Sufian saifi
RSS और BJP भारत की अर्थव्यवस्था क्यों बर्बाद कर रहे हैं यह समझना हर भारतीय के लिए अनिवार्य है , जानिए क्यों ? जब आप RSS के सर संचालक, गोलवलकर की पुस्तक We Or Our Nationhood Defined को पढोगे तो समझ जाओगे कि अर्थव्यवस्था की कमर तोड़ना RSS का मुख्य मकसद है, यह गोलवलकर की पुस्तक में विस्तार से बताया गया है गोलवलकर ने लिखा है कि हमेशा सत्ता में रहने के लिये 95% देश को बर्बाद करना जरूरी है।
गोलवलकर के नियम के अनुसार 95 % देशवासियों को गरीब बनाया जाता है और चंद गुलाम किस्म लोगों को ही सर्व शक्तिमान बनाया जाता है, ऐसा करके हमेशा के लिये सत्ता को हथियाया जा सकता है यानि सत्ता पर कब्जा बरकरार रखा जा सकता है । नोटबंदी, GST, बैंकों के एनपीए, पीएमसी, सरकारी उपक्रम बेचना, रोजगार खत्म कर देना, दंगे करवा कर खरबों की सम्पति को नुकसान पहुंचना, संविधान को बदल कर कमजोर कर देना, देश से छोटे व्यापार खत्म कर देना और यस बैंक का डूबना और वोडाफोन समेत कई कंपनियों को बर्बाद करके बन्द होने पर मजबूर कर देना, यह सब एक षड्यंत्र के तहत किया जा रहा है । UNO की रिपोर्ट के अनुसार 2016 से 2018 तक रोज 1095 अमीर भारतीय, भारत छोड़ कर विदेशों में बस रहे हैं, इससे खरबों करोड़ रुपये विदेशों में चले गए , यह सब एक बहुत बडी साजिश के तहत किया जा है । सरकार की नीतियों के कारण कई उद्योगपति डिफाल्डर हो गए, जबकि चंद उद्योगपतियों की दौलत सौ गुनी से भी ज्यादा बढ़ गई ये गुलाम उद्योगपति आप जानते हो अम्बानी, अडानी, रामदेव तथा BJP के अपने कई खास लोग ।
जिन उद्योगपतियों ने इनकी बात नहीं मानी उन्हें विदेशों में सैट कर दिया गया और खरबों रुपया उन देशों में इनवेस्ट करने के लिए इन्होंने दिए ताकि वंहां की अर्थव्यवस्था सुदृढ़ हो सके और तब वे देश इन को हिन्दू राष्ट्र बनाने में UNO में इन्हें वोट दे सकें , इतनी गहराई भारत के आम आदमी को समझ नहीं आएगी।
जरा गौर करो कि देश की अर्थव्यवस्था डूब रही है और सरकार के चेहरे पर शिकन भी नहीं है। इन सभी तथ्यों को मिलाकर देखो वही जो गोलवलकर ने कहा है की देश को कमजोर करके बर्बाद कर दो।
अपनी किताब वी और अवर नेशनहुड डिफाइंड में गोलवलकर लिखते हैं-एक अच्छे प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि उसके राज्य में जनता की आमदनी कम से कम रहे धनवान नागरिकों पर नियंत्रण करना कठिन होता है, इसलिए दौलत एक दो या ज्यादा से ज्यादा तीन ऐसे लोगों के हाथ में केंद्रित कर दी जानी चाहिए जो प्रशासक के प्रति बफादार हों। गोलवलकर के उक्त वचन की कसौटी पर सरकार की आर्थिक नीतियों को कसकर देखिए, आपकी समझ में आ जायेगा कि झोल कहां है । उक्त वचन वी और अवर नेशनहुड डिफाइंड के सातवें संस्करण के पेज नंबर 40 से लिया गया है ।
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