका वोट बैंक इंडिया ब्लाक और भाजपा में बंटता दिख रहा है।
देवी लाल के वंशज भी राजनीति में सक्रिय
कुलदीप विशनोई पहले अपनी पार्टी बना कर कुछ दिनों तक हरियाणा के सीएम भी रह चुके है। उनके भाई चंद्र मोहन उस सरकार में उपमुख्यमंत्री रह चुके है। इस बार कुलदीप विशनोई ने भाजपा के टिकट पर अपने बेटे भव्य विश्नोई को भाजपा के टिकट चुनाव लड़वाया और वो एमएलए चुना गया है। कुलदीप विश्नोई कांग्रेस में थे लेकिन कांग्रेस छोड़ कर भाजपा में शामिल हो गये थे। लेकिन उनका भाई चंद्रमोहन कांग्रेस की सीट पर चुनाव लड़ा और कांग्रेस के टिकट पर पंचकुजा से पांचवीं बार विधायक बने हैं।

Azad
Bhim Army Chief Chandrashekher Ravan at Jantar Mantar New Delhi

जेजेपी का असपा से चुनावी गठबंधन
जननायक जनता पार्टी ने आजाद समाज पार्टी से चुनावी गठबंधन किया था। आजाद समाज पार्टी के अध्यक्ष चंद्रशेखर रावण नगीना से निर्दल सांसद बने है। यूपी में उनकी खासी लोकप्रियता है। लेकिन हरियाणा चुनाव में उनकी पार्टी का प्रदर्शन काफी बुरा रहा है। पांच सौ वोट भी उनके प्रत्याशियों को मिलने में लाले पड़े। वहीं दूसरी ओर जेजेपी के सुप्रीमो दुष्यंत चोटाला और नैना चौटाला चुनाव हार गये उनके सभी उम्मीदवारों की जमानतें जब्त हो गयीं।
बिहार में भाजपा ने एलजेपी को भी भाजपा ने तुड़वाया
बिहार में भी उन्होंने नितीश कुमार की पार्टी जेडीयू में भी सेंध लगाने की पूरी कोशिश की लेकिन घाघ नितीश कुूमार किसी तरह अपनी पार्टी को टूटने बचा सके। आपको जेडीयू नेता आरसीपी सिंह याद होंगे जो नितीश कुमार के काफी विशवासपात्र थे। मोदी शाह ने उन्हें सरकार में शामिल कर अपने पाले में खींच लिया। उन्हें जेडीयू को तोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी थी। लेकिन नितीश कुमार उन्हें पार्टी से बड़ी चालाकी से बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाजपा की मंशा अभी भी जेडीयू को तोड़ने की है मोदी सरकार में जेडीयू कोटे से शामिल मंत्री ललन सिंह मोदी शाह के काफी करीबी बन गये है। लिहाजा नितीश कुमार ने उनके पर कतरते हुए उनके और उनकी करीबियों को पार्टी के अहम् पदों से हटा दिया है।
बिहार की एक और पार्टी लोकजन शक्ति पार्टी को भी भाजपा ने किनारे लगाते हुए दो फाड़ करा दिये हैं। बिहार मेें 2020 के विधान सभा चुनाव में राम बिलास पासवान की पार्टी लोजपा का एनडीए से गठबंधन था।

Political crises for opposition Haryana

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here