ईस्ट दिल्ली के लोकसभा चुनाव में मुकाबला इकतरफा दिख रहा है। आम आदमी पार्टी ने आतिशी को अपना प्रत्याशी बनाया है। आतिशी पिछले एक साल से पूर्वी दिल्ली के इलाकों में संपर्क कर रही थी। लोगों के बीच उन्होंने अपनी अच्छी छवि बना ली है। इससे पहले वो दिल्ली की शिक्षा व्यवस्था को सुधारने का महत्वपूर्ण रोल अदा कर रही थी। आज दिल्ली में सरकारी स्कूलों की कायापलट हो चुकी है। दूसरी ओर दिल्ली मंे 67 जगहों पर आम आदमी पार्टी के विधायक हैं। इसका प्रभाव भी लोकसभा चुनाव में देखने को मिलेगा। यह बात सभी मानते हैं कि केन्द्र सरकार के साथ तालमेल न होने के बाद भी आम आदमी पार्टी की सरकार ने दिल्ली के उस तबके लिये काफी कुछ करने का प्रयास किया है। वही लोग आम आदमी पार्टी का वोट बैंक हैं। एक समय था जब यही लोग कांग्रेस का वोट बैंक था लेकिन आज वो खिसक कर आम आदमी पार्टी के पास चला गया है।
कांग्रेस ने यहां ंसे पूर्व मंत्री अरविंदर सिंह लवली को टिकट दिया है। लेकिन कांग्रेस का स्कोप यहां काफी कम हो गया है। पार्टी के पास कार्यकर्ता भी नहीं हैं जो क्षेत्र में जाकर लोगों के बीच कांग्रेस के लिये प्रचार कर सकें। लेकिन क्षेत्र में पूर्व मंत्री डा. नरेंद्र नाथ अक्सर लोगों के बीच जा कर अपनी पार्टी के प्रतिनिधित्व करते हैं। इस वजह से थोड़ा बहुत लोग कांग्रेस के बारे में बात करते हैं।
लेकिन सबसे ज्यादा पतली हालत तो बीजेपी की है जिसने यहां के सांसद महेश गिरी का टिकट काट कर क्रिकेटर गौतम गंभीर को मैदान में उतारा है। वर्तमान सांसद ने क्षेत्र में कोई विशेष कार्य नहीं किया इससे लोगों में काफी नाराजगी है। इसलिये उनका टिकट काट दिया गया है। लेकिन ऐसे आदमी को टिकट दिया गया है जो राजनीति के अखाड़े में बिल्कुल नौसिखिया है। जिसे अभी पाॅलिटिक्स की ए बी सी भी नहीं मालूम है। यह बात सही है कि गौतम गंभीर ने क्रिकेट के फील्ड में अच्छा प्रदर्शन किया है लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि उसे लोकसभा कंे चुनाव में उतार दिया जाये। राजनीतिक दलों को ऐसा लग रहा है कि कोई भी लोकप्रिय व्यक्ति चुनाव जीत सकता है तो यह उनकी भूल होगी।