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चर्चा में पीएम की डिग्री: हंगामा है क्यों बरपा
काफी समय से पीएम मोदी की एमए की डिग्री को लेकर सवाल किये जा रहे हैं। दूसरी ओर सरकार और भाजपा उसे न दिखाने के लिये क्यों अड़ी हुई है। मार्कशीट या डिग्री दिखाने में ऐसी कौन सी सरकार गिरने जा रही है जो सरकार और पूरी मशीनरी उनकी डिग्री को लेकर प्रतिष्ठा का सवाल बना रही है। अगर नरेंद्र मोदी ने एमए किया है तो उसे दिखाने में क्या समस्या है। हो सकता है कि उनके नंबर कम आये हों। ये कोई बड़ी बात नहीं है। अब वो तीसरी बार पीएम बन चुके हैं।

नंबर कम होने से उनका पीएम का पद संकट में नहीं आने वाला है। सबसे अहम् सवाल यह है कि क्या उन्होंने जो डिग्री दिखायी है क्या वो फर्जी है। डिग्री न दिखाने का यह सबसे बड़ा कारण हो सकता है। ऐसे में नरेंद्र मोदी खतरे में पड़ सकते हैं। क्यों कि चुनाव आयोग में उन्होंने जो एफिडकविट जमा किया है उसमें यह कहा है कि वो दिल्ली विवि से एमए पास हैं।अगर यह झूठ साबित होता है यह एक 420 का मामला बन सकता है। ऐसे में उनके ऊपर फर्जी डिग्री के बेस पर चुनाव आयोग को धोखा देने की बात है।
डिग्री को लेकर पीएम मोदी फिर निशाने पर
एमए की डिग्री का जिन्न एक बार फिर सामने आ गया है। अब तो मामला दिल्ली हाईकोर्ट में है कोर्ट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी को इस मामले में तलब किया है। पिछले काफी समय से नरेंद्र मोदी की एमए की डिग्री पर सवाल उठ रहे हैं। इस मामले में आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और सांसद संजय सिंह पर गुजरात हाईकोर्ट ने 25 हजार का जुर्माना तक लगा दिया था। इतना ही नहीं गुजरात विवि ने आप नेताओं पर केस दर्ज करा दिया था। यह पहली बार हुआ कि जब किसी नेता की डिग्री दिखाने की बात को लेकर विवि ने मांगने वाले पक्ष के खिलाफ मुकदमा करवाया था। उसके बाद से ही आप ने यह मुहिम चलाया कि देश का पीएम शिक्षित होना चाहिये न कि चौथी पास। इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि नरेंद्र मोदी कुशल वक्ता और प्रभावशाली नेता हैं उनमें यह खूबी है कि सवाल के जवाब में विपक्ष के नेताओं पर हमलावर हो जाते हैं। उनका साथ देश का मेन मीडिया सरकार का पक्ष मजबूती से रखता दिखता हैं।
तुषार मेहता का विवादित बयान
दिलचस्प बात यह है कि कोर्ट में इसी मामले पर जब सुनवायी हो रही थी तो सालिसिटर जनरल तुषार मेहता ने तो यहां तक कह दिया ऐसे याचिकाकर्ताओं के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिये। पीएम मोदी की डिग्री को नहीं दिखाया जा सकता है। वो इस बात पर कोई तथ्य नही बता सके कि आखिर पीएम की एमए की डिग्री क्यों नही दिखायी जा सकती है। इन सब बातों को सुन कर लग रहा है कि देश में प्रजातंत्र नहीं है बल्कि राजशाही चल रही है। जैसे प्रजा राजा से जुड़ी किसी बात पर सवाल नहीं किया जा सकता है। आखिर नरेंद्र मोदी भाजपा और आरएसएस को डिग्री सार्वजनिक करने में क्या परेशानी है अगर डिग्री ली है तो विवि को भी डिग्री सार्वजनिक करने में कोई समस्या नहीं होनी चाहिये। देश की राजनीतिक पाटिर्यां भी मोदी की डिग्री को लेकर सवाल पूछ रहे हैं। यह पहला मौका है कि किसी नेता या पीएम की डिग्री को लेकर हो हल्ला मचा है।
देश में लोकशाही है या प्रजातंत्र
