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राजनाथ सिंह ने इमरजेंसी की याद दिलायी
शीतकालीन संसद के सत्र का माहौल 13 दिसंबर को और भी ज्यादा गर्म हो गया। इस दिन संसद के दोनों सदनों में विपक्षी सांसदों ने सत्ता पक्ष को हैरान कर दिया कि विपक्षी सांसदों को किस तरह कटघरे में खड़ा किया जाये। लोकसभा में पहली बार चुन कर आयी कांग्रेस सांसद प्रियंका गांधी वाड्रा ने संविधान पर हो रही चर्चा में जोरदार भाषण दिया। उनका सारगर्भित, संयमित और धारा प्रवाह भाषण चल रहा था। उस समय भाजपा सांसद मंत्री और लोकसभा अध्यक्ष भी हतप्रभ हो कर प्रियंका गांधी का भाषण सुनने पर मजबूर हो गये।
संसद में प्रियंका गांधी ने उड़ाये सत्ता के होश
प्रियंका गांधी ने अपने आधा घंटे के भाषण में लोगों को मंत्र मुग्ध कर दिया। सत्ता पक्ष के सांसदों ने जब टोका टाकी की तब उन्होंने डपटते हुए कहा कि गंभीर मुद्दे पर बात हो रही है चुप रह कर सुनिये। प्रियंका ने नेहरू जी का नाम लिये बिना कहा कि आप लोग कभी पूर्व पीएम का नाम लेने से घबराते हैं लेकिन अपनी सुविधा के अनुसार उनका खूब नाम लेते हैं। उन्होंने देश के लिये इतना सब कुछ किया इसलिये वो जनता के दिलों में हमेशा के लिये जिंदा है। आप इतिहास के पन्नों से उनका नाम मिटा सकते हो लेकिन उनके किये गये कामों को कैसे नकार सकते हैं। आपका और संघ का काम तो लोगों के लिये नये नये झूठ गढ़ना ही है। लोगों के अफवाह फैलाना ही है। प्रियंका गांधी ने कहा आप जिस संविधान को बदलने की कोशिश कर रहे हैं। वह सत्य का प्रतीक है सत्य हमेशा जिंंदा रहता है। आज संविधान की वजह से गरीब असहाय और आम जनता जो सुरक्षा महसूस कर रही है वो संविधान की वजह से आप उस संविधान को खत्म करने की साजिश रच रहे हैं ये सासाजिश कभी सफल नहीं होगी। ये आम चुनाव के रिजल्ट के कारण आपके मुंह से जो संविधान संविधान का नाम ले रहे हैं, वो जनता की सीख है। अगर आप 300 पार हो जाते तो संविधान को बदलने को अमादा हो जाते। जनता ने उनकी मंशा को पहचानते हुए उनको सबक सिखा दिया। अयोध्या में चुनाव हारने पर यूपी सरकार और भाजपा उनको गद्दार कह रही हैं। पीएम मोदी को समझना चाहिये कि जनता को प्यार से जीतना होता है। आप उन्हें डरा कर कब तक जीत सकते हैं। आम चुनाव में आये परिणाम से आप को संविधान की ताकत का पता चला है। इस लिये हर बात में संविधान याद आ रहा है।
प्रियंका के निशाने पर रहे पीएम मोदी
प्रियंका गांधी ने कहा उन्हें सदन में आये हुए लगभग दस बारह दिन हुए हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी जी सिर्फ 15 मिनट ही सदन में ठहरे हैं। बड़े अफसोस की बात कि संसद में संविधान जैसे गंभीर विषय पर बहस चल रही है और देश के पीएम इलाहाबाद में जल क्रीड़ा और नौका विहार कर रहे हैं।

इससे उनकी गंभीरता का पता चल रहा है। उन्हें अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकने और धर्म की राजनीति से फुरसत नहीं मिल रही है। प्रियंका गांधी ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि हम जब छोटे थे तब हमारी दादी और नानी कहानी सुनाती थी कि एक राजा था जो अपने राज्य में रात को देश के अनेक हिस्सों में भेष बदल कर अपनी जनता के बीच जा कर राजा के कार्यकलापों के बारे में पता करता था। आज के राजा को तो जनता के दुख सुख की तो चिंता नहीं है लेकिन भेष बदलने का उसे बहुत शौक है। प्रियंका गांधी ने कहा कि हमारे देश के पीएम को संविधान पर कितना विश्वास है इस बात से पता चल रहा है कि देश की सबसे बड़ी पंचायत संसद में चर्चा चल रही है और वो इलाहाबाद के संगम में जलक्रीड़ा और नौका विहार करने में मशगूल हैं।
लेकिन जनता के दुख जानने की उन्हेंं कोई रुचि नहीं है
सरकार की ओर राजनाथ ने कमान संभाली
