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दिल्ली का दंगल—कपिल मिश्रा करावल नगर में जीत पायेंगे!
भाजपा ने कपिल मिश्रा को करावल नगर विधानसभा से टिकट दिया है। वहां के वर्तमान बीजेपी विधायक का टिकट कटने से क्षेत्र में नाराजगी देखी जा रही है। करावल नगर के पांच बार के विधायक मोहन सिंह विष्ट ने अपना टिकट कटने पर प्रतिक्रिया दी है कि भाजपा नेतृत्व ने मेरा टिकट काट कर न जाने किन ऐरे गैरे नत्थू खैरे को टिकट दिया इसका परिणाम ठीक नहीं होगा।

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Ex MLA and Aap leader Kapil Mishra joined BJP at Delhi BJP Office

कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी से 2015 में विधायक चुने गये थे। आम आदमी पार्टी को प्रचंड बहुमत मिलने से पूरा देश चौंक गया था। 70 में 67 सीट जीत कर आप ने कांग्रेस और भाजपा को धूल चटा दी थी। संयोजक अरविंद केजरीवाल सीएम बने और उनकी सरकार मे कपिल मिश्रा को जल संसाधन मंत्रालय बनाया। आप नेता के रूप में वो पीएम मोदी और सरकार की जम कर ​खिंचाई और हमले करते थे। उनके वीडियो जनता में काफी वायरल हुए थे। लेकिन अनियमितताएं मिलने पर उनको मंत्री पद से हटा दिया गया। उसके बाद से ही कपिल मिश्रा आम आदमी पार्टी खिंचे खिंचे रहने लगे। वो भाजपा के राजनीतिक कार्यकमों हिस्सा लेने लगे।
पार्टी से नि​काले गये थे कपिल मिश्रा
पार्टी विरोधी गतिविधियों में लिप्त होने के कारण कपिल मिश्रा को निकाल दिया। कपिल मिश्रा पार्टी से निकलने के बाद उनके निशाने पर केजरीवाल और सरकार को निशाने पर रखने लगे। उन्होंने केजरीवाल और मनीष सतेंद्र जैन पर दो करोड़ की घूस लेने का आरोप लगाया। 2018 में वो बीजेपी में शामिल हो गये।

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BJP leader kapil Mishra got Y class Security from Delhi Police

उनकी मां अन्नपूर्णा मिश्रा भाजपा की नेता और मेयर थी। आज के समय में कपिल मिश्रा भगवा रंग में रंग चुके हैं। वो जमकर आम आदमी पार्टी की सरकार और अरविंद केजरीवाल को निशाने पर लिये हैं और जिन पीएम मोदी को पानी पी पी कर कोसते थे आज अनकी आरती करने में जुट गये हैं।
इंडिया अगेंस्ट करप्पशन और आम आदमी पार्टी
दिल्ली की राजनीति में अगर कपिल मिश्रा की चर्चा न हो ऐसा हो ही नहीं सकता है। लगभग 15 साल में दिल्ली की राजनीति में आम आदमी पार्टी का उदय हुआ। इस पार्टी का जन्म इंडिया अगेंस्ट करप्पशन आंदोलन के गर्भ से हुआ। इस आंदोलन के पीछे आरएसएस का हाथ था। इस बात का खुलासा बाद में हुआ कि कांग्रेस की सरकार को अस्थिर करना और भाजपा को स्थापित करने के लिये अन्ना हजारे को आगे किया गया। इस आंदोलन में अरविंद केजरीवाल, किरण बेदी, मनीष सिसोदिया, प्रशाांत किशोर, प्रो आनंद और कपिल मिश्रा समेत अनेक गणमान्य लोग शामिल हुए। आंदोलन के बाद ही अरविंद केजरीवाल ने राजनीतिक दल आदमी पार्टी का गठन किया। 2013 में पहली बार आम आदमी पार्टी ने विधानसभा चुनाव लड़ा। आप के प्रदर्शन से कांग्रेस और भाजपा को हिला कर रख दिया। आप के 28 नेता विधायक चुन कर विधानसभा पहुंचे। भाजपा के पास भी सरकार बनाने का बहुमत नहीं था। आप ने यह प्रचारित और प्रसारित किया कि वो नयी प्रकार की राजनीति करने आये हैं न उन्हें सत्ता कर सुख चाहिये और न ही वीआईपी कल्चर। लेकिन सरकार बनने के बाद आम आदमी पार्टी के नेताओं ने वही सब कुछ करना शुरू कर दिया जिसका विरोध करने के लिये वो राजनीति में आये थे। कांग्रेस और भाजपा केजरीवाल और आप को इन्हीं सब मुद्दों पर घेर रहे हैं।
राजमहल बनाम शीशमहल चुनावी मुद्दे
दिल्ली विधान सभा चुनाव के लिये 5 फरवरी को दिल्ली में वोटिंग होगी और 8 को रिजल्ट आयेंगे। चुनावी बुखार चरम पर है। हर पार्टी एक दूसरे पर आरोप प्रत्यारोप लगा रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी सरकार पर भाजपा और कांग्रेस भ्रष्टाचार का आरोप लगा रही हैं। पूर्व सीएम संयोजक केजरीवाल और शीर्ष नेताओं पर ईडी सीबीआई ने दिल्ली शराब घोटाले में कई मामले दर्ज कराये गये। काफी समय तक सीएम से लेकर मंत्री और नेताओं को जेल भी भेजा गया। इस बीच मीडिया ने फर्जी आरोपों को सुबह से शाम तक डिबेट के रूप में चलाया गया। पिछले 11 साल में मीडिया के रोल की जमकर निंदनीय योगदान किया। इसके अलावा संवैधानिक पदों पर बैठे लोग राजनीतिक प्रभाव से ग्रस्त हैं। दिल्ली सरकार और सीएम आवास को लेकर भाजपा और कांग्रेस अनर्गल आरोप लगाया जा रहा है वहीं आम आदमी पार्टी पीमएम आवास को लेकर राजमहल बनाने को मुद्दा बना रही है। जनता के मुद्दे गौण हो गये हैं। कोई महिलाओं की सशक्तिकरण के नाम पर 2100 रुपये देने का वादा कर रही है तो दूसरी पार्टीी 2500 रुपये का दावा कर रही है। यह भी सच है कि दिल्ली के चुनाव में सीधी टक्कर बीजेपी और आप के बीच है। कांग्रेस तो खामखां ही कवायद कर रही है। लेकिन इसका फायदा भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस और भाजपा दोनों के निशाने पर आम आदमी पार्टी है। यह बात भी साफ है कि पिछले दस सालों में आम आदमी पार्टी की सरकार से जनता कोे काफी राहत मिली है। भाजपा केवल विज्ञापनों के सहारे केजरीवाल सरकार को बदनाम करने का प्रयास कर रहे हैं। वहीं कांग्रेस की हालत बेगानी शादी में अब्दुल्लाह दीवाने जैसी हो गयी है। वर्तमान में कांग्रेस का अधिकांश वोटर आम आदमी पार्टी और भाजपा में खिसक गया है। फिलहाल कांग्रेस पार्टी कार्यकर्ताओं को राहुल गांधी से ही चमत्कार की उम्मीद है।

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