#CM oath ceremony# New CM Jharkhand# CM Chamai Soren# Jharkhand Govt.# Bihar Politics# Jharkhand Politics# JMM Leader Hemant Soren arreste by ED# Rajbhawan#
झारखंड में भाजपा की चाल सफल नहीं हुई
झारखंड में पिछले एक डेढ़ दिनों से सरकार का नियंत्रण नहीं था। पूर्व सीएम हेमंत सोरेन को ईडी ने 31 जनवरी को राजभवन से गिरफ्तार कर लिया था। इससे प्रदेश में सरकार नाम की चीज नहीं रह गयी थी। लेकिन नये मुख्यमंत्री के सभी रास्ते पहले ही हेमंत सोरेन कर के गये थे। दो फरवरी तक राज्यपाल सरकार समर्थक विधायकों बुलाने में न जाने किस बात का इंतजार कर रहे थे। उन्हें उम्मीद थी कि महागठबंधन सरकार के कुछ विधायक ईडी और सीबीआई के डर से शायद टूट जायें। यह बिकने को तैयार हो जायें लेकिन ऐसा हुआ नहीं।
जी हां केन्द्र की मोदी सरकार पर यह गाना बिल्कुल सटीक बैठ रहा है। मोदी शाह को दो माह बाद होने वाले आम चुनावों की फिक्र सता रही है। इसलिये वो विपक्षी दलों को साधने के लिये दो प्रकार के आफर दे रही है मेरी साइड आओ या जेल जाओ। लेकिन मोदी शाह के मंसूबों को समझ कर भी इंडिया गठबंधन के दल भाजपा के साथ जाने को तैयार नहीं है। जैसा कि झारखंड के सीएम हेमंत सोरे ने किया है उन्होंने जेल जाना पसंद किया लेकिन भाजपा की गोद में बैठना नहीं। शायद यही वजह है कि झारखंड में राज्यपाल बहुमत होने के बाद भी महागठबंधन की सरकार को बुलावा नहीं भेज रहे थे। शायद मोदी शाह की ओर से इशारा नहीं किया गया। उन्हें अभी इस बात का इंतजार है कि गठबंधन के कुछ विधायक टूट जायें और एक बार फिर भाजपा की सरकार बन जाये। ये भी हो सकता है कि ईडी और सीबीआई के डर से या खरीद फरोख्त से महागठबंधन में दरार पड़ जाये और बीाजेपी की मुंह मांगी मुराद पूरी हो जाये।
झारखंड राज्यपाल के रवैये के मायने
31 जनवरी की शाम पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने सरकार के समर्थन के विधायकों की सूची देते हुए सीएम पद से इस्तीफा दे दिया था। उस लिस्ट में कांग्रेस जेएमएम और राजद के विधायकों का नाम शामिल था। उन्होने यह भी साफ कर दिया कि उनके बाद विधायक दल के नेता चंपई सोरेन होंगे। राजभवन से निकलते समय ईडी ने हेमंत सोरेन को गिरफ्तार कर लिया। शायद इस बात की आशंका हेमंत सोरेन को थी इसीलिये वो पूरी तैयारी के साथ राजभवन गये थे। लेकिन राज्यपाल ने 20 घटों से अधिक समय बीतने के बाद भी महागठबंधन की सरकार को बनाने का बुलावा नहीं दिया था। अब इस बात की चर्चा हो रही है कि अब राज्यपाल को किस बात का इंतजार था। शायद उन्हें मोदी शाह के अनुमति का इंतजार था। केन्द्र से इशारा इसलिये नही किया जा रहा है कि वो तोड़फोड़ की साजिश कर रहे होंगे। पहले तो सरकार समर्थक विधायकों को ईडी ओर सीबीआई का डर दिखाने की कोशिश कर रहे हैं। अगर इससे काम न बना तो उन्हें धनबल से खरीदने का प्रयास करेंगे। मोदी शाह का सीधा आफर है हमारा समर्थन करो या जेल जाने को तैयार रहो। इसके बाद भी सरकार के विधायक अपने गठबंधन के साथ खड़े रहे।
