Home Business RBI ने घटाया रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेटः क्या है ये और कैसे घटेगी आपकी EMI | जानें सभी सवालों के जवाब

RBI ने घटाया रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेटः क्या है ये और कैसे घटेगी आपकी EMI | जानें सभी सवालों के जवाब

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RBI ने घटाया रेपो रेट, रिवर्स रेपो रेटः क्या है ये और कैसे घटेगी आपकी EMI | जानें सभी सवालों के जवाब

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रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट कम होने से आपके लोन की ईएमआई पर कैसे पड़ता है असर, ऐसे ही कई जरूरी सवालों के जवाब आपको यहां मिल पाएंगे.

नई दिल्लीः आज रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती का एलान कर दिया है. आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका एलान किया. उन्होंने बताया कि नीतिगत दरों में 0.40 फीसदी की कटौती की गई है. यानी रेपो रेट जो कि 4.40 फीसदी पर था वो 4 फीसदी पर आ गया है और रिवर्स रेपो रेट जो 3.75 फीसदी पर था वो घटकर 3.35 फीसदी पर आ गया है.

सवालः क्या है रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट ?

पिछले काफी समय से रिजर्व बैंक लगातार रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट में कटौती करता जा रहा है जिससे बैंकों के पास ग्राहकों को कर्ज देने के लिए ज्यादा रकम रहे. दरअसल आरबीआई छोटी अवधि के लिए बैंकों को जिस दर पर कर्ज देता है उसे रेपो रेट कहते हैं और बैंक जिस दर पर आरबीआई के पास रकम रखकर ब्याज हासिल करते हैं उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं.

सवालः ग्राहकों के कर्ज कैसे होते हैं सस्ते और EMI कैसे घटती है?

रेपो रेट कम होने से बैंकों को कम ब्याज पर आरबीआई से कर्ज मिलता है तो इसके जरिए उनकी फंड पर लागत कम हो जाती है. इसका फायदा वो कर्ज की दरों को सस्ता करके दे सकते हैं. अक्सर जब आरबीआई रेपो रेट कम करता है तो इसके बाद बैंकों के भी लोन की दरों को कम करने का सिलसिला शुरू होता है.

सवालः रिवर्स रेपो रेट कम करने से कैसे मिलता है बैंकों को फायदा?

दिन भर के कामकाज के बाद बैंकों के पास जो रकम बची रह जाती है इस रकम को बैंक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया को देते हैं. इस रकम पर आरबीआई बैकों को ब्याज देता है और आरबीआई इस रकम पर जिस दर से बैंकों को ब्याज देता है, उसे रिवर्स रेपो रेट कहते हैं. रिवर्स रेपो रेट घटाने से आरबीआई बैंकों को ये संदेश देता है कि अपना पैसा आरबीआई के पास रखने की बजाए बैंक लोगों को ज्यादा लोन दें. चूंकि आरबीआई के पास पैसा रखने पर उन्हें कम ब्याज मिल रहा है तो बैंक लोगों को ज्यादा से ज्यादा लोन देते हैं जिसके ईचलते सिस्टम में लिक्विडिटी का फ्लो बना रहता है.

सवालः कैसे रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का बैंकों के लोन पर पड़ता है असर?

रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट आपस में जुड़े हुए हैं. एक तरफ आरबीआई रिवर्स रेपो रेट कम करके बैंकों के पास ज्यादा पैसा छोड़ता है जिससे वो अधिक लोन दे पाएं. वहीं दूसरी तरफ रेपो रेट कम करके बैंकों को सस्ती दरों पर कर्ज मुहैया कराता है जिसका फायदा बैंक अपने ग्राहकों को दे पाएं.

एमपीसी की बैठक पहले 3-5 जून को होनी थी

आरबीआई गवर्नर ने बताया कि पहले एमपीसी यानी आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की बैठक 3 से 5 जून को होनी थी और उसके बाद 5 जून को क्रेडिट पॉलिसी आने वाली थी. हालांकि इसे पहले ही कर लिया गया है और 20 से 22 मई के दौरान हुई बैठक में रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट को घटाने का फैसला लिया गया. एमपीसी के 6 में से 5 सदस्यों ने रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट घटाने के फैसले के पक्ष में वोट किया.

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