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Why Modi government defending Ex SEBI Chief-मोदी सरकार के रहते माधबी बुच सेफ हैं!

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Why Modi government defending Ex SEBI Chief-मोदी सरकार के रहते माधबी बुच सेफ हैं!

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क्या जादूगर की जान तोते में हैं
एक पुरानी कहावत है कि ​जादूगर की जान तोते में रहती है। यह कहावत आज के समय में माधबी पुरी बुच और मोदी शाह पर फिट बैठती है। माधबी बुच 28 फरवरी को सेबी चीफ पद से रिटायर हुई हैं। अगले दिन एसीबी की स्पेशल कोर्ट ने माधबी पुरी बुच समेत छह लोगों के खिलाफ केस दर्ज उनकी गिरफ्तारी का आदेश दिया था। रातों रात एसीबी की कार्रवाई से बचने को सभी आरोपी बाम्बे हाइकोर्ट पहुंच गये। ताकि वो एसीबी के एक्शन से बच सकें। दिलचस्प बात यह है कि माधबी बुच की ओर से एसजी तुषार मेहता बाम्बे हाई कोर्ट में पैरवी करने पहुंच गये। यह बात हजम नहीं हो रही कि सरकारी सालिसिटर जनरल पूर्व सेबी अध्यक्ष की पैरवी करने क्यों पेश हुए इस बात का जवाब तो केन्द्र सरकार ही दे सकती है।
माधबी बुच समेत 5 अफसरों की गिरफ्तारी और केस दर्ज का आदेश एसीबी की स्पेशल कोर्ट के जज शशिनाथ एकनाथ बांगर ने दिये थे। लेकिन सरकार नहीं चाह रही है कि बुच पर कोई संकट आये। अगर माधबी बुच कानूनी दांव पेंच में फंसी तो वो उन सभी लोगों का नाम उगल देंगी जो शेयर बाजार घोटाले और अडाणी अंबानी लूट से संबंधित हैं। इसलिये अपनी गर्दन बचाने को मोदी शाह के दबाव में बाम्बे हाईकोर्ट ने माधबी समेत अन्य आरोलियों को राहत दे दी है। अक्सर देखा जाता है कि निचली अदालत से दिये गये आदेश हाईकोर्ट या सुप्रीमकोर्ट में पलट दिये जाते हैं। जिससे सरकार की मंशा पूरी हो जाती है। इस मामले में भी साफ दिख रहा है कि माधबी बुच को बचाने के लिये कोर्ट पर केन्द्र की ओर दबाव बनाया गया है।
सरकार के दबाव में कोर्ट से मिली राहत
उसी शाम को माधबी बुच समेत सभी आरोपी बाम्बे हाईकोर्ट में आदेश के खिलाफ पहुंच गये। दिलचस्प बात यह है कि सालिसिटर जनरल माधबी बुच की ओर से कोर्ट में पेश हुए। उन्होंने कोर्ट में माधबी पुरी बुच के पक्ष को रखते हुए कहा कि जिस मामले में बुच के खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश एसीबी कोर्ट के जज शशिनाथ एकनाथ बांगर ने दिया है तब माधबी बुच सेबी चीफ नहीं थीं। अत: उन पर मामला बनता ही नहीं है। उन पर किये गये केस को रद किया जाये। जैसा कि उम्मीद की जा रही थी कि बुच को हाईकोर्ट से राहत मिल सकती है। वैसा ही हुआ 4 मार्च को बाम्बे हाईकोर्ट के जज एस ई डिगे ने सुनवायी करते हुए यह आदेश दिया कि एसीबी के जज ने जल्दबाजी में यह फैसला दिया है। इतना ही नहीं उन्होंने एसीबी को आदेश किये कि उन पर कोई कार्रवाई भी न की जाये। इससे साफ हो गया कि अब मामला ठंडे बस्ते में डाल दिया जायेगा। अब फिर से हाईकोर्ट के आदेश बाद इस मामले में कोई कदम उठाया जायेगा। जबकि एसीबी कोर्ट के आदेश के अनुसार एसीबी को तीस दिनों के भीतर स्टेटस रिपोर्ट कोर्ट में पेश करनी थी।
सेबी चीफ बुच को बचाने को सक्रिय हुई मोदी सरकार
