19 जून को राज्यसभा के 18 सदस्यों के मनोनयन किया जाना है। इसके लिये राजनीतिक दलों ने अपने अपने उम्मीदवारों कोे जिताने के लिये प्रयास शुरू कर दिया है। चुनाव के मद्दे नजर भाजपा ने अपने उम्मीदवारों को जिताने के लिये साम दाम दण्ड भेद सभी नीतियों का इस्तेमाल करते हुए कांग्रेस विधायकों को अपने खेमे में लाना शुरू कर दिया है। कांग्रेस ऐसी पार्टी हो गयी है कि जब भी भाजपा को अपने समर्थन कीे जरूरत होती है वो अपनी जरूरत भर के लिये कांग्रेसी नेताओं और विधायकों को अपनी ओर कर लेती है। कांग्रेस तब जागती है जब कि चिड़िया खेत चुग जाती है। कांग्रेस को यह झटका गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश समेत कई और जगहों पर लग रहा है।
कांग्रेस को सबसे पहले झटका गुजरात से लगा जब उसके चार पांच विधायक पार्टी छोड़ देते हैं। इसका सीधा मामला राज्यसभा चुनाव से जोड़ कर देखा जा रहा है। इन विधायकों ने पार्टी से इस्तीफा तब दिया जब कि सिर पर राज्यसभा का चुनाव है। इन सभी विधायकों को बीजेपी अपने खेमे में लाने में सफल रही है। ये टूट पहले भी होती रही है।
राजस्थान में लगभग 6 माह पहले बीएसपी के आधा दर्जन विधायकों पार्टी से इस्तीफा देते हुए कांग्रेस में शामिल होने का फैसला किया था। लेकिन चुनाव के वक्त बीएसपी ने विधानसभा स्पीकर से कहा कि पार्टी छोड़ने वाले विधायकों ने विधिवत कांग्रेस की सदस्यता नहीं ली है अत: वो अभी भी बीएसपी के ही माने जायेंगे। मामला राज्य चुनाव कार्यालय पहुंच गया है। राज्य चुनाव कार्यालय ने इस मामले को चुनाव आयोग के पाले में फेंक दिया है। अगर चुनाव आयोग बीएसपी की मांग पर उनके पक्ष में फैसला देता है तो कांग्रेस के लिये समस्या खड़ी हो जायेगी। राज्य में कांग्रेस को अपने राज्यसभा उम्मीदवार को चुनाव जितवाना मुश्किल हो जायेगा।
ऐसा ही कुछ मध्यप्रदेश में देखा जा रहा है। कमलनाथ सरकार में बीएसपी, सपा और दो निर्दली विधायकों का समर्थन था। लेकिन वर्तमान में उपरोक्त सभी दलों के विधायकों ने कमलनाथ व कांग्रेस को अंगूठा दिखाते हुए भाजपा का दामन थाम लिया है। सभी विधायकों ने भाजपा के दिग्गज नेता नरोत्तम मिश्रा के साथ फोटो सेशन कराते हुए यह संकेत दिया कि वो भाजपा के राज्यसभा उम्मीदवार को समर्थन दे रहे हैं। राजनीतिक हालात को देखते हुए लग रहा है कि मध्यप्रदेश, गुजरात में अपने उम्मीदवारों को जिताने में भाजपा सफल हो जायेगाी। मध्यप्रदेश से ज्योतिरादित्य का राज्यसभा जाना लगभग तय हो गया है। वहीं कांग्रेस का एक उम्मीदवार राज्यसभा जाने में सफल हो सकता है। वो एक सदस्य पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह हो सकते है। तााजा हालात से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है। उनका कहना है कि एक सीट तो वो जीत रहे है लेकिन दूसरी सीट के लिये जोर लगायेंगे। मध्यप्रदेश में 230 विधानसभा सीट है। भाजपा के पास 107 सदस्य है। सपा बसपा और निर्दली 5 विधायकों ने भी भाजपा उम्मीदवार को समर्थन देने के संकेत दे दिये हैं। इससे भाजपा का पलड़ा भारी होता दिख रहा है। एक सीट जीतने के लिये 52 सीटों की आवश्यकता होती है। उनके दो प्रत्याशी जीतने में सफल होते दिख रहे हैं। वहीं कांग्रेस के पास 92 सदस्य हैं उनका भी एक उम्मीदवार राज्यसभा जाता दिख रहा है।