
एनडीए में खलबली के मायने,कभी भी गिर सकती एनडीए सरकार
देश की राजनीति में उबाल आने के संकेत दिख रहे हैं। एनडीए सरकार की जान सांसत में दिख रही है।
एनडीए में शामिल दलों में बेचैनी देखी जा रही है। चार बड़े दल एनडीए सरकार की व्यर्थ की राजनीति से ऊब चुके हैं। उन्हें लग रहा है कि अगर वो ऐसे वक्त में सरकार के साथ खड़े दिखे तो उनकी अपनी क्षेत्रीय राजनीति पर दुष्प्रभाव पड़ सकता है। इस वक्त केन्द्र सरकार मुस्लिम वक्फ बोर्ड बिल और दक्षिण भारतीय प्रदेशों में परिसीमन का बिल लाने को बेकरार है।
जडीयू टीडीपी और चिराग पासवान की मुश्किलें
इन बिलों को लेकर ऐसे दलों बेचैनी दिख रही है कि अगर ऐसे वक्त वो नहीं बोले तक उनके प्रदेशों में उनकी साख खतरे में पड़ सकती है। उनके लिचे करो या मरो कि हालत है। अगर वो पीमएम मोदी के साथ खड़े रहे तो उनकी राजनीतिक छवि को भारी नुकसान होने की आशंका है। वैसे बिहार के सीएम नितीश कुमार और आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू बहुत चघड़ और घाघ नेता हैं। वो किसी भी समय सरकार का साथ छोड़ने का फैसला कर सकते हैं। जब तक इन्हें लग रहा है कि मोदी सरकार से इनके काम निकल रहे हैं तब तक वो साथ रहेंगे। जैसे ही इन्हें लगेगा कि अब केन्द्र सरकार से उनके काम नहीं बन रहे हैं एनडीए बाय बाय टाटा कर लेंगे।

दोनों ही नेताओं की फितरत से मोदी शाह भली भांति वाकिफ हैं। वहीं एलजेपी के चिराग पासवान अध्यक्ष औश्र केन्द्र सरकार में मंत्री हैं उन्हें भी मुस्लिम वोट मिलते हैं। ओवैसी ने इन सभी नेताओं के साथ अजित पवार और जयंत चौधरी को आगाह कर दिया है कि यदि ये नेता मुस्लिम वक्फ बोर्ड बिल के समर्थन में खड़े रहे तो ये समझ लें कि देश का मुसलमान इनको कभी भी माफ नहीं करेगा। इस बात से नितीश कुमार, चिराग पासवान और चंद्रबाबू नायडू को इस बात का अहसास करा दिया है कि अब सही फैसला लेने का वक्त आ गया है। यह चर्चा है कि जो कुछ भी होना है वो ईद के बाद होना है।
नितीश कुमार की राजनीतिक मंशा
बिहार में इसी साल के अंत में विधानसभा के चुनाव होने हैं। वहां एनडीए की सरकार है। जेडीयू और भाजपा की सरकार है। नितीश कुमार को मुस्लिम समाज से भी समर्थन और वोट मिलते हैं। दिलचस्प बात यह है कि पिछले बीस सालों से नितीश कुमार बिहार के सीएम हैं। यहां की राजनीति जात पात पर आधारित है। यहां लगभग 14 प्रतिशत मुस्लिम मतदाता है जो नितीश कुमार के पक्ष में वोट और सहयोग करता है। नितीश कुमार फिलहाल वक्फ बोर्ड बिल को लेकर पसोपेश में है कि वो बिल का समर्थन करें या विरोध। समर्थन करते हैं तो बिहार में उनका राजनीतिक गुणा भाग बिगड़ने की आशंका है। अगर वो केन्द्र सरकार का साथ छोड़ते हैं तो एक बार फिर साबित हो जायेगा कि वो अपनी गद्दी के लिये एक बार फिर पल्टी मार रहे हैं। दिलचस्प बात यह है कि नितीश कुमार ने अपने कार्यालय पर इफ्तारी का कार्यक्रम रखा था उसमें बहुत सारे मुस्लिम नेताओं ने इसका बहिष्कार कर दिया था। नितीश कुमार के लिये यह खतरे की घंटी है। वो नहीं चाहेंगे कि मुस्लिम वोट छिटक कर राजद की ओर जाये।
मोदी शाह की कमजोरी हैं नितीश नायडू व चिराग
यह पहली बार हुआ है कि नरेंद्र मोदी अल्पमत की सरकार के पीएम हैं। ऐसे में वो काफी असहज दिख रह हैं। उन्हें जेडीयू और टीडीपी के आगे झुकना पड़ रहा है। आज मोदी पीएम केवल नितीश नायडू की बैसाखियों के सहारे हैं। इसके अलावा बिहार में लोजपा का भी उनकी सरकार को समर्थन है। लोजपा के पांच सांसद हैं। इसलिये चिराग पासवान भी मोदी शाह के लिये उतने ही जरूरी हैं जितने नितीश नायडू हैं।

चिराग पासवान भी मोदी शाह की चालबाजियां समझते हैं कि किस तरह बीजेपी अन्य दलों का इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा करती है। उन्हें याद रखना होगा कि किस तरह उनकी पार्टी को नितीश और मोदी शाह ने मिलकर तुड़वाया था। उनके चाचा पशुपति पारस को अपने मंत्रमंडल में शामिल करा था। केन्द्र के इशारों पर चुनाव आयोग ने पारस के एलजेपी को असली पार्टी का दर्जा दिया था। मोदी शाह ने पहले पशुपतिनाथ पारस का इस्तेमाल किया बाद में उन्हें दूध में पड़ी मक्खी की तरह फेंक दिया था। अब चिराग पासवान की पार्टी के पास 5 सांसद हैं। इसलिये मोदी शाह ने चिराग पासवान को केन्द्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया है।
जयंत चौधरी और अजित पवार की अग्निपरीक्षा
ओवैसी ने जयंत चौधरी और अजित पवार को चेताया है कि वो भी मोदी सरकार के नये बिल पर अपनी असहमति जतायें। जयंत चौधरी केन्द्रीय राज्य मंत्री हैं और अजित पवार महाराष्ट्र सरकार में उपमुख्यमंत्री हैं। आरएलडी के दो और अजित पवार का एक सांसद हैं। इन सभी का मोदी सरकार को समर्थन है।
मोदी सरकार को किनसे से खतरा
अगर जेडीयू, टीडीपी लोजपा, रालोद और एनसीपी का समर्थन वापस लेते हैं तो मोदी सरकार का आसन डोल सकता है। ऐसा होना कोई बड़ी बात नहीं है। वर्तमान में मोदी सरकार को इन सभी दलों का सपोर्ट है। अगर यह सभी दल समर्थन वापस लेते हैं तो सरकार का गिरना लगभग तय है। अगर ऐसा होता है तो विपक्ष इंडिया ब्लाक की सरकार बनने के आसार हो सकते हैं। लेकिन आज के समय में हर नेता और अपने स्वार्थ के लिये ही समर्थन लेते और देते हैं। यह सब बातें सिर्फ चर्चा में हैं। जो कुछ भी होना है वो ईद के बाद होगा।