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दिल्ली विधानसभा चुनाव के लिये मतदान 5 फरवरी को होने हैं और परिणाम 8 फरवरी को आने हैं। इस बार के चुनाव काफी रोचक होने वाले हैं। रोचक होने के साथ काफी नफरती और बदतमीजी से भरपूर होते जा रहे हैं। भाजपा नेताओं द्वारा अभद्रता और अश्लील भाषा का इस्तेमाल किया जा रहा है। पिछले दस सालों से आम आदमी पार्टी की सरकार चल रही है। कांग्रेस और भाजपा पिछले एक दशक से दिल्ली में सरकार बनाने को बेकरार हैं। भाजपा के केवल विधायक हैं तो कांग्रेस का एक भी विधायक नही हैं। इसलिये नयी दिंल्ली विधानसभा सीट पर चौथी बार अरविंद केजरीवाल चुनाव लड़ रहे हैं। वहां पर उनकी घेराबंदी करने के लिये कांग्रेस और भाजपा ने दो मजबूत प्रत्याशी उतार दिये हैं। दोनों ही पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे हैं। शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित और साहिब सिंह वर्मा के बेटे पूर्व सांसद प्रवेश सिंह वर्मा अरविंद केजरीवाल को हराने का प्रयास करते दिख रहे हैं।
छह माह पहले कांग्रेस और आप इंडिया के दल थे
पिछले साल आम चुनाव के लिये इंडिया ब्लाक के तहत एक साथ मिलकर मोदी शाह के खिलाफ चुनाव लड़े थे। लेकिन चुनाव परिणाम भाजपा के पक्ष में आये। इंडिया गठबंधन तहत राहुल गांधी और केजरीवाल ने मिलकर सभाएं व रैलियां की थीं। लेकिन छह माह बाद ही इंडिया ब्लाक में टूट दिखने लगी। कांग्रेस ने यह फैसला किया कि दिल्ली में वो आम आदमी पार्टी के खिलाफ चुनाव लड़ेंगे। संदीप दीक्षित ने तो अरविंद केजरीवाल के खिलाफ मामला भी दर्ज करा दिया। अजय माकन ने तो आप संयोजक अरविंद केजरीवाल को राष्ट्रद्रोही ही करार दे दिया। अब विधानसभा चुनाव के प्रचार में आप और कांग्रेस एक दूसरे को पानी पी पी कर कोस रहे हैं।
दिल्ली में भाजपा और कांग्रेस का दुश्मन एक
आमतौर पर यह देखा जा रहा है कि वो भाजपा को हमेशा निशाने पर रखती है लेकिन इस चुनाव में कांग्रेस का निशान केवल आम आदमी पार्टी की सरकार और अरविंद केजरीवाल हैं। वहीं भाजपा के निशाने पर कांग्रेस नहीं बल्कि अरविंद केजरीवाल और दिल्ली सरकार है। भाजपा शीशमहल और दिल्ली शराब घोटाले के फर्जी मामलों में बदनाम करने की साजिश रच रही है। भाजपा पिछले 26 साल से दिल्ली में सत्ता के लिये बेकरार है। वहीं कांग्रेस और शीला दीक्षित सरकार के भ्रष्टाचार को निशाने पर रख कर केजरीवाल ने दिल्ली की सत्ता पर कब्जा जमाया है। यह बात भी सच है कि दिल्ली सरकार की दस साल की सरकार की कुछ तो कमियां हैं जिनसे जनता नाखुश है। लेकिन जनता इतनी भी नाराज नहीं है कि वो आम आदमी पार्टी की सरकार के बदले कांग्रेस या भाजपा को जिता दे। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि दिल्ली सरकार ने निचले तब के गरीब और असहाय लोगों को काफी राहत दी है। फ्री बिजली पानी, डीटीसी बसों में महिलाओं को यात्रा और अच्छी स्वास्थ्यसेवा दी है। सरकारी स्कूलों की हालत भी पहले से काफी बेहतर हुई। दिल्लीवासी इस बात से इनकार नहीं करते हैं। यहीं वजह है कि आम आदमी पार्टी इस बात को विश्वास करते हैं कि सरकार तो उनकी बनने वाली है लेकिन पहले से कुछ कम सीटें आ सकती हैं। आने वाली सरकार में सीएम का पद आप संयोजक अरविंद केजरीवाल ही संभालने जा रहे हैं ऐसा आप उम्मीद कर रही है।
केजरीवाल के सामने कौन दे रहा चुनौतियां
आम आदमी पार्टी ने अपने सीएम के नाम को पहले ही बता दिया है कि उनकी सरकार के सीएम फेस अरविंद केजरीवाल है। वही न तो भाजपा ने अपना सीएम फेस ऐलान किया है और न कांग्रेस ने। इस बात से साफ हो रहा है कि केजरीवाल की लोकप्रियता के सामने कोई भी नेता मुकाबले करने का साहस नहीं कर सकता है। इस बात से कोई भी इनकार नहीं किया जा सकता है। देश में मोदी के बाद अरविंद केजरीवाल ही ऐसे नेता हैं जो पीएम मोदी और अमित शाह को सीधा निशाने पर लेते हैं। भाजपा और कांग्रेस के पास अरविंद केजरीवाल को हराने का साहस या हिम्मत नहीं है।

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