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अक्सर लोग यह बहस करते दिखते हें कि मोदी सरकार के आठ साल में कोई घोटाला नहीं हुआ है। दरअसल जो संस्था इन घोटालों पर निगरानी रखती है उसे इतना प्रभावहीन कर दिया गया है कि उसकी रिपोर्ट पर न तो सकरकार कोई तवज्जो देती और न ही मीडिया उसकी रिपोर्ट को जनता तक पहुंचाने का काम कर रही है। या यूं कहा जाये कि देश का अधिकांश मीडिया सरकार की जय जयकार में जुटा हुआ है। एक जानकारी के अनुसार सरकार का कोयला मंत्रालय विद्युत निर्माता कंपनी एनटीपीसी और निजी कंपनियों पर यह दबाव डाला जा रहा है। कोयला मंत्रालय और उसके अफसर कोल इंडिया की जगह विदेश से अडानी कोल कंपनी से महंगे दाम पर कोयला खरीदें। दिलचस्प बात यह है कि कोल इंडिया से जो कोयला 3000 रुपये टन मिलता है अडानी कोल कंपनी उसी के दस गुणा दाम वसूल रही है। इस प्रकार कोयला खरीदारी में सीधी लूट मचाई जा रही है। लेकिन इस बात न तो मीडिया ही तवज्जो दे रही है और न ही अन्य कैग जैसी संस्थाएं जो 2014 से पहले बहुत ऐक्टिव रहती थीं। आज के समय में सीएजी कुंभकरण की नींद सो रही है।
एनडीए सरकार में यूपीए सरकार से 75 प्रतिशत कम सीएजी की रिपोर्ट पेश की गयी हैं। हाल ही में यह जानकारी में आया है कि सरकार विदेशी कंपनी से कोयला खरीदने के लिये एनटीपीसी और अन्य सरकारी विद्युत उत्पादन कंपनियों को दस गुना महंगा कोयला खरीदने पर बाध्य कर रही है। पावर कारपोरेशन इंजनियर्स एसोसियेशन ने पीएम मोदी को पत्र लिख कर यह मांग की है कि कोयला मंत्री और विभागीय अफसरों को ऐसा करने से रोकें ताकि देश में मिल रहे सस्ते कोयले की जगह उससे दस गुणा महंगा कोयला खरीदने पर सरकार दबाव नहीं बनाये। लेकिन एसोसियेशन इस बात को नहीं जान रही कि जो कुछ भी मंत्री और अफसर कर रहे हैं वो बिना पीएम मोदी की सहमति और निर्देश पर ही हो रहा है।
मालूम हो कि पिछले एक साल से यह बात जाहिर हो रही है कि देश में कोयला उत्पादन में कमी आ रही है। लगभग देश के सभी हिस्सों में कोयले की कमी की बात सामने आयी है। समाचारों में भी यह दिखाया गया कि सिर्फ चंद दिनों के लिये ही कोयला उपलब्ध है। उसके बाद विद्युत उत्पादन यूनिटों पर काम बंद हो जायेगा। सभी प्रदेशों ने केन्द्र सरकार से अनुरोध किया कि कोयला आपूर्ति की समुचित व्यवस्था की जाये। लेकिन सरकार ने इस मामले में कोई खास प्रबंध नहीं किया गया। यह भी चर्चा रही कि सरकार की ही ये सोची समझी चाल थी कि देश में फर्जी कोयले की कमी बनायी जाये ताकि विदेशों से कोयला मंगाया जा सके। सरकारी विद्युत निर्माता कंपनी एनटीपीसी व निजी कंपनियों को यह कहा जा रहा है कि वो कोल इंडिया से कोयला खरीदने के बजाये अडानी की निजी कंपनी से दस गुणा महंगे दाम पर कोयला खरीदें। कुछ कंपनियों ने इसके लिये टेंडर मंगा कर कोयले का आर्डर भी दे दिया है।
यह बात बिल्कुल भी पल्ले नहीं पड़ रही कि पिछले एक साल से देश मे कोयले की किल्लत क्यों हो रही है। विद्युत उत्पादन में भारी कमी आ रही है। इसी साल जुलाई माह में एक सवाल में जवाब में कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी ने संसद में जवाब दिया कि देश में कोयला उत्पादन की कोई कमी नहीं है। बल्कि कोयला उत्पादन में 31 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। अगर मंत्री जी की मानें तो देश में कोयला आपूर्ति में इतनी कमी क्यों आ रही है। विद्युत उत्पादन में कमी क्यों आयी है। देश की बिजली उत्पादन कंपनियों से दस गुणा महंगा कोयला विदेशी कंपनी से खरीदने पर दबाव बनाया जा रहा है। अगर इस मामले में सही तरह से जांच की जाये तो यह देश का सबसे बड़ा घोटाला हो सकता है।








