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ज मीडिया जगत में यह चर्चा है कि पंजाब पुलिस ने टीवी न्यूज चैनल की प्रतिनिधि को गिरफ्तार कर लिया उसके साथ गलत व्यवहार कर किया है। देश के बड़े ब्राडकास्ट टीवी चैनल और भाजपा के नेता पंजाब पुलिस और अरविंद केजरीवाल के खिलाफ ट्वीट कर रहे हैं। पंजाब पुलिस ने अगर भावना किशोर को अगर अरैस्ट किया है तो उसके पीछे उनके कारण भी होंगे। एक पत्रकार होने के नाते पत्रकार की गिरफ्तारी का हमें विरोध करना चाहिये। लेकिन अब पत्रकारों के समर्थन में यह देखा जा रहा है कि यह गोदी मीडिया के साथ जुड़ा है इसलिये उसके सर्र्थन में आवाज बुलंद करनी है। अगर वो खांटी पत्रकार है और हमेशा सच के साथ खड़ा रहने वाला है। उसके साथ पुलिस ज्यादिती हो रही है तब उसके समर्थन मे कितने गोदी पत्रकार साथ में खड़े होते हैं। दिलचस्प बात यह है कि अगर यह मामला किसी बीजेपी शासित राज्य में होता तो मजाल है कि किसी गोदी मीडिया के चैनल या पत्रकार भावना किशोर के पक्ष में ट्वीट करते। उनके मुंह में गोबर भर गया होता। पत्रकारों को समझना चाहिये कि राजनीतिक दल उनका उपयोग उसी तरह कर रहे हैं जैसे कि दूध पीने के बाद कुल्हड़ को फोड़ दिया जाता है। दूसरा उदाहरण थोड़ा अश्लील है लेकिन कहा जाता है कि कंडोम की तरह पत्रकारों का इस्तेमाल सत्ता और पार्टी कर रही है। शाम होते होते भावना किशोर की कोर्ट से जमानत हो गयी है।
समय बदलने के साथ लोगों की सोच भी बदलेगी
देश में मोदी सरकार के लगभग दस होने वाले हैं इस बीच लोगों को मोदी सरकार और भाजपा की मंशा समझ में आने लगी है। हिमाचल में वहां के लोगों ने इस बात को साबित कर दिया है कि अब वो लच्छेदार भाषणों और हिन्दू मुस्लिम कर बहलाया नहीं जा सकता। आगामी आम चुनाव में देश में बदलावा देखा जा सकता है। ऐसा करने के लिये देश के राजनीतिक दलों को स्वार्थ की राजनीति छोड़ देश के भविष्य के बारे में सोचना होगा। खासतौर से कांग्रेस को इस बारे में सोचना होगा तभी देश को सांप्रदायिकता के जहर से बचाया जा सकता है।
समर्थन देने में भेद भाव क्यों
भावाना किशोर के साथ गोदी मीडिया सिर्फ इसलिये खड़ी है क्यों कि वो गोदी मीडिया में शामिल टाइम्स नाऊ की प्रतिनिधि है और पुलिस पंजाब की है जहां आम आदमी पार्टी की सरकार है। इस बहाने गोदी मीडिया पंजाब सरकार और पुलिस की निंदा कर रहे हैं। आज उनको पत्रकार के एथिक्स याद आ रहे हैं। पत्रकार साक्षी जोशी के साथ दो दिन पहले दिल्ली पुलिस ने जो कुछ भी किया वो जायज था। रात को डेड़ बजे साक्षी जोशी को दिल्ली पुलिस जंतर मंतर से उठा कर डिटेन करती है। बकौल साक्षी जोशी दिल्ली पुलिस की महिला सिपाही ने उनके कपड़े तक फाड़ डाले थे। तब किसी भी ब्राडकास्ट टीवी चैनल के एंकर या पत्रकार साक्षी के साथ हुए अत्याचार पर कोई ट्वीट नहीं किया था।
Times Now Journo Bhawna Kishor arrested in Ludhiyana by Punjab Police
