PM नरेंद्र मोदी के राष्ट्र के नाम संबोधन के बाद ट्विटर पर ट्रेंड करने लगा #AatmanirbharBharat


कोरोना का संक्रमण पूरी दुनिया में जारी है। इस बीच आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र को संबोधित किया। पीएम मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में 20 लाख करोड़ रुपए के आर्थिक पैकेज की घोषणा के साथ ही देश के आत्मनिर्भर बनाने की बात कही। पीएम मोदी के भाषण के बाद ट्विटर पर #PMModi, #AtmanirbharBharat के साथ-साथ #Lockdown4 ट्रेंड करने लगा।

आपको बता दें कि प्रधानमंत्री ने जिस आर्थिक पैकेज की घोषणा की है उसे ‘आत्मनिर्भर भारत अभियान’ दिया गया है। इस घोषणा के बाद भारतीय जनता पार्टी (BJP) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, कैबिनेट मंत्री रविशंकर प्रसाद, प्रकाश जावड़ेकर, बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख अमित मालवीय ने #AtmanirbharBharat के साथ ट्वीट करते हुए प्रधानमंत्री की प्रशंसा की है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में आत्मनिर्भर भारत का जिक्र करते हुए कहा, ‘कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थिति बन रही है उसे भी हम देख रहे हैं। जब इन दोनों कालखंडों को भारत के नजरिए से देखते हैं तो लगता है 21 सदी भारत का हो यह हमारा सपना ही नहीं, हम सबक की जिम्मेदारी है। लेकिन इसका मार्ग क्या होगा? विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही, आत्मनिर्भर भारत।’

प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है एश: पंथ: यानी यही रास्ता है- आत्मनिर्भर भारत। एक राष्ट्र के रूप में आज हम बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं। इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आई है, संदेश लेकर आई है, एक अवसर लेकर आई है।

हर दिन दो लाख पीपीई किट का उत्पादन
पीएम ने कहा, ‘मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात बताने का प्रयास करता हूं देता हूं, जब कोरोना संकट शुरू हुआ तो भारत में एक भी पीपीई किट और एन95 मास्क का नाममात्र उत्पादन होता था। आज भारत में 2 लाख पीपीई किट और 2 लाख एन95 मास्क बनाए जा रहे हैं। यह हम इसलिए कर पाए, क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया।’

भारत की आत्मनिर्भरता में दुनिया का भी हित
उन्होंने कहा, ‘भारत की आत्मनिर्भरता में संसार के सुख सहयोग और शांति की चिंता होती है। जो संस्कृति जय जगत में विश्वास करती हो, जो जीव मात्र का कल्याण चाहती हो, जो पूरे विश्व को परिवार मानती हो, जो अपनी आस्था में माता भूमि: पुत्रो अहं पृथिव्या की सोच रखती हो, जो पृथ्वी को मां मानती हो वह संस्कृति वह भारत भूमि जब आत्मनिर्भर बनती है तो उससे सुखी विश्व की संभावना भी सुनिश्चित होती है।’





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