संविधान की 75वीं सालगिरह पर दो दिन की चर्चा की शुरूआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की। उन्होंने कहा संविधान का ढोल पीटने वाले कांग्रेस नेता संविधान के सबसे बड़े दुश्मन हैं। देश में आपातकाल लागू कर उन्होंने विपक्ष के लाखों लोगों को जंल में डाल दिया था। उन्होंने अपना उदाहरण दिया कि उन्हें भी सरकार इंदिरा सरकार ने आपातकाल के दौरान प्रदर्शन करने वाले हजारों लोगों को जेल के पीछे पहुंचा दिया गया था। उस दौरान उनके पिता का निधन हो गया लेकिन उनको घर आने की अनुमति नहीं थी। राजनाथ जी आज 50 साल पहले की बात याद कर दुखी हो रहे हैं। लेकिन पिछले दस सालों आपकी सरकार ने अघोषित आपातकाल लागू कर रखा है। देश की स्वायत्त संस्थाओं पर संघ और भाजपा के लेागों को बैठा दिया गया है। इतिहास को बदलने का कुचक्र रचा जा रहा है। इतिहास की किताबों से खास समुदाय के राजा महाराजों के पाठों को पाठ्यक्रमों से हटाया जा रहा है। उनके स्थान पर संघ और भाजपा के नेताओं को दर्ज कराया जा रहा है। दिल्ली विश्वविद्यालय में मनुस्मृति पढ़ाने की मुहिम छेड़ी थी लेकिन विरोध होने की वजह से इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया है।
संप्रदाय विशेष के मजहबी स्थलों पर हमले
पिछले 10 सालों से मोदी सरकार के समर्थक दल और हिन्दू संगठन पूरे देश में समुदाय विशेष के धार्मिक स्थलों पर तोड़ फोड़ और नारेबाजी करने से बाज नही आते हैं। इन अराजक तत्वों को बीजेपी और स्थानीय पुलिस की शह प्राप्त होती है। इस वजह से इन गुण्डों के हौसले बुलंद रहते हैं। बहुत हल्ला होने पर इन लोंगों पर पुलिस साधारण धाराओं में केस दर्ज कर दिया जाता है जिससे दो चार दिन में ही उनको बेल मिल जाती है। इन अराजक तत्वों के निशाने पर आदिवासी दलितों, सिख इसाइयों के साथ मुस्लिमों के धार्मिक स्थल रहते हैं। इसके साथ ही बीजेपी शासित राज्यों में संघ और भाजपा के गुंडे हिन्दू पर्वों पर जय श्री राम के नारे लगाते हुए चर्च और मस्जिदो के सामने डीजे की तेज धुनों पर नाचते गाते पहुंचते हैंं। तेज आवाज में माइक पर संप्रदाय विशेष के खिलाफ मां बहन की गालियां बकते हुए घटिया नारेवाजी करते हैं ताकि सामने वाले लोगों को गुस्सा आये और पुलिस की लाठियों का शिकार भी संप्रदाय के लोगों को होना पड़ता है। कुछ मामलोंं में यह भी देखने को मिलता है कि अदालतें भी सांप्रदायिक हो कर फैसले देने से नहीं चूक रही है।
राजनाथ दस साल की अघोषित इमरजेंसी को भुला गये
विपक्ष के नेताओं ने राजनाथ पर तंज करते हुए कहा कि उन्हें 50 साल के पहले की इमरजेंसी आज याद कर रहे हैं। लेकिन उन्हें ये याद नहीं रहा कि पिछले 4 सालों से उमर खालिद, शरजील इमाम नताशा नरवाल बिना किसी सुबूत और अपराध के जेलों मे रखे गये हैं। चार साल से उन्हें सेशन कोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक जमानत नहीं दे रहा है। दिल्ली विवि के प्रो जी साईनाथ को बिना किसी अपराध औश्र सुबूत के सालों जेल में रखा गया। बाद में हाईकोर्ट ने यह कह कर बरी कर दिया कि उनके खिलाफ कोई सुबूत नहीं मिला। फादर स्टेंस जेल में एक स्ट्रा के लिये तरस गये। अंत में उनकी मुक्ति जेल में अंतिम सांस लेने के बाद हो गयी। इनका कुसूर सिर्फ इतना था कि ये मोदी सरकार के समर्थक नहीं थे। इनके विचार संघ के साथ मैच नहीं करते थे। पत्रकार सिद्धीक कप्पन को यूपी सरकार ने सिर्फ इसलिये यूएपीए में गिरफ्तार कर ढायी साल तक जेल में रखा क्यों कि वो संप्रदाय विशेष से ताल्लुक रखता था।
इस बीच उसकी मां की मौत हो गयी लेकिन सरकार और अदालत ने बेल नहीं दी। नामी गिरामी पत्रकार जुबैर पर पुलिस बेवजह के आरोप लगा कर गिरफ्तार कर जेल भेज देती है। बीजेपी शासित राज्यों से कोई भी बीजेपी नेता कुछ भी आरोप लगा कर पुलिस बिना जांच पड़ताल के शिकायत कर मामला दर्ज करा देती है। बीजेपी और हिन्दू संगठन के निशाने पर सिर्फ अल्पसंख्यक ही होते हैं।