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आज से सैकड़ों साल पहले भी कोठे और वेश्याघर हुआ करते थे। इस बात की पुष्टि इतिहास में हो चुकी है। लेकिन वो शहर के बाहर हुआ करते थे। वहां केवल वही लोग जाते थे थे जिनकी पत्नियां मर जाती थी या जो उम्रदराज होते थे जिन्हें औरत का सुख लेना होता था। वेश्यालयों की वजह से ही घरों में ​बहू बेटियां सुरक्ष्ज्ञित रहती थीं। अगर ये धंधे वालियांं न होती तो बेटियां और बहू घर परिवार में सुरक्ष्ज्ञित नहीं रहतीं। विधुर और घर के अन्य बुजु्र्रा अपनी कामेच्छा को शांत करने के लिये बदनाम गलियों में जाते थे। यह कहना गलत न होगा कि घर परिवारों में बहू बेटियां सुरक्षित रखने में वेश्या ओर वेश्यालयों की अहम् भूमिका रही है। समय बदलने के साथ साथ देह व्यापार मे लिप्त औरतों ने भी अपने अपने बिजनेस को हाइटेक कर लिया है।

नारी वेश्या क्यों बनती है। क्या वह जन्म से वेश्या होती है या शौक से वेश्यावृत्ति को अपनाती है। क्या उन्हें अपने परिवार की इज्जत काम ख्याल नहीं आता। वेश्यावृत्ति का जन्म कैसे हुआ आदि न जाने कितने सवाल मेरे मन को चुभ रहे थे। उन्हें क्यों समाज में घृणा की दृष्टि से देखा जाता है क्यों उन्हें वेश्या कहकर अपमानित किया जाता है। आखिर ये सब क्यों और कैसे जिस मानव सभ्यता में नर -नारी को एक साथ विकसित होने का मौका मिला फिर नारी वेश्या के दलदल में क्यों फंसी । इन्ही विचारो में खोया मै एक बुजुर्ग के पास गया वे मेरे परिचित थे। मैने कहा दादाजी लड़की वेश्या क्यों बनती है। वे मेरी ओर अचरज भरी नजरो से देखने लगे और मुस्करा कर बोले -क्यों रे क्या करेंगा जान के। मैने कहा बताओ न दादा ऐसा क्यों करती है लड़की।

वे मुस्करा कर बोले -बेटा लड़की सुन्दर होती है । उनमे कामवासना भी ज्यादा होती है । उनके शौक( क्रीम -पावडर ,खाना पीना,कपड़े ,गहने आदि )ज्यादा होते है। तो कुछ गरीबी के चलते हुए लड़को को जाल में फंसा पैसे ऐंठती है। और अपनी जरुरत को पूरा करती है। और जब लोगो की नजर में आ जाये तो वेश्या बन जाती है। मै बोला- दादाजी क्या उन्हें उनके परिवार भाई बहन आदि का ख्याल नहीं आता। इस तिरस्कार की जिंदगी में उन्हे क्या मिलता है। उनके परिवार पर क्या बीतती है। वे बोले- क्या बीतती है घर से निकाल दी जाती है। और वे भी इसे शौक से अपनाती है। और मन की सारी इच्छा पूरी करती है। मै बोला – पर दादाजी नारी तो कोमलता ,दयालुता और ममता की मूरत होती है जिन्हें वे शौक समझती है हो सकता है ये मानव सभ्यता में उपस्थित एक दुर्गुण हो जिसका जिम्मेदार तुम नारी को बता रहे हो वह दूसरा कोई और हो मेरे ऐसा बोलते ही वह बोले क्यों मेरा दिमाग खा रहा है। तुझे बताया न और मुझे घुरकर देखने लगे । मै चुपचाप उठा और वहाँ से खिसक गया।

एक दिन मै वेश्या के कोठे पर गया। वहा करीब 90-100 लड़कियां खड़ी थी। होंटो पर लिपस्टिक ,मुँह पर पावडर और बालो को विशेष प्रकार से अलग -अलग सजावट में बना रखा था। शरीर पर वस्त्र नाम मात्र के थे। चेहरे पर कामुकता छलकाने का प्रयास कर रही थी। शरीर से हष्ट पुष्ट और कामुकता के लिए अधखुले स्तन थे। जंघा भी खुली दिख रही थी । शरीर पर इत्र की महक और आसपास के वातावरण से एक विशेष दुर्गन्ध आ रही थी। वहाँ कुछ जवान तो कुछ बुढे की चहल पहल दिख रही थी । थोड़ी देर में ही वे लड़कियो के साथ अलग -अलग कमरे में प्रवेश कर गये। मै दूर खड़ा तमाशा देख रहा था। कुछ लोग आ रहे थे तो कुछ लोग जा रहे थे ।

