वित्त वर्ष 2020-21 में आरबीआई ने देश की जीडीपी निगेटिव रहने का अनुमान दिया है जो कि भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए बेहद चिंता की बात है.
आरबीआई (फाइल फोटो)
नई दिल्लीः रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के गवर्नर शक्तिकांत दास ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस के जरिए देश की अर्थव्यवस्था से जुड़े कई तथ्यों के बारे में बताया. इस कोरोना संकटकाल के दौरान देश की आर्थिक हालात पर क्या असर पड़ा है और इनसे निपटने के लिए आरबीआई क्या कदम उठा रहा है इसकी जानकारी आरबीआई गवर्नर ने दी है. सबसे बड़ी बात ये है कि उन्होंने वित्त वर्ष 2020-21 में देश की जीडीपी के निगेटिव रहने का अनुमान दिया है. हालांकि साल के दूसरी छमाही में जीडीपी में कुछ सुधार आने का अनुमान जताया है.
कोरोना से अर्थव्यवस्था को नुकसान, जीडीपी गिरेगी
शक्तिकांत दास ने बताया है कि कोरोनो संकट के चलते देश की ही नहीं दुनिया की लगभग सभी इकोनॉमी को नुकसान पहुंचा है. अप्रैल में ग्लोबल मैन्यूफैक्चरिंग पीएमआई में ऐतिहासिक गिरावट आई और ये 11 साल के निचले स्तर पर पहुंच गई. इसकी चपेट भी भारतीय अर्थव्यवस्था भी आई है और यहां जीडीपी (ग्रॉस डोमिस्टिक प्रोडक्ट) में भारी गिरावट देखी जाएगी.
The GDP growth in 2020-21 is expected to remain in the negative category with some pick up in second half: RBI Governor Shaktikanta Das pic.twitter.com/wq3VUcBK7C
— ANI (@ANI) May 22, 2020
2021-21 में जीडीपी रहेगी निगेटिव
आरबीआई ने आशंका जताई है कि 2020-21 में भारत की जीडीपी निगेटिव यानी नकारात्मक रहेगी. ये देश की इकोनॉमी के लिए बेहद चिंताजनक खबर है लेकिन इसके पीछे कोरोना संकट सबसे बड़ी वजह है. कोरोना संकट के चलते देश और दुनिया लगभग दो महीने लॉकडाउन में रही है. 2020-21 में जीडीपी के निगेटिव रहने का अंदेशा है लेकिन दूसरी छमाही में कुछ रिकवरी आने की उम्मीद है.
लॉकडाउन के चलते औद्योगिक उत्पादन ठप
भारत में दो महीने से भी ज्यादा समय का लॉकडाउन लगाया गया और इसका सबसे ज्यादा असर औद्योगिक उत्पादन पर देखा गया है. देश के छह राज्य ऐसे हैं जहां सबसे ज्यादा इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन होता है और इनका कुल औद्योगिक उत्पादन में करीब 60 फीसदी योगदान होता है. ऐसे राज्यों में लॉकडाउन के चलते उत्पादन नहीं हुआ और इसके असर से इंडस्ट्रीज के ऊपर बेहद नकारात्मक असर पड़ा है.
आरबीआई लगातार कर रहा है प्रयास
कोरोना संकट के दौरान आरबीआई लगातार स्थिति पर नजर बनाए हुए है और समय-समय पर उसने कई कदम उठाए हैं जिससे सिस्टम में लिक्विडिटी बनी रहे. इसके लिए बैंकों से लेकर एनबीएफसी, नाबार्ड, सिडबी जैसे कई संस्थानों को कैश फ्लो मुहैया कराया गया है.
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