देश की तीसरी बार पीएम बने नरेंद्र मोदी एक बार फिर से चर्चा हैं। इस बार पीएम मोदी की एमए की डिग्री को लेकर चर्चा हो रही है। यह देखा जा रहा है कि जब से दूसरी बार नरेंद्र मोदी पीएम बने हैं तब से उनकी एमए की डिग्री को लेकर सवाल उठाये जा रहे हैंं। इस बात को लेकर भाजपा और आरएसएस समेत उनके समर्थक सवाल करने वालों पर हमलावर हो रहे हैं। इस बार मामला दिल्ली हाई कोर्ट में पहुंच गया है। हैरानी की बात यह है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने कोर्ट में यह दलील दी है कि वो कोर्ट को तो पीएम की डिग्री दिखा सकते हैं लेकिन अजनबियों के लिये सार्वजनिक नहीे की जा सकती है। इस बात पर लोगों का कहना है कि जब मोदी सरकार देशवासियों से निवासी होने का प्रमाण पत्र मांग रही है वहीं दूसरी ओर देश के पीएम की डिग्री दिखाने की मांग हो रही है तो कहा जा रहा है कि सार्वजनिक नहीं की जायेगी। लोग इस बात पर भी सवाल कर रहे हैं कि जिस एंटायर पालिटिकल साइंस में नरेंद्र मोदी ने एमए किया है वो देश में किसी भी यूनिवर्सिटी में कही भी पढ़ाया ही नहीं जाता है। तो मोदी ने कहां से इस विषय में डिग्री ली है। राजनीति शास्त्र में तो हर यूनिवर्सिटी में डिग्री दी जाती है लेकिन एंटायर पॉलिटिकल साइंस विषय कहीं भी नहीं पढ़ाया जाता है।
प्रेसवार्ता कर अमित शाह ने मोदी की डिग्री दिखायी
पांच छह साल पहले जब मोदी की डिग्री पर सवाल उठाये गये तो पूर्व भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने प्रेसवार्ता के दौरान नरेंद्र मोदी की एमए की डिग्री को हाथ में लेकर दूर से दिखायी थी। किसी भी पत्रकार को न तो डिग्री करीब से देखने को मिली और न ही उसकी फोटो कॉपी ही दी गयी। ताकि उस मार्कशीट की प्रमाणिकता की परख हो सके। दिलचस्प बात यह थी कि जो मार्कशीट दिखायी गयी वो हाथ से लिखी न हो कर कम्प्यूटराइज्ड थी। जिस समय नरेंद्र मोदी ने एमए करने की बात कही है उस वक्त देश में कंप्यूटर आया ही नहीं था। इस बारे में जब डीयू से यह सवाल किया गया कि आप ने यह कंप्यूटर कब और कितने में खरीदा तो यह बताया या कि यह किसी ने डीयू को गिफ्ट किया था लेकिन किसने और कब गिफ्ट किया इसकी कोई जानकारी नहीं दी गयी। कंप्यूटराइज्ड मोदी की मार्कशीट पर सवालिया प्रश्न खड़े किये जा रहे हैं।
विपक्ष पीएम की डिग्री को लेकर हमलावर
आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल और अनेक नेताओं के बयान हैं कि आखिर क्या वजह है कि पीएम की डिग्री को लेकर भाजपा और सरकार इतनी बौखलायी क्यों है। अगर उन्होंने एमए एंटायर पालिटिक्स में पास किया है तो उसे सार्वजनिक करने भी क्या परेशानी आ रही है। आप के कई नेताओं ने अपनी सभी डिग्रयां प्रेस के सामने पेश कर यह जताया कि उन्होंने पढ़ायी की है तो उन्हें डिग्रियां दिखाने में कोई झिझक नहीं है। पीएम की डिग्रियां सार्वजनिक न कर सरकार और भाजपा इस बात की ओर इशारा कर रहे हैं कि दाल में कुछ काला है। पीएम पद पर रहते हुए मोदी ने कुछ ऐसे बयान दिये जो कि अनपढ़ ही दे सकता है। जैसे कि आकाश में बदली होने पर राडार काम नहीं करता है। पिछले आम चुनाव के दौरान उन्होंने अपने को भगवान ही बता दिया था। पिछले दस सालों में मीडिया ने भी सही रोल नहीं निभाया। सरकार की आलोचना न कर के विपक्ष को ही अपने निशाने पर रखा है जिसकी वजह से जनता की बातें सरकार तक नहीं पहुंचाया गया। मीडिया सरकार के तलुवे चाटने में मशगूल दिखी है।