मेरे सीने की धड़कन बढ़ने लगी । मै आज पहली बार यहाँ आया था। मुझे यहाँ के रीती रिवाज पता नही थे ।करीब 10 मिनट बाद मेरे सामने गए हुए लोग बाहर निकल आये । मै एक लड़के के पास गया और बोला भाई तुम अभी तो गए थे । इतने जल्दी आ गए । वह मुझे देख हँसने लगा और कहा तु जा कर देख ले न । मै बोला भाई यह पहली बार आया हूँ। यहाँ तो सब खुलमखुला होता है। लाज शर्म तो मर चुकी है। वह बोला तुझे जाना है क्या? मैने हाँ कर दी । वह मुझे सीधा समझ एक सुंदर समझदार लड़की के पास ले गया और उस लड़की से बोला नया है ये ले ग्राहक और मुझे अकेला छोड़ चला गया ।लड़की बोली कितना देंगा । मै बोला 100 रुपये वह बोली जा रे 100रुपये में क्या होता है। यहाँ तो 300,500,1000 से शुरू होता है जा भग। मै बोला -तु कितना लेंगी । वह बोली-पहली बार आया है क्या ? चल 200 देना आ जा । मै उसके पीछे -पीछे एक कमरे में गया।

उसने कमरे का दरवाजा बंद कर दिया और लाइट चालू कर दिया । उस कमरे में एक पलंग था जिस पर एक गद्दा बिछा हुआ था ऊपर एक पंखा था । दीवारो पर अर्धनग्न हीरो हीरोइन के पोस्टर लगे हुए थे। कोने में एक कचरा का डिब्बा रखा हुआ था । खिड़की में कंडोम का पैकेट पड़ा था।उस कमरे में अलग ही दुर्गन्ध आ रही थी। वह लड़की बोली चल फटा- फट कर और निकल। वह तैयार होने लगी तो मैने उसे रोकते हुए कहाँ मै नही करुँगा । वह मुझे गुस्से से देखने लगी और बोली फिर यहाँ आया क्यों है। में बोला मुझे कुछ जानना है। लड़की बोली क्या जानना है । मै बोला तुम वेश्या कैसे बनी बताओगी। वह मेरे मुँह को देखने लगी। और बोली चुपचाप अपना काम कर और निकल यहाँ से । मे बोला बताने के और कितना लेंगी। वह समझ गयी की मै बिना सुने जाने वाला नहीं हूँ तो उसने मुझे पलंग पर बैठाया और कहा सुन-मै एक गांव की रहने वाली हूँ आज से 5 साल पुरानी बात है।

मै स्कूल से आ रही थी। शाम के 4:30 बजे थे। गांव के ठाकुर रामप्रसाद के बेटे ने अपने दो मनचले दोस्तों के साथ मुझे रास्ते में घेर लिया और परेशान करने लगे उस दिन मै अकेली आ रही थी। मैने विरोध किया और एक लड़के के गाल पर तमाचा जड़ दिया। उन तीनो ने मुझे उठा कर दूर जंगल में ले गए और बारी बारी से मेरा बलात्कार किया । मै रोई उनके सामने गिड़गिड़ाई पर उन दरिंदो को दया नही आई । मुझे वही जंगल में छोड़ तीनो भाग गए। मैने खुद को सम्भाला , शाम के 6:30 बज गए थे। घर पर सभी चिंतित थे। में जैसे तैसे घर गई और माँ पिताजी को सारी घटना बताई । दूसरे दिन पंचायत बुलाई गई । ठाकुर रामप्रसाद उसका लड़का और दोनों लड़को को भी बुलाया गया । पंचायत के मुखिया ने मेरी ओर देखा और कहा ऐ लड़की तेरे साथ क्या हुआ सब बता। मैने सब कुछ बता दिया। वहाँ उपस्थित गांव वाले और ठाकुर वगैर सब हँसने लगे।

मेरे पिताजी के आँखों से आंसू बह रहे थे। तभी ठाकुर का लड़का बोला – मुखिया जी ऐ लड़की झूठ बोल रही है। मै तो रास्ते से जा रहा था। साथ में ये दोनों भी थे। इसी लड़की ने मुझको ऐसा करने को बोला था। अब घर आकर बदल गयी क्योकि मैने उसे पैसे नही दिये । तभी वे दोनों बोले हाँ मुखिया जी इस लड़की ने बदले में 500 रूपये मांगे हमने नही दिये तो घर आकर सब बता दिया । मेरी आँखों से आंसू छलक पड़े। मुखिया ने मुझसे कहा – क्यों लड़की ये सच है क्या? में कुछ न बोली क्योकि मुझे मालूम था। ये झूठ बोलकर सच को झूठ और झूठ को सच कर सकते है। तभी एक व्यक्ति जो ठाकुर का खास था बोला – इस लड़की के लक्षण ठीक नही है। इसे गाँव में रहने का कोई हक़ नही है। अगर ये गांव में रही तो हमारे बच्चों को भी बिगाड़ देंगी। सभी गांव वाले हाँ में हाँ मिलाने लगे। मुखिया ने पिताजी से कहा- देखो तुम्हारी लड़की जवान लड़को को बिगाड़ रही है इसे घर से निकाल दो या तुम गांव छोड़ के चले जाओ। मै बोली में ही चली जाती हूं , पिताजी कही नही जायेंगे।

