आम चुनाव के विपरीत परिणाम आने पर पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी पार्टी के अध्यक्ष से पद से इस्तीफा दे दिया था। पार्टी के लगभग सभी दिग्गजों ने उन्हें समझाने का प्रयास किया कि वो पद से इस्तीफा नहीं दें। सोनिया गांधी और प्रियंका ने भी राहुल के समझाने का बहुत प्रयास किया। लेकिन राहुल ने यह कहते हुए पद को आगे संभालने से इनकार कर दिया कि उनके नेतृत्व में आम चुनाव लड़ा गया जिसमे उनकी पार्टी का प्रदर्शन बहुत ही निराशाजनक रहा। इस नाते वो अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके हैं। किसी अन्य योग्य और समझदार नेता को अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी सौंपी जाये मैं एक कार्यकर्ता के रूप में पार्टी में कार्य करूंगा। राहुल गांधी के इस्तीफा देने के कुछ समय बाद ही कर्नाटक का नाटक शुरू हो गया। अभी कर्नाटक का मसला सुलझा नहीं था कि गोआ में पार्टी के दस विधायकों ने पार्टी से किनारा करते हुए बीजेपी ज्वाइन कर ली और गोवा सरकार को समर्थन दे दिया।
अब पार्टी के सामने समस्या यह आ रही है कि गांधी परिवार से अगर अध्यक्ष नहीं तो पार्टी की कमान किसे सौंपी जाये । पार्टी के दो तीन नेताओं के नामों पर चर्चा भी हुई लेकिन अध्यक्ष के नाम पर मुहर नही लग सकी है। हाल ही में वरिष्ठ कांग्रेसी नेता और पूर्व मंत्री नटवर सिंह ने तो यह तक कह डाला कि गैर गांधी परिवार का अध्यक्ष बना तो 24 घंटों के भीतर कांग्रेस बिखर जायेगी। वर्तमान हालात में तो प्रियंका से अच्छा कोई विकल्प सामने नहीं है। भाजपा छोड़ कांग्रेस में आये बिहारी बाबू ने भी इशारा किया कि राहुल का विकल्प प्रियंका ही हो सकती हैं।
तीन चार नाम जिन चर्चा हुई उनमें मोतीलाल बोरा, पूर्व केन्द्रीय मंत्री शिंदे, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, महाराष्ट्र के पूर्व सीएम अशोक सिंह चव्हाण आदि के नाम थे। लेकिन सूत्रों की माने तो राहुल किसी युवा को कमान सौंपने के पक्ष में है। युवा चेहरे के नाम राजस्थान के सचिन पायलेट और मध्यप्रदेश के ज्योतिरादित्य के नाम भी चर्चा में आये। लेकिन सहमति अभी तक नहीं बन पायी है। राजस्थान और मध्यप्रदेश में पाइलेट और सिंधिया को अध्यक्ष बनाने के समर्थन में प्रदेश कांग्रेस कार्यालय पर पोस्टर तक चस्पा कर दिये थे। ये बात और है कि बाद में सभी पोस्टर हटवा दिये गये।