गोदी मीडिया गो बैक के नारे
स्टूडियो में बैठ कर मेकअप लगा कर विरोधी दलों के नेताओं पर कटाक्ष करना इन एंकरों को आसान होता है लेकिन जब फील्ड रिपोर्टिंग करनी होती है तो ये लोग भारी सुरक्षा के साथ जाती है। लेकिन जो लोग स्टूडियो में बैठकर एंकरिंग नहीं करती हैं उन्हें जनता के बीच उनकी नाराजगी को झेलना पड़ता है। हालात यह हो गये हैं कि टीवी चैनलों के पत्रकारों और एंकरों को देख कर लोग गोदी मीडिया गो बैक के नारे लगने लगते हैं। ये सब इस वजह से होता है क्यों कि डिबेट के दौरान ये नफरत के बीज बोने वाले एंकर चीख चीख कर दूसरी पार्टी के नेताओं को जलील करते हैं इससे जनता भी समझ गयी है कि बड़े न्यूज टीवी चैनल सरकार के आगे बिके और झुके हैं। इनको जन सरोकारों से कोई लेना देना नहीं है। इन्हें सिर्फ सत्ता से मलाई खाने की आदत हो गयी है।
तब उनके अंदर का पत्रकार नहीं जागा था। तब उन्हें शर्म नहीं आयी कि दिल्ली पुलिस ने अकेली महिला पत्रकार के साथ आधी रात के समय कपड़े फाडे और रात डेढ़ बजे सुनसान सड़क पर बेसहारा छोड़ दिया। ये कहते हुए बिल्कुल भी झिझक नहीं हो रही कि ये लोग पत्रकार नही बल्कि सुपारी लेने वाला एक गैंग है जो सिर्फ सत्ताधारी दल और सरकार के लिये किसी भी हद तक गिर सकता है।
पवन जयसवाल और सिद्धीक कप्पन का क्या कुसूर था
कोरोना काल में यूपी के दौरान अनेक जिला पत्रकारों पर यूपी सरकार और प्रशासन ने दमन चक्र चलाया। उन पर प्रशासन ने फर्जी मुकदमे दर्ज कर जेल में डाला गया। उनका शारीरिक और मानसिक शोषण किया तब किसी मेन स्ट्रीम मीडिया ने समर्थन नहीं किया। ऐसा इसलिये नहीं किया गया क्योंकि यहां बीजेपी की सरकार है। उनका फर्ज तो बीजेपी शासित राज्य सरकारों की जय जयकार ही करना है। उनकी खामियां या कमियां उजागर की तो नौकरी से हाथ धोना पड़ सकता है। इसलिये जमीर बेच कर दिनरात और योगी की आरतियां करने में जुटी रहती है गोदी मीडिया। केरल के पत्रकार सिद्धीक को सिर्फ इस आधार पर ढायी साल तक जेल में रखा जाता है और सुप्रीकोर्ट के आदेश के बाद भी दो माह बाद रिहा किया जाता है। तब पत्रकारों के साथ खड़े होने की अपील इन चाटुकार और चप्पलचाटों ने नहीं की। क्योंकि यूपी में योगी की सरकार है। तब इनको पत्रकार एथिक्स नजर नहीं ओता क्योंकि उन्हें चैनल ने केवल सरकार की आरती गाने और खामियां छुपाने के लिये ही रखा होता है। पत्रकार पवन जायसवाल के खिलाफ जिला प्रशासन ने सिर्फ इसलिये केस दर्ज करवा दिया क्यों कि उसने मिर्जापुर के एक स्कूल के मिड डे फील की पोल खोलने का वीडियो बना कर अपलोड कर दिया था। बाद में उस पत्रकार की गंभीर बीमारी के चलते मौत हो गयी। ऐसा सिर्फ पत्रकारों के साथ ही हुआ कुछ सोशल कार्यकर्ताओं और सामाजिक संगठनों के खिलाफ भी यूपी सरकार ने अत्याचार पुलिस के जरिये कराया। उस वक्त गोदी मीडिया के पत्रकारो के मुंह पर स्वार्थ का ताला पड़ा था।