सरकार बनाने में दोहरा मापदंड अपनाया
नवंबर 2019 में महाराष्ट्र में सरकार बनाने को लेकर तत्कालीन राज्यपाल बीएस कोश्यारी ने सुबह पांच बजे ही देवेंद्र फडणवीस व अजीत पवार को मुख्यमंत्री व डिप्टी सएम पद की शपथ दिलवायी थी। महाराष्ट्र से राष्ट्रपति शासन हटाने के लिये सुबह तीन चार बजे ही रामकोबिंद से राष्ट्रपति शासन हटवाया गया था। क्यों कि वहां भाजपा की सरकार बनवानी थी। राज्यपाल और राष्ट्रपति ने इतनी सक्रियता दिखायी। दूसरा ताजा उदाहरण बिहार में देखा गया सुबह नितीश कुमार राज्यपाल को इस्तीफा सौंपते हैं और शाम को नितीश कुमार नौवीं बार सीएम पद की शपथ लेते हें। ऐसी क्या बात है कि झारखंड में सरकार बनाने को राज्यपाल इच्छुक नहीं थे। इसका साफ मतलब है कि दिल्ली दरबार वहां की स्थिर सरकार को किसी तरह अपदस्थ कर राष्ट्रपति शासन लगाने की तैयारी कर रही थी।
नितीश को अपने पाले में लाने में सफल हुए मोदी शाह
2022 में नितीश कुमार ने एनडीए से रिश्ता तोड़ महागठबंधन से हाथ मिलाये थे। तभी से मोदी शाह इस बात पर अमादा थे कि नितीश एक बार फिर एनडीए से जुड़ जायें। 17 माह बाद वो उसमें सफल भी हुए। मौकापरस्त नितीश पांचवीं बार एनडीए में शामिल हुए और नौवीं बार बिहार के सीएम बन गये। ये बात और है कि वो अपनी ही बातों से मुकर गये। उन्होंने 2020 के चुनाव में कहा था कि ये उनका आखिरी चुनाव है। लेकिन सत्ता के आदी हो चुके नितीश कुमार भाजपा के समर्थन से नौवीं बार सीएम बन गये हैं। मजेदार बात यह है कि एक सीएम सुबह इस्तीफा दे कर शाम को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेता है। उस केन्द्र सरकार और राज्यपाल की तत्परता देखने लायक होती है। लेकिन वहीं झारखंड में सरकार बनाने के लिये 24 घंटों से अधिक बीत जाने के बाद भी गवर्नर बहुमत वाले दल को बुलाने का समय राज्यपाल के पास समय नहीं है।
चंडीगढ़ की तरह सत्ता चुराने की साजिश
दो दिन पहले चंडीगढ़ मेयर के चुनाव में भाजपा ने जिस तरह से साजिश कर अपना उम्मीदवार जितवाया उससे साफ जाहिर हो रहा है कि भाजपा अब किसी भी सूरत में चुनाव हारना नहीं चाहती है। यही वजह थी कि चंडीगढ़ मेयर चुनाव में अल्पमत होने के बाद भी प्रिसाइडिंग अधिकारी अमित पांडे ने इंडिया गठबंधन के उम्मीदवार के पक्ष में पड़े 8 वोटों को बिना किसी वजह के रद कर दिया इससे भाजपा का मेयर बनवा दिया। दिलचस्प बात यह है कि यह चुनाव अधिकारी भाजपा का नेता है। इससे साफ जाहिर हो गया कि भाजपा को जीत दिलवाने में किस हद की साजिशें रची जा रही है। ठीक ऐसी ही साजिश रचने की झारखंड में हो रही है। भाजपा की हर कोशिश सत्ता पाने की है इसके लिये वो किसी भी स्तर पर जा सकती है।