#UP Police#UP Govt.#Prof. KS rana#Fake High commissioner#Connection with many celebrity#Bogus I\D#
गंभीर धाराओं में गिरफ्तार हुआ है फर्जी हाईकमिश्नर
आजकल प्रो केएस राणा का नाम सुर्खियों में छाया हुआ है। हर कोई उनके बारे में जानने को बेकरार क्यों है। अचानक समाचारों में प्रो डा. केएस राणा क्यों हॉट केक बन गये हैं। इस बात के लिये भी जनता जानने को बेकरार है कि आखिर प्रो राणा को गाजियाबाद की पुलिस ने गिरफ्तार क्यों किया है। उनके बारे में तमाम बातें हवा में तैर रही हैं कि आखिर प्रो राणा अपनी फर्जी प्रतिष्ठा के लिये सरकार और पुलिस के साथ कैसे खेल रहा था। पुलिस ने कैसे इस फर्जी उच्चायुक्त का खुलासा किया है। अतिमहत्वकांक्षा आदमी को कहां से कहां पहुंचा देती है ये प्रो राणा के केस में देखने को मिलती है। पुलिस ने जब उन्हें गिरफतार कर सख्ती से पूछताछ की तो पता चला कि वो दिल्ली का रहने वाला है जिसके पास से दो तीन फर्जी आई कार्ड, चार दर्जन से अधिक विजिटिग कार्ड बरामद हुए हैं। इसके अलावा बहुत सारे उच्च पदस्थ लोगों के साथ फोटो भी बरामद हुए हैं। कुछ फोटो में वो बीजेपी सांसद मनोज तिवारी, पूर्व सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़, फिल्म अभिनेता धमेंंद्र समेत अनेक राजनेताओं के साथ फोटो भी खिंचवा रखे हैं। इन फोटो के प्रभाव से वो पुलिस अफसरों और सरकारी प्रशासनिक अफसरों को रौब दिखाता था। पिछले तीन चार सालों में आधा दर्जन से ज्यादा फ्रॉड करने वाले चार सौ बीसी करने वाले लोग पुलिस के शिकंजे में फंसे हैं। इनमें फर्जी पीएमओ आफिसर किरेन पटेल, संजय शेरपुरिया और जयप्रकाश पाठक लोग जनता के साथ प्रशासनिक अफसरों को बेवकूफ बनाने में सफल रहे हैं।
पुलिस की सजगता से राणा फंसे चंगुल में
दो दिन पहले गाजियाबाद पुलिस को एक पत्र ओमान के उच्चायुक्त की तरफ से प्रोटोकाल के लिये मिला था। पुलिस ने पत्र मिलने के बाद उस पर काम करना शुरू कर दिया। डीसीपी नमिष पाटिल ने पत्र के आधार पर प्रोटोकाल की व्यवस्था तो कर दी लेकिन उनके दिमाग में शक का कीड़ा कुलबुलाने लगा। उन्होंने पत्र का अच्छी तरह निरीक्षण किया। पत्र में केएस राणा को ओमान का उच्चायुक्त बताया गया था। उसी वक्त से उन्होंने साइबर सेल को इसकी असलियत की कवायद शुरू कर दी। पत्र में लिखा था कि वो गाजियाबाद के वैशाली में अपनी बेटी के घर जा रहा है अत: उसे प्रोटोकाल मुहैया कराया जाये। शक की बिनाह पर प्रो राणा से पूछताछ शुरू की गयी तो पता चला कि वो ओमान का उच्चायुक्त नहीं हैं। वैसे भी ओमान का कोई उच्चायुक्त नियुक्त नहीं है उसका तो राजदूत होता है। इस बात की तस्दीक ओमान के अधिकारियों में कहा राणा नामका कोई शख्स उनके राजदूत कार्यालय में नहीं है। अब पुलिस को राणा की असलियत समझ में आने लगी उन्होंने उससे कार्यालय बुला कर पूछताछ शुरू कर दी। पूछताछ में पता चला कि वो दिल्ली की किसी नॉन प्रॉफिट एनजीओ इंडिया ट्रेड कौंसिल में ट्रेड अंबेस्डर है जो गल्फ कंट्रीज में ट्रेड का काम देखता है। इससे पहले वो यूपी के मथुरा और हरियाणा के फरीदाबाद में पुलिस और प्रशासन से प्रोटोकॉल को पत्र लिख चुका था। दिलचस्प बात यह है कि जब पुलिस ने उसे गिरफ्तार किया तो वो एक मंहगी गाड़ी जिस पर डिप्लोमैट गाड़ी नंबर प्लेट थी। यह नंबर प्लेट कुछ खास डिप्लोमैट के लिये ही मान्य होती है। इसको लेकर भी पुलिस ने मामला दर्ज किया है।
