Ex EC Arun Goel's appointment set a dispute which is raised in Supreme Court
Ex EC Arun Goel's appointment set a dispute which is raised in Supreme Court

#Election Commission of India# Resign of Election Commissioner# EC Arun Goel# Gen. Election 2024#CEC Rajiv Kumar# BJP# Ex Judge Abhijit Ganguly# TMC Govt.# MP Abhishek Banerjee#

पिछले सप्ताह देश के दो अहम् हस्तियों ने अपने पदों से इस्तीफा दे कर देश को चौंका दिया है। चर्चा यह है कि आखिर इन दो उच्चपदस्थ अधिकारियों ने किन हालातों में इस्तीफा पेश कर दिया है। पहले हाई कोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने पांच मार्च को अपना इस्तीफा दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने सात मार्च को ही भाजपा ज्वाइन कर ली। ये भी चर्चा है कि वो आम चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव भी लड़ सकते हैं। दूसरे अफसर चुनाव आयुक्त अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। दिलचस्प बात यह है कि उनका यह इस्तीफा उस समय आया जब कि सिर पर लोकसभा का चुनाव खड़ा है। ऐसे में चुनाव आयुक्त का रिजाइन करना चर्चाओं को जन्म देता है। वैसे श्री गोयल ने अपने इस्तीफे में कारण निजी समस्या का जिक्र किया है। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि जिस तड़ पड़ में इस्तीफा दिया गया उतनी तेजी से कानून मंत्रालय ने उसे स्वीकार कर राष्ट्रपति के पास भेज दिया। राष्ट्रपति मुर्मू ने बिना किसी हील हुज्जत के इस्तीफा स्वकार करने में देरी नहीं की। यही सब बातों से चुनाव आयुक्त के रिजाइन पर आशंकाएं जन्म ले रही हैं। सरकार की खामोशी और राष्ट्रपति की तेजी भी कुछ और कहानी बता रही है।
सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त ही निर्णय लेंगे
जैसा कि सबको मालूम है कि पिछले माह ही चुनाव आयुक्त अनूप चंद्र पाण्डेय का कार्यकाल खत्म हुआ वो पद भी रिक्त है। अभी उस पद पर कोई नियुक्ति नहीं हुई है। पाण्डेय के रिटायरमेंट से उपजी समस्याओं से चुनाव आयोग निपटने की तैयारी में था कि अचानक श्री गोयल ने अपने इस्तीफे से चुनाव आयोग और देश को चौंका दिया है। अब सिर्फ चुनाव आयोग में सिर्फ मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार के कंधों पर लोकसभा के चुनाव कराने की जिम्मेदारी है। वैसे तो राजीव कुमार पूरे देश में घूम घूम कर चुनाव की तैयारियों का जायजा ले रहे हैं। अभी तक तो राजीव कुमार के साथ अरुण गोयल साथ रहे हैं। अचानक ऐसा क्या हो गया कि उन्होंने निजी कारण बता कर चुनाव आयुक्त पद से इस्तीफा दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार भी फरवरी 2025 में रिटायर हो रहे है। उनके जाने के बाद अरुण गोयल ही थे जिनका मुख्य चुनाव आयुक्त बनना तय था।

Ex EC Arun goel resign recently before general election 2024
Ex EC Arun goel resign recently before general election 2024

आखिर अरुण गोयल को इस्तीफा क्यों!
दिलचस्प बात यह है कि जब अरुण गोयल को चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था तब भी विवाद उत्पन्न हुआ था। उनकी नियुक्ति को लेकर सुप्रीमकोर्ट में मामला गया था। सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड ने कहा था कि चुनाव आयुक्त की चयन प्रक्रिया को पारदर्शी बनाना होगा। उन्होने केन्द्र सरकार से चुनाव आयुक्त के चयन प्रक्रिया की पूरी फाइल तलब की था।दिलचस्प बात यह है कि नवंबर 2022 में अरुण गोयल को सरकार द्वारा चुनाव आयुक्त नियुक्त किया था। 18 नवंबर को अरुण गोयल ने अपने पद से इस्तीफा दिया था अगल दिन 19 नवंबर को उन्हें चुनाव आयुक्त के रूप में नियुक्त कर दिया गया। राजनीतिक गलियारे में ये चर्चा हुई कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में सरकार ने इतनी सक्रियता क्यों दिखायी। सुप्रीमकोर्ट ने भी सरकार की ​सक्रियता पर सवालिया निशान उठाये थे। इस बात पर सरकार की ओर से कोई सफाई नहीं दी गयी। सरकार पर यह आरोप लगा कि वो ऐसी संवैधानिक संस्थाओं पर अपने करीबी अफसरों को तैनात किया जा रह है। ताकि सरकार के हितों की रक्षा में ये अफसर वफादारी निभाएं। श्री गोयल के इस्तीफे के पीछे यह अनुमान लगाया जा रहा है कि शायद वो राजनीति में जाना का मन बना रहे हों। यह भी चर्चा है कि वो चुनाव आयोग में वजूद को लेकर परेशान थे। उनके और राजीव कुमार के बीच अन बन रहने की बात भी सुनी जा रही है। ये भी चर्चा है कि आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर वो काफी असहज हो रहे थे।

