China के लिए US और UK ने UNSC में मुश्किलें खड़ी करने का फैसला कर लिया है। UNSC की मीटिंंग में बंद कमरे में Hong-Kong के मुद्दे पर चर्चा की जाएगी। पहले चीन ने पाकिस्तान के समर्थन पर इसी तरह Kashmir के मुद्दे पर चर्चा की मांग की थी लेकिन तब सदस्य देशों ने उसे दो-टूक जवाब दे दिया था।
Edited By Shatakshi Asthana | नवभारतटाइम्स.कॉम | Updated:
पेइचिंग
हॉन्ग-कॉन्ग पर अधिकार जमा रहे चीन को अपना ही पुराना पैंतरा भारी पड़ गया। दरअसल, डिप्लोमैटिक सूत्रों के मुताबिक संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) ने फैसला किया है कि हॉन्ग-कॉन्ग के मुद्दे पर ‘Any Other Business’ के अंतर्गत चर्चा की जाएगी। यानी इसे लेकर औपचारिक नहीं, बल्कि बंद कमरे में बात होगी। दरअसल, इससे पहले चीन ने ऐसे ही UNSC में कश्मीर के मुद्दे को पाकिस्तान के कहने पर बंद कमरे में उठाया था। हालांकि, उसका दांव उल्टा पड़ गया था और परिषद के सदस्यों ने उसे दो-टूक जवाब दिया था कि कश्मीर भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है।
ब्रिटेन-अमेरिका ने की मांग
हॉन्ग-कॉन्ग को लेकर चीन के रवैये से नाराज अमेरिका और ब्रिटेन की अपील पर बंद कमरे में यह चर्चा होगी। यह परिषद के अजेंडे में शामिल नहीं होगा। अमेरिका ने भी कहा था कि यह वैश्विक चिंता का मुद्दा है जिसमें अंतरराष्ट्रीय शांति और सुरक्षा भी शामिल है और UNSC को इस पर ध्यान देना चाहिए। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉनम्पियो ने कहा था कि आज की तारीख में कोई भी यह नहीं कह सकता कि हॉन्ग कॉन्ग को चीन से स्वायतत्ता मिली हुई है। इसे लेकर अब कोई उम्मीद नहीं बची है।
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हॉन्ग-कॉन्ग को दिया समर्थन
माइक ने कहा था, ‘आज मैंने यूएस कांग्रेस को बता दिया है कि हॉन्ग कॉन्ग को अब चीन से मिली स्वायतत्ता खत्म हो गई है। इसे लेकर तथ्य भी पेश किए गए हैं। अमेरिका हॉन्ग कॉन्ग के लोगों के साथ खड़ा रहेगा।’ ब्रिटेन ने भी चीन से अपने कदम पीछे खींचने की मांग की थी और कहा था कि अगर चीन ने हॉन्ग-कॉन्ग में नैशनल सिक्यॉरिटी कानून लागू किया तो ब्रिटिश नैशनल ओवरसीज पासपोर्ट होल्डर्स (BNO) का दर्जा बदल दिया जाएगा।
ऐसे शुरू हुआ आंदोलन
पाक के समर्थन में चीन उठाया था कश्मीर मुद्दा
पाकिस्तान के समर्थन में चीन ने UNSC की बैठक के दौरान बंद कमरे में कश्मीर का मामला उठाने की कोशिश की थी। हालांकि, बाकी देशों का समर्थन मिलना तो दूर, उसे फजीहत झेलनी पड़ी क्योंकि परिषद के सभी सदस्य देशों ने इसक कदम का विरोध किया। उन्होंने साफ कहा कि इस मुद्दे पर बहस के लिए वह जगह सही नहीं थी। उन्होंने चीन को दो-टूक जवाब दिया था कि यह भारत और पाकिस्तान का द्विपक्षीय मुद्दा है।
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