पिताजी रो रहे थे। और मुखिया मंद-मंद ठाकुर की ओर देख हँस रहा था। मै घर से कुछ पैसे और कपडे ले उसी दिन गांव छोड़ शहर में आ गई , सोचा यहाँ मेहनत करुँगी और खुद अपनी जिंदगी बनाउंगी । मै काम की तलाश में एक सेठ के यहाँ गयी। उस सेठ ने मुझे मिल में दाने साफ़ करने और झाड़ू लगाने का काम दिया। वहा मुझे 700 रूपये महीने पर रख लिया ।और मैने थोड़ी दूर एक मकान किराये पर ले लिया था। मिल में मेरा आज पहला दिन था। मेने दोपहर तक काम किया और बैठ गयी क्योकि सभी लोग खाना ले कर आये थे और में नही लाई थी। तभी सेठ आया और बोला क्यों खाना नही लाई क्या? मै बोली नहीं लाया सेठ जी। ये ले खाना और सेठ ने मुझे एक कमरे में भेज दिया । मै खाना खा रही थी की सेठ पीछे से आया और दरवाजा बंद कर मुझसे जबरदस्ती करने लगा। मैने मना किया और भागने लगी फिर भी उस हैवान ने मुझे अपनी हवस का शिकार बना लिया।

मैने उसी दिन काम छोड़ दिया और कमरे पर आकर खूब रोई मुझे घर की याद आ रही थी। पर मै घर भी नही जा सकती थी। 10 दिन में घर पर रही । एक दिन में बाजार गयी तो मेरी मुलाकात एक औरत से हुई । उसने मुझे अपने पास बैठाया और कहा क्या नाम है तेरा। मै- पूजा वह- क्या करती हो ।मै- कुछ नही काम की तलाश है।वह- कौन-कौन साथ में रहते है। मै- कोई नही रहता अकेली हूँ,और बातो ही बातो मैने अपनी सारी आपबिती उसे सुना दी। वह- अब क्या करोगी। मै- कुछ भी काम।वह- एक काम है करोगी। इसमे पैसा तो बहुत है साथ ही कभी मौका मिला तो तुम उन लड़को से अपना बदला भी ले सकती हो। इस तरह उसने मुझे बहला फुसलाकर वेश्या बना दिया।

एक दिन मै शहर के बीच बने तालाब किनारे पार्क में बैठी थी। तभी मुझे वे तीनो लड़के दिखे । उन्होंने शराब के नशे में मुझे पहचाना नही उन्हें एक वेश्या की तलाश थी । में उनके पास गयी और बात की वे मान गए वे और शराब पी रहे थे। तभी एक ने मुझे नाश्ता लाने को कहा । मै नाश्ता लाने गई और चुपके से उसमे जहर मिला दिया । वे तीनो नशे में धुत नाश्ता खाने लगे । एक ने मेरा हाथ पकड़ने की कोशिश की में अपना हाथ छुड़ा दूर खड़ी हो गयी। देखते ही देखते वे तीनो जमीन पर सो गए। में वापस आ गयी। दूसरे दिन खबर पढ़ी की तीन लड़को की लाश पार्क में मिली। उस दिन मुझे 3 साल बाद सुकून मिला । आज दो साल हो गए में यही रहती हूँ। मैने देखा उसकी आँखो में आंसू थे। में खड़ा हुआ और उसे 300 रु. देने लगा । वह बोली आज पहली बार यहाँ आकर किसी ने दुःख पूछा है। यहाँ जो भी आता हैँ अपनी हवस शांत कर चला जाता है। किसी ने भी हमदर्दी नही जताई में तुमसे पैसे नही ले सकती। उसकी आँखों से आंसू बहने लगे ,वह बोली “कोई भी लड़की अपनी मर्जी से वेश्या नही बनती बल्कि बना दी जाती है। ” हर लड़की का अपना परिवार होता है। घर होता है परन्तु हवस के पुजारी मासूमो का शिकार कर मजबूर करते है ।

-हिन्दी लेखक परिवार

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