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महाराष्ट्र सरकार पर संकट के काले बादल क्यों
महाराष्ट्र के सीएम एकनाथ शिंदे आजकल रात में सो नहीं पा रहे हैं। उनकी विधानसभा सदस्यता पर संकट के बादल छाये हुए हैं। 14 सितंबर को विधानसभा अध्यक्ष राहुल नार्वेकर शिंदे की सदस्यता पर फैसला देने जा रहे हैं। यह आशंका जतायाी जा रही है कि शिंदे की सदस्यता अवैध हो सकती है। उनके साथ उनके 18 और विधायकों की सदस्यता पर गाज गिर सकती है। अगर ऐसा हुआ तो महाराष्ट्र में एक बार फिर राजनीतिक संकट आ जायेगा। फिर सीएम की ताजपोशी पर घमासान मचेगा। इस रेस में बीजेपी के पूर्व सीएम देवेंद्र फडणवीस और डिप्टी सीएम अजित पवार दोनों ही हैं।
एकनाथ शिंदे गुट के लिये राजनीतिक संकट
उधर एकनाथ शिंदे और उनके विधायकों को भी इस बात की चिंता सता रही है कि अयोग्य घोषित हो जाने के बाद उनका राजनीतिक भविष्य क्या होगा। न वो इधर के रहे और न उधर के रहे। एक सवा साल पहले बीजेपी के बहकावे में आकर शिंदे व उनके समर्थक विधायकों ने शिवसेना से बगावत कर महाराष्ट्र सरकार में शामिल हुए थे। उनमें से कुछ विधायकों को तो सरकार में मंत्री पद मिला लेकिन कुछ को तो कोई फायदा नहीं हुआ। दूसरी ओर जनता में गद्दार होने के तमगा और लग गया। शिवसेना उद्धव ठाकरे ने प्रदेश भर में घूम घूमकर यह प्रचार किया कि एकनाथ शिंदे और उनके साथी विधायकों ने पार्टी से गद्दारी कर महाविकास अघाड़ी सरकार को गिरवाया है। उन्होंने बीजेपी से मिलकर पार्टी को तोड़ने का काम किया है। इसके अलावा बहुत विधायकों को इस बात की भी चिंता है कि बीजेपी के साथ रह कर टिकट मिलेगा भी या नहीं। टिकट मिलने के बाद इस बात की भी कोई गारंट नहीं कि इस बार वो चुनाव जीत भी पायेंगे या नहीं। उनकी वापसी भी शिवसेना में संभव नहीं है। शिंदे ओर उनके समर्थक विधायकों के लिये आगे कुआं पीछे खाई वाले हालात हो गये हैं।
शिंदे गुट या अजित पवार में किसे चुनेगी भाजपा
महाराष्ट्र में भाजपा के लिये सबसे बड़ी परेशानी है कि शिंदे गुट और अजित पवार गुट में किसे चुने। दोनों में एक को ही चुनना है। वैसे भी शिंदे गुट की अब भाजपा को कोई जरूरत नहीं रह गयी है। भाजपा ने शिंदे गुट को इसलिये साथ लिया था कि उनकी मदद से मतदाताओं को अपने पक्ष में करा पायेंगे। लेकिन हालात ऐसे नहीं बन पा रहे हैं। उनकी जगह एनसीपी से टूट कर आये अजित पवार और उनके 32 विधायक भाजपा को सपोर्ट करने आ गये हैं। एकनाथ शिंदे के मुकाबले अजित पवार जनता में ज्यादा लोकप्रिय हैं। लेकिन जो हालात शिंदे गुट के साथ पैदा हुए वहीं हालात अजित पवार गुट के साथ भी वही हालात हैं। शरद पवार गुट ने भी विधानसभा स्पीकर से लिखित शिकायत कर पार्टी से बगावत करने वाले सदस्य विधायकों की सदस्यता समाप्त करने की मांग की है। शरद पवार और अजित पवार की लगातार मुलाकातों से इस बात की भी चर्चा है कि कहीं अजित पवार पहले की तरह एक बार फिर पल्टी न मार जायें। तो भाजपा के लिये बहुत बड़ी समस्या पैदा हो जायेगी।