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Why USA President targeting India-भारत को बरबाद करने पर क्यों तुले हैं ट्रंप

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Why USA President targeting India-भारत को बरबाद करने पर क्यों तुले हैं ट्रंप

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तो यह वजह है ट्रंप की खफा की
जब डोनाल्ड ट्रंप ने यूएसए के राष्ट्रपति पद की दोबारा शपथ ली है तब से वो भारत के प्रति काफी खफा दिख रहे हैं। 20 जनवरी को शपथ लेने के बाद वो ऐसे ऐसे बयान और कदम उठा रहे हैं जिससे भारत की अर्थव्यवस्था को भारी चोट पहुंचा रहे हैं। पहले तो ट्रंप ने पीएम मोदी को आफिशयली ओथ सेरेमनी में इनवाइट नहीं किया। ये बात भारत और देश के सम्मान को ठेस पहुंचाने वाली हुई। उसके बाद उन्होंने पद संभालने के कुछ दिनों बाद अमेरिका में रह रहे अवैध एनआरआई भारतवासियों को अमेरिका से बेइज्जत कर वापस भारत भेज दिया। वो भी यूएस के मिलिट्री विमान से कैदियों की तरह हथकड़ी और बेड़ियां डाल कर। इतना ही नहीं यूएसए की एजेंसी ने उनका वीडियो बना कर इंटरनेट पर डाल दिया। इससे पूरी दुनिया में भारत की काफी फजीहत हुई। ऐसा नहीं कि केवल भारतीय लोग अमेरिका में अवैध रूप से रह रहे हैं। वहां पाकिस्तान, चीन, कोलंबिया समेत अन्य देशों के लोग रह रहे हैं। किसी अन्य देश के प्रवासियों पर कोई ऐक्शन नहीं ​लिया गया। कैदियों सा बर्ताव कर केवल भारतीयों के साथ ऐसा बुरा व्यवहार किया गया। अब तक अमेरिका तीन बार भारत अप्रवासी भारतीयों को बुरी हालत में कैद कर इंडिया भेज चुका है। ताजा हालात में ट्रंप ने भारत की चार तेल का व्यवसाय करने वाली कंपनियों को यूएसए में व्यापार करने पर प्रतिबंध लगा दिया है। इसका कारण यह है कि ये कंपनियां ईरान आदि को माल निर्यात करती हैं। अफसोस की बात यह है कि भारत सरकार और पीएम मोदी ट्रंप के इस बर्ताव पर विरोध करने की हिम्मत भी नहीं जुटा पा रहे हैं। विपक्ष उनकी इस चुप्पी पर तंज कसते हुए कह रहा है कि 56 इंच के सीने वाले पीएम की जुबां बंद क्यों है।
ट्रंप ने दिया विशेष टैरिफ लगाने का संकेत
ट्रंप का इससे भी मन नहीं भरा तो उसने यह ऐलान कर दिया कि वो ब्रिक्स के सदस्यों पर अमेरिका में बिजनेस करने पर एक विशेष टैरिफ लगाने जा रहा है। ऐसा उसने मैक्सिको और कनाडा पर लागू भी कर दिया। जल्द ही यह टैरिफ भारत पर भी लागू कर ​सकता है। अगर ट्रंप ने यह भारत पर टैरिफ लगा दिया तो देश के हालात और भी ज्यादा खस्ता हो जायेंगे। आर्थिक सलाहकारों की मानें तो हर साल भारत की अर्थ व्यवस्था पर लगभग डेढ़ से 2 प्रतिशत का बोझ बढ़ सकता है। राशि 6 साढ़े छह लाख करोड़ होगी। इससे भारतीय अर्थव्यवस्था को रसातल में पहुंचा सकती है।