पाप का घड़ा चौराहे पर फूट ही गया बाम्बे एसीबी की स्पेशल कोर्ट ने सेबी अध्यक्ष व पांच के खिलाफ गंभीर धाराओं में केस दर्ज दर्ज कराने के आदेश एण्टी करप्पशन ब्यूरो को आदेश दिये हैं। स्पेशल कोर्ट में एक शिकायत पर जज शशिकांत एकनाथ बोंकर ने सुनवायी करते हुए यह आदेश कि यह मामला काफी गंभीर है इससे पता चल रहा है कि देश में शेयर बाजार और सेबी के अंदर काफी फ्राड चल रहा है अफसरो की मिलीभगत से देशवासियों के साथ धोखा किया जा रहा है। ऐसे में जिम्मेदारी निभा रहे अफसरों ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और आर्थिक अपराध करने में संलिप्त रहे हैं। ऐसे अपराधों पर रोक लगाने के लिये सख्त कदम उठाने जरूरी हैं।
सपन की मेहनत पर फिर गया पानी
महाराष्ट्र के एक सोशल ऐक्टिविस्ट सपन श्रीवास्तव की शिकायत पर एण्टी करप्पशन की स्पेशल कोर्ट के जज शशिनाथ एकनाथ बांगर ने सुनवायी करते हुए सेबी चीफ और बीएसई के अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश एसीबी को दिया। साथ ही यह कहा कि 30 दिनों की भीतर मामले की जांच पूरी कर कोर्ट के सामने रिपोर्ट पेश करे। मुंबई के रहने वाले सामाजिक कार्यकर्ता सपन श्रीवास्तव खुद शेयर बाजार के घोटाले से भुक्तभोगी हैं। उन्होंने कोर्ट जमा की शिकायत में यह बताया कि शेयर बाजार और सेबी की मिली भगत से जनता को करोड़ों रुपये की चोट लगायी जा रही है। सपन ने यह भी अपनी शिकायत में लिखा कि वो अपनी शिकायत को लेकर पुलिस, ईडी सीबीआई के पास अपनी शिकायत ले कर गये लेकिन किसी ने भी उनकी शिकायत पर सुनवायी नहीं की।
अंतत: उन्होंने एसीबी में शिकायत की और जज ने संबंधित अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश दिये हैं। सपन ने यह भी कहा कि सेबी या बीएसई में किसी की शिकायत करने का कोई फायदा नहीं वहां पर किसी बड़े आदमी या प्रभावी नेता के खिलाफ शिकायत करने पर कोई कार्यवाही नहीं की जाती है।
केस के खि्लाफ नामजद लोग बाम्बे हाइकोर्ट गये
दूसरी ओर सेबी की पूर्व अध्यक्ष माधबी पुरी बुच, अश्विनी भाटिया, BSE के चेयरमैन प्रमोद अग्रवाल और सीईओ सुंदररामन राममूर्ति ने हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। जस्टिस शिवकुमार डिगे की बेंच ने मंगलवार, 4 मार्च को याचिकाओं पर सुनवाई करने के लिए सहमति जताई. साथ ही एसीबी को ये निर्देश दिए कि तब तक कोई कार्रवाई न करें. बता दें कि ठाणे के एक पत्रकार सपन श्रीवास्तव ने सेशन कोर्ट में याचिका दायर की थी. जिसमें उन्होंने इन अधिकारियों पर शेयर बाजार में धोखाधड़ी, नियामक उल्लंघन और करप्शन के आरोप लगाए थे. आदेश के खिलाफ बाम्बे हाइकोर्ट में गुहार लगाने पहुंच गयी है। 4 मार्च सोमवार को जस्टिस एसजी डिगे की अदालत में सुनवायी होगी। बचाव पक्ष ने कोर्ट से स्पेशल कोर्ट की दर्ज किये गये केस को रद करने की मांग की है। यह चर्चा में है कि कोर्ट ने एसीबी को यह आदेश दिया है कि फिलहाल वो पुरी के खिलाफ कोई ऐक्शन न लें। यह भी चर्चा में कि पूर्व सेबी चीफ माधबी पुरी जल्द ही भाजपा ज्वाइन कर सकती हैं।
कांग्रेस ने बुच के खिलाफ मुहिम चलाया
आखिरकार विपक्ष की मंशा पूरी होने वाली है। पिछले एक सवा साल से कांग्रेस और इंडिया ब्लाक सेबी प्रमुख के खिलाफ मोर्चा खोले हुए था। लेकिन सरकार ने उनकी एक नहीं सुनी। संसद से सड़क तक कांग्रेस ने पूर्व सेबी चीफ के खिलाफ जमकर मोर्चे निकाले। यहां तक कि शेयर बाजार में घोटाले और सेबी में चल रही धांधलियों को लेकर गठित जेपीसी ने माधबी पुरी को कई बार नोटिस दिये लेकिन उन्होंने शामिल हाने की जहमत नही समझी। यह चर्चा में रहा है कि सरकार की शह पर माधबी पुरी रिटायर हो गयीं लेकिन जेपीसी सामने पेश नहीं हुई। उनके रिटायर होने के दो दिन बाद ही एसीबी की स्पेशल कोर्ट ने उनके खिलाफ मामला दर्ज कराने के आदेश दिये हैं।

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