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झारखंड विधान सभा चुनाव में कौन रहेगा बीस
चुनाव आयोग ने 15 तारीख को महाराष्ट्र और झारखंड विधान सभा के चुनावों की घोषणा कर दी। महाराष्ट्र की 288 सीटों वाली विधानसभा का मतदान एक चरण में संपन्न कराया जायेगा वहीं 81 सीटों वाले झारखंड में दो चरणों में चुनाव कराये जायेंगे। चुनाव आयोग ये बताने में असफल रहा कि ऐसा करने की वजह क्या है। चुनाव की घोषणा होते ही राजनीतिक दल चुनाव प्रचार औ जनता को लुभाने में जुट गये हैं।

झारखंड में किसका पलड़ा भारी
झारखंड के राजनीतिक माहौल के बारे में ये कहा जाये कि दोनों ही गठबंधन एक दूसरे को पटखनी देने की रेस में है। एनडीए चुनाव जीतने के लिये स्थानीय नेताओं को अपने पाले कर चुनावी समीकरण बैठाने मेंं जुटा है। वहीं सीएम हेमंत सोरेन आदिवासी वोटों के जरिये दोबारा सत्ता में काबिज होना चाहते हैं। जेएमएम और कांग्रेस मिलकर एनडीए को कड़ी टक्कर देते दिख रहे हैं। वहीं एनडीए ने पूर्व मुख्यमंत्री चंपई सोरेन को अपनी पार्टी में शामिल कर जेएमएम को कमजोर करने का प्रयास किया। लेकिन चंपई सोरेन भाजपा को कितना फायदा पहुंचा पायेंगे ये आने वाला चुनाव ही बतायेगा। भाजपा ने सोचा था कि चंपई सोरेन प्रदेश में सीए रहे हैं उनका प्रभाव अच्छा ही होगा। चंपई सोरेन को कोल्हन का टाइगर कहा जाता है। भाजपा को उम्मीद है कि चंपई के प्रभाव से कोल्हन में सीटों का फायदा हो जायेगा। लेकिन जब चंपई सोरेन ने जेएमएम छोड़ा तो उनके साथ पार्टी का कोई विधायक या नेता बागी नहीं हुआ।
बल्कि गद्दार होने का तमगा जरूर लग गया।
हेमंत सोरेन ने जंल जाने से पहले चंपई को सीएम बनाया
इसी साल ईडी ने सीएम हेमंत सोरेन के खिलाफ एक संपत्ति का मामला दर्ज कर उनकी गिरफ्तारी के लिये दबाव बनाया। केन्द्र सरकार चाह रही थी कि सोरेन भाजपा के साथ मिलकर झारखंड की सरकार चलायें। मोदी शाह का कहना था कि कांग्रेस और आरजेडी को छोड़ दें। भाजपा उन्हें सीएम बना देगी। लेकिन हेमंत सोरेन भाजपा की कूटनीति को भली प्रकार से समझते हैं। उन्होंने भाजपा का प्रस्ताव न मानते हुए इंडिया ब्लाक में बने रहे। ये बात मोदी शाह को पच नहीं रही थी।

इसलिये सीबीआई और ईडी को हेमंत सोरेन के पीछे लगा दिया गया। हेमंत सोरेन का लगा कि ईडी उन्हें किसी भी हाल में जेल पहुंचा कर मानेगी इसलिये उन्होंने सरकार के वरिष्ठ मंत्री चंपई सोरेन को सीएम पद पर बैठा दिया। उस वक्त यह चर्चा हुई कि सोरेन अपनी पत्नी को सीएम बनाने वाले हैं। लेकिन चंपई सोरेन को मुख्यमंत्री बना कर हेमंत सब चर्चाओं पर विराम लगा दिया। तब आम चुनाव में कल्पना सोरेन और चंपई ने सरकार और पार्टी को मजबूत करने का काम किया। लेकिन जब हेमंत सोरेन को हाईकोर्ट से राहत मिली और उनकी रिहाई हो गयी। वापस लौट कर हेमंत सोरेन ने चंपई सोरेन से इस्तीफा देने को कहा। ऐसे में चंपई सोरेन को सीएम पद की लत गयी थी। उन्होंने पार्टी से बगावत कर भाजपा को दामन थाम लिया है। दिलचस्प बात यह है कि क्या भाजपा चंपई सोरेन को सीएम फेस बनायेगी जिस वजह से वो जेएमएम छोड़ कर आये हैं। भाजपा तो पहले से ही सीएम पद के लिये अनेक नेता हैं जैसे अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, करिया मुंडा घात लगाये बैठे हैं।
भाजपा को मुंह जवाब दिया हेमंत सोरेन ने
चुनाव जीतने के लिये भाजपा ने तरह तरह की योजनाएं चलाने का वादा किया है। फ्री बिजली, 18 साल से 55 साल की युवतियों व महिलाओं के लिये आर्थिक मदद की घोषणा, बेरोजगार युवाओं के लिये भत्ते की स्कीम भी घोषित की है। हेमंत सोरेन महिलाओं के लिये मइमा सम्मान योजना में पहले 1500 रुपये भत्ते की घोषणा की थी। लेकिन भाजपा ने गोगो दीदी योजना में 2100 रुपये month की घोषणा कर दी तो हेमंत सोरेन ने 30000 रुपये year की घोषणा कर दी है। पहले सभी दल आम आदमी पार्टी की योजनाओं को फ्रीबीज कहते थे। लेकिन इस समय कांग्रेस भाजपा समेत सभी दल इस तरह की मुफ्त योजनाओं का ऐलान चुनाव जीतने को कर रहे हैं। दिल्ली में इन योजनाओं की वजह से कांग्रेस और भाजपा आम आदमी पार्टी का मुकाबला नहीं कर पा रही है।