वैसे भी भारत में रोजगार और व्यापार गर्त में डूबते दिख रहे हैं। इस विशेष टैरिफ लगने से भारत के बिजनेस पर भारी आघात लगने की आशंका है। भारत से अमेरिका में सीमेंट, केमिकल, स्टील, फार्मा अचार और जैम का निर्यात अमेरिका में करता हैं। अगर भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ ट्रंप लगाते हैं तो भारत की कंपनियों को भारी झटका लगने की आशंका है। ऐसा ​करने के मूड में पूरी तरह से ट्रंप दिख रहे हैं। ट्रंप इस बार पूरी तरह से बिजनेस मैन की तरह से दिखायी दे रहे हैं। दुनिया के बड़े बड़े उद्योगपतियों का जमावड़ा उनके आसपास दिख रहा है। खाासतौर से एलन मस्क ट्रंप के आसपास ज्यादा मंडराते दिख रहे हैं। चुनाव के वक्त मस्क ने ट्रंप का रह कदम पर साथ दिया था। प्रेसिडेंट बनने के बाद ट्रंप ने भी मस्क को अपने साथ रखा है। इसके अलावा ट्रंप के आसपास दुनिया भर के उद्योगपति ट्रंप के साथ खड़े दिख रहे हैं उनमें एक नाम मुकेश अंबानी भी हैं जिन्हें ट्रंप ने अपने सामारोह में बुलाया था।
ट्रंप मोदी की यारी को क्यों लगी नजर
ट्रंंप मोदी का दोस्ताना दुनिया में नाम कमा चुका है। मोदी ने ट्रंप के चुनाव के दौरान आउट आफ वे जा कर प्रचार किया था। ट्रंप भी मोदी को अपना जिगरी दोस्त कहते थे। पीएम मोदी ने भारत में ट्रंप के फेवर में जीत की पैरवी की थी। गुजरात में नमस्ते ट्रंप का आयोजन किया था। इतना ही नहीं भारत में ट्रंप की जीत के लिये यज्ञ व हवन तक कराये गये। लेकिन पीएम मोदी के बर्ताव में बदलाव तब देखे गये जब ट्रंप की सत्ता के बाहर हो गये। तब मोदी को लगा कि पावरलैस ट्रंप अब उनके किसी काम के नहीं रह गये। इसलिये उन्होंने ट्रंप से दूरियां बनानी शुरू कर दी। 2024 में यूएसए में राष्ट्रपति के चुनाव चल रहे थे। पीएम मोदी पिछले साल यूएस में जो बाइडेन से मिलने गये थे। जो बाइडेन की जगह वाइस प्रेसिडेंट कमला हैरिस राष्ट्रपति पद के लिये चुनाव लड़ रही थी। इस तरह ट्रंप के मुकाबले कमला हैरिस थीं। विदेश मंत्री और एनएसए चीफ अजित डोबाल ने उम्मीद लगायी थी कि हैरिस ही अगली प्रेसिडेंट होने जा रही है। लेकिन उनकी उम्मीद को झटका तब लगा जब ट्रंप दूसरी बार प्रेसिडेंट बन कर आ गये।
सलाहकारो ने मोदी को फंसा दिया
मोदी को उनके मंत्री एस जयशंकर सलाकारों ने यह सलाह दी कि चुनाव में कमला हैरिस जीतती दिख रही हैं। ऐसे में ट्रंप से मिलना ठीक नहीं होगा। यूएसए के हालात को समझने में वित्री अमरीका के अंदरूनी हालात को परखने में पूरी तरह नाकाम रहा। देश मंत्री एस जयशंकर और एनएसए अजित डोभाल पूरी तरह से विफल रहे। इंडिया का खुफिया तं उन्हें इस बात से समझ आ गया कि जब कमला राष्ट्रपति के बनने के बाद फायदे तो राष्ट्रपति से ही होने वाला हैं। इधर ट्रंप को अपनेजिगरी दोस्त पर भरोसा था कि वो उनके चुनाव को जिताने में हर हाल में साथ देगा। लेकिन मोदी ने अपने दोस्त को दगा दे दिया। यूएसए में रहने के बाद भी वो ट्रंप से मिलने को तैयार नहीं हुए। तब ट्रंप को मोदी की इस सोच की जानकारी नहीं थी। लेकिन अब वो दोबारा राष्ट्रपति बन चुके हैं तो इस बात का खुलासा हुआ और ट्रंप को बदला लेने का मौका मिल गया है। और अब वो पीएम मोदी और भारत से गिन गिन कर बदला ले रहे हैं।

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