फर्जी पीएमओ अफसर किरेन पटेल
दो साल पहले गुजरात का रहने वाला किरेन पटेल गुजरात में तो अपने को पीएमओ का अफसर बन कर उद्योगपतियों को चूना लगाता रहा था।
लेकिन हद तब हो गयी जब वो पीएमओ के फर्जी आई कार्ड के नाम पर जम्मू कश्मीर में महीनों तक सरकारी सुविधाओं के साथ प्रोटोकाल का मजा लूटता रहा। वहां के बड़े व्यापारियों को भी पीएमओ अफसर का रुआब दिखा कर करोड़ों रुपये की वसूली कर डाली। लेकिन जब स्थानीय प्रशासन को शक हुआ तो पीएमओ आफिस से पूछताछ की तब असलियत का खुलासा हुआ और पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर दिल्ली भेज दिया।
ठग संजय शेरपुरिया जिसने मनोज सिन्हा तक को लोन दियाअ
पिछले मई 2024 साल पहले यूपी की एसटीएफ पुलिस ने संजय शेरपुरिया को आर्थिक अपराध के मामले में गिरफ्तार किया तो उसने अपने रसूख की धौंस दे कर बहलाने की कोशिश की लेकिन पुलिस उसके झांसे में नहीं आयी। शेरपुरिया गुजरात और यूपी के जौनपुर से संबंध रखता है। उसके भाजपा के बड़े नेताओं के साथ करीबी संबंध थे।

इतना ही नहीं शेरपुरिया ने अपनी बातों से पीएम मोदी को भी अपनी जाल में फंसा लिया था। उनके ऊपर एक किताब लिखकर तो उनका मुरीद बन गया था। किसी अफसर की क्या मजाल जो शेरपुरिया के ऊपर हाथ डालने की सोच भी सके। वर्तमान जम्मू कश्मीर के उपराज्यपाल मनोज सिन्हा भी संजय शंरपुलिया से काफी प्रभावित थे। यह भी दिलचस्प है कि मनोज सिन्हा को शेरपुरिया ने मनोज सिन्हा को 25 लाख का लोन तक दे रखा था। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है इस ठग की पकड़ और पहुंच कहां तक थी। लेकिन जब कानून के शिकंजे में कोई फंसता है तो कोई पहुंच और सिफारिश काम नहीं आती है। दुनिया भर को चपत लगाने वाला शेरपुरिया इस वक्त जेल के पीछे है।
पीएमओ का अफसर बन जयप्रकाश लूटता था
पिछले साल ही गुरुग्राम पुलिस ने स्थानीय ठग जय प्रकाश पाठक को गिरफ्तार किया था। वह प्रशासन और पुलिस अफसरों को पीएमओ अफसर बता कर बेवकूफ बनाता था। वह सरकारी और पुलिस अफसरों को अवार्ड दिलाने के नाम पर बेजा फायदा उठाता था। उसके पास से भी पीएमओ का फर्जी आईकार्ड और अन्य दस्तावेज बरामद किये थे। सामान्य लोगों को भी वो नौकरी दिलाने के नाम पर वसूली करता था। लेकिन उसकी करतूतों का भंडा उस समय फूटा जब वो पुलिस अफसरों पर रौब डालकर अपने आवास के पास विशेष सुरक्षा की मांग कर रहा था। उसका कहना था कि उसके आवास पर रुद्राभिेषक की पूजा है वहां बहुत सारे वीआईपी आने वाले हैं। लेकिन तब तक उसका भंडा फूट चुका था। पुलिस उसी दिन उसे फ्राड करने के जुर्म में गिरफ्तार कर जेल भेज दिया।