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रेपिस्ट और हत्यारे का भाजपा को सपोर्ट
देश में आजकल लोकसभा चुनाव चल रहे हैं ऐसे में राजनीतिक दलों को ऐसे लोगों की जरूरत होती है जिनके पीछे हजारों की संख्या में उनके समर्थक और अनुयायी हों। इस मामले में देखा गया है कि राजनीतिक दलों बाबा और महंतों का साथ चाहिये होता है। ऐसे में यह देखा गया है कि आजकल तथा कथित बाबाओं और आश्रम चलाने वाले बाबा सत्ता के काफी करीब देखे जा रहे हैं। इन बाबाओं और महंतों की पहुंच राज सरकारों में हो गयी है। इसका जीता जागता नमून योगी आदित्यनाथ हैं जो पिछले तीन दशकों से सक्रिय राजनीति में सक्रिय हैं। वर्तमान में वो यूपी के सीएम हैं।

भाजपा की राजनीति ही मंदिर और मठों से चलती है। राजस्थान में भी दो बाबा भाजपा की टिकट पर विधायक बने हैं। एक बाबा बालक नाथ हैं दूसरे बालमुकुंद। हरियाणा में डेरा सच्चा सौदा के प्रमुख राम रहीम का प्रभाव आस पास के प्रदेशों में है। वहां से उनके सिरसा स्थित आश्रम में समर्थक व अनुयायी आते हैं।
ऐशगाह बनी रामरहीम का सुनेरिया जेल
इस समय हरियाणा की सुनेरिया जेल में 20 साल की सजा काट रहे हैं लेकिन उनके लिये जेल एक पिकनिक की तरह है जब उनका मन करता है वो परोल पर बाहर आ जाते हैं। सरकार की उन पर मेहरबानी बनी हुई है। अक्सर चर्चा में रहता है कि आखिर किस वजह से हरियाणा की बीजेपी सरकार उन पर मेहरबान रहती है। वो वजह अब सबके सामने आ गयी है। उस हत्यारे रेपिस्ट राम रहीम ने यह ऐलान कर दिया कि वो अपने समर्थकों से भाजपा के प्रत्याशियों का समर्थन करने की अपील की है। मालूम हो कि हरियाणा में भाजपा के हालात काफी खस्ता हैं। हरियाणा में पिछले दस सालों से भाजपा की सरकार सत्ता में है। लेकिन सरकार के नकारेपन और लापरवाही से जनता में काफी रोष है। पिछले लोकसभा चुनाव में सभी दस सीटों पर भाजपा उम्मीदवारों ने जीत हासिल की थी। लेकिन आज के समय में भाजपा जीती सीट पाने में सफल नहीं हो रही है यही वजह है कि सरकार ने सजा काट रहे राम रहीम को सहूलियतें दी है। इन सभी वजहों से पंजाब एण्ड हरियाणा हाईकोर्ट हरियाणा सरकार फटकार लगाते हुए निर्देश दिया कि सजा काट रहे बाबा को परोल देने से पहले कोर्ट से अनुमति लेनी होगी।
गुरमीत राम रहीम हत्या और रेप की सजा काट रहे हैं
गुरमीत राम रहीम सिंह इन्साँ हरियाणा के सिरसा में स्थित संस्था डेरा सच्चा सौदा का प्रमुख था। डेरा सच्चा सौदा की स्थापना 1968 में शाह मस्ताना जी द्वारा की गई थी। गुरमीत इस संस्था के तीसरे प्रमुख थे। इनके कार्यकाल में डेरा का अभूतपूर्व प्रचार प्रसार हुआ और इनके अनुयायियों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई। गुरमीत राम रहीम सिंह के नेतृत्व में डेरा सच्चा सौदा में कई सकारात्मक कार्य किये गए, नए नए प्रयोग किए गए, वहीं वे हमेशा विवादों में भी बने रहे। विवादों की परिणति 25 अगस्त 2017 को एक यौन शोषण मामले में अदालत द्वारा इन्हें दोषी करार दिए जाने के रूप में हुई।[3] इस मामले में राम रहीम को 20 साल के सश्रम कारावास व 65 लाख रूपये जुर्माने की सजा हुई। और राम रहीम को पत्रकार राम चन्द्र छत्रपति हत्या काँड में 11 जनवरी 2019 को दोषी करार दिया गया व दिनांक 17 जनवरी 2019 को सीबीआई की विशेष आदालत ने उम्र कैद की सजा सुनाई है।
बचपन से डेरा का दीवाना था गुरमीत
गुरमीत राम रहीम सिंह सिद्धू मूल के पंजाबी जाट है। स्वयं गुरमीत राम रहीम सिंह के अनुसार उसका जन्म १५ अगस्त १९६७ को माता नसीब कौर और पिता मघर सिंह के यहाँ गुरूसर मोदिया गांव में हुआ था। यह परिवार डेरा सच्चा सौदा का भक्त था।
दोहरा चरित्र का अपराधी बना आध्यात्मिक गुरु
डेरा के द्वितीय प्रमुख शाह सतनाम जी ने गुरमीत सिंह को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया। सिरसा के डेरा सच्चा सौदा की कमान राम रहीम ने 90 के दशक में संभाली थी। गद्दी संभालने के बाद वे भी परंपरानुसार सत्संग, प्रवचन आदि देने लगे। इनके नेतृत्व में डेरे के भक्तों की संख्या में काफी वृद्धि हुई। आमतौर पर व्यक्तिगत आध्यात्म पर केंद्रित इस संस्था को इन्होंने सामाजिक रूप से सक्रिय बनाया। इनके द्वारा कई प्रकार के सकारात्मक सामजिक कार्य किए गए, यथा: सर्वधर्म समभाव का संदेश देने के लिए इन्होंने अपने नाम में कई सम्प्रदायों के नाम शामिल किए व अपना नाम गुरमीत सिंह से बदलकर गुरमीत राम रहीम सिंह रखा।