महाराष्ट्र में क्यों हो रही है उठा पटक
विधानसभा में भारी सफलता के बाद भी सीएम पद के लिये नाम की घोषणा नहीं हुई है। असमंजस्य के हालात हैं। कार्यवाहक सीएम शिंदे के रुख भी बदले बदले दिख रहे हैं। कहने को तो उन्होंने प्रेस के सामने यह कह दिया है कि मोदी और शाह के सीएम प्रस्ताव का वो समर्थन करेंगे। लेकिन उनके चेहर पर वो बात या उत्साह नहीं दिख रहा है। यह बात भी है जो व्यक्ति ढायी साल तक सीएम सीएम पद पर रहा हो वो इतनी आसानी से सीाएम की पद की रेस से बाहर कैसे हो सकता हे। इसी बीच शिंदे और एनसीपी के दिग्गज नेता से मुलाकात ने इस अंदेशा को जन्म दिया है कि अभी भी महाराष्ट्र में महायुति की सरकार बनने के राह रोड़े अटका सकते हैं। यह भी चर्चा हो रही है कि शिंदे पवार के साथ मिल कर प्रदेश में एक बार फिर सरकार में सीएम बन सकते हैं। आज की राजनीति में सब कुछ सत्ता के नीति और ईमानदारी वफादारी की कोई जगह नहीं है।
महाराष्ट्र में क्या खिचड़ी पक रही है
विधानसभा चुनाव के रिजल्ट आने के एक सप्ताह बाद भी महायुति सीएम पद के लिये नाम का ऐलान नहीं हुआ इससे चर्चा हो रही है जब महायुति में सब कुछ ठीक है तो सीएम के नाम पर सहमति क्यों नहीं बन पा रही है। शिंदे सर्मथक सोशल मीडिया पर शिंदे के समर्थन में पोस्ट डाल रहे हैं। वैसे आज के समय में सत्ता के लिये किसी भी हद तक जा सकते हैं। जिस सत्ता के लिये शिंदे और उनके समर्थको ने शिवसेना को तोड़ कर सत्ता पायी। ऐसे में नेताओं की राजनीति पर कोई भरोसा नहीं किया जा सकता है। सत्ता के लिये नेता किसी दल में शामिल हो सकते है या किसी अन्य दल को गठबंधन को छोड़ सकते है। इसी तर्ज पर दोनों गठबंधन महायुति और एमवीए उम्मीदें पाले हुए है।
महायुति छोड़ सकते हैं शिंदे!
सीएम पद पर चल रहे विवाद के बीच कार्यवाहक मुख्यमंत्री शिंदे ने एनसीपी के दिग्गज नेता जितेंद्र अव्हाड से मुलाकात कर चौंक कि ऐसी कौन सी वजह थी कि सीएम शिंदे ने एनसीपी के नेता जितेंद्र से मुलाकात की। यह चर्चाएं चलने लगी कि एकनाथ शिंदे महायुति को छोड सकते हैं। वो एनसीपी औ महाविकास अघाड़ी के साथ मिलकर सरकार में सीएम बन सकते है। यह बात सच है कि सत्ता के लिये कोई भी नेता पाला बदलने कौ तैयार हो सकता है। गणित यह है कि अगर सीएम शिंदे महायुति छोड़ कर महाविकास अघाड़ी के साथ आ जाते हैं तो महाविकास अघाड़ी के पचास विधायक, शिवसेना के 57 विधायक और एनसीपी के 41 विधायक मिलकर सरकार बना सकते है। इसे निर्दली और बागी मिलकर समर्थन दे सकते हैं।