Ex Judge Abhijit Ganguli after resign joined BJP. They are interested to conntest  as BJP Candidate in W bengal
Ex Judge Abhijit Ganguli after resign joined BJP. They are interested to conntest as BJP Candidate in W bengal

अभिजीत गांगुली के फैसले पर चर्चा क्यों!
कलकत्ता हाई कोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने पांच मार्च को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। सात मार्च को श्री गांगुली ने भाजपा की सदस्यता ले ली। यह सब इतना तुरत फुरत हुआ कि लोग हैरान हो गये कि राजनीति में जाने को गांगुली को इतनी जल्दी क्यों थी। यह पहली बार नहीं हुआ कि किसी जज ने राजनीति में कदम रखे हैं। इससे पहले जस्टिस पी सदाशिव को भाजपा सरकार ने केरल का राज्यपाल बनाया था। मोदी सरकार ने उन्हें अमित शाह मामले में क्लीनचिट देते हुए बरी किया था। हाल ही में ज्ञानवापी मस्जिद मंदिर मामले में हिन्दुओं के पक्ष में फैसला दिया था उन्हें मोदी सरकार ने किसी विवि में लोकपाल पद पर नियुक्त किया है। नवंबर 2020 में बाबरी मस्जिद और राम मंदिर की सुनवायी सुप्रीम कोर्ट में हो रही थी। उस समय सीजेआई रंजन गोगोई थे संवैधानिक पीठ में मौजूद जजों ने राम मंदिर मंदिर के पक्ष में फैसला दिया था। दो तीन माह बाद ही भाजपा ने गोगोई को राज्य सभा का सदस्य मनोनीत कर संसद भेज दिया। उसके बाद कुछ और जजों को भी सरकार ने रिटायरमेंट के बाद उच्च पदों पर नियुक्त किया है।

Ex High Court Justice Abhijit ganguli is very upset with Mamta govt.
Ex High Court Justice Abhijit ganguli is very upset with Mamta govt.

जस्टिस गांगुली ममता सरकार से खफा रहे
कोलकाता हाईककोर्ट के पूर्व जज अभिजीत गांगुली का ममता सरकार से छत्तीस का आंकड़ रहा है। पिछले दो तीन सालों में उन्होंने 14 मामलों में टीएमसी सरकार के केन्द्रीय जांच एजेंसियों को जाच के आदेश दिये थे। गांगुली के निशाने पर ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी खासतौर पर रहे। उन्होंने सांसद अभिषेक बनर्जी को कहा ​था कि वो अपनी संपत्ति कर पूरा विवरण सोशल मीडिया पर पोस्ट करें। टीएमसी नेता कुणाल घोष ने यहां तक कह दिया था कि उन्हें खुलकर भाजपा का पट्टा पहन लेना चाहिये। सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व जज गांगुली को इस बात के लिये नसीहत दी कि उन्होंने पद पर रहते हुए न्यूज चैनल पर कोर्ट में चल रहे केस पर इंटरव्यू दिया था। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने इस बात को माना कि जज रहते हुए भाजपा के संपर्क में थे और भाजपा उनके संपर्क में थी। इस बात से राजनीति में चर्चा है कि संवैधानिक पदों पर बैठे लोग राजनीति में आते हैं तो उनके पांच साल के कार्यकाल की जांच होनी चाहिये।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here