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New Loksabha election is going very interesting due to triangles contest

विनय गोयल
नयी दिल्ली। नयी दिल्ली लोकसभा सीट पर कड़ा मुकाबला होने के आसार है। 2014 में यहां से बीजेपी की मीनाक्षी लेखी ने बाजी मारी थी। लेकिन इस बार यहां का मुकाबला काफी दिलचस्प होने जा रहा हैं। बीजेपी ने अपने पुराने उम्मीदवार पर ही दांव लगाया है। लुटियंस जोन होने की वजह से यह सीट काफी हाई प्रोफाइल है। यहां से बीजेपी की प्रत्याशी मीनाक्षी लेखी एमपी होने के साथ एक एडवोकेट भी है। श्रीमती लेखी अपनी किस्मत एक बार यहां आजमा रही है। वैसे यहां के लोगों का कहना है कि वो एक वीआईपी एमपी हैं। उनका दौरा भी हवा हवाई होता है। वीआईपी इलाका होने की वजह से विशेष कुछ इनकी जरूरत नहीं पड़ती है। यहां रहने वाले लोग अपने स्तर से ही करा लेते हैं। मीनाक्षी के लिये यहां करने के लिये कुछ विशेष नहीं है। वैसे भी उनकी रुचि क्षेत्रीय परेशानियों को कम करने बल्कि अपना प्रचार प्रसार करने ज्यादा रहती है। पिछला चुनाव उन्होंने मोदी मैजिक के चलते जीता। इस बार वो भी मोदी सरकार और पीएम के भरोसे ही चल रही हैं। लेकिन इस बार लगता है कि मोदी मैजिक इस बार काम नहीं करेगा। यहां के लोग पढ़े लिखे और पॉलिसियां के बारे में जानकार होते हैं। इसलिये उन्हें झांसा देना इतना आसान नहीं है। मोदी सरकार की बहुत नीतियां लोगों को पसंद नहीं आयी हैं, जिसके चलते मीनाक्षी लेखी की वापसी मुश्किल लग रही हैं।

इस बार कांग्र्रेस ने पूर्व दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष और पूर्व केन्द्रीय मंत्री अजय माकन को उम्मीदवार बनाया है। इसलिये यहां का मुकाबला काफी कड़ा होता दिख रहा है। दिल्ली की राजनीति में अजय माकन एक बड़ा नाम है जो कांग्रेस की साख के लिये मीनाक्षी को कड़ी टक्कर दे सकते हैं। वैसे भी हाल में कांग्रेस ने राजस्थान, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में जीत हासिल कर यह एहसास दिलाया है कि उसमें अभी बहुत जान है। इधर कांग्रेस ने 2014 में मिली लगातार हारों का बदला लेना शुरू कर दिया। मोदी सरकार बनने के बाद कांग्रेस ने हरियाणा, झारखंड, महाराष्ट्र, मणिपरए असोम और हिमाचल प्रदेश में बुरा प्रदर्शन किया जिसकी वजह से बीजेपी का यह नारा सार्थक होता दिखा कि देश अब कांग्रेस से मुक्ति पाने जा रही है।

लेकिन कांग्रेस ने 2018 में पंजाब जीता इससे उनकी साख में थोड़ा सुधार आया। इसके बाद उन्होनें कर्नाटक में अपनी सरकार बचाते हुए फिर सरकार बनायी। भले ही इसके लिये उन्हें जेडीएस से हाथ मिलाने पड़े। कनार्टक में जेडीएस के कुमारा स्वामी सीएम हें। कनार्ट में आये दिन कांग्रेस और जेडीएस के बीच तकरार होती रहती है। लेकिन इस गठबंधन के होने से बीजेपी एक बार सत्ता पाने में असफल रही। लेकिन भाजपा नेता बीएस येद्दुरप्पा ने अतिविश्वास के चलते सीएम बनने का पूरा प्रयास किया। उन्हें राज्यपाल ने पहले बुला कर सरकार बनाने का मौका दिया। बीएस ने सरकार बनायी और सीएम पद की शपथ भी ली लेकिन सरकार के समर्थन जादुई फिगर नहीं होने की वजह से उन्होंने फ्लोर टेस्ट देना उचित नही ंसमझा और इस्तीफा दे दिया।

आम आदमी पार्टी ने यहां बृजेश गोयल को मैदान में उतारा है। प्रत्याशी होने के बाद से ही वो इलाके में काफी सक्रिय हैं। रोज इलाके में जनसंपर्क कर रहे हैं। गोयल को दिल्ली सरकार की उपलब्धियांं का ही सहारा है। वैसे दिल्ली सरकार ने समुदाय विशेष के लिये काफी कुछ करने का प्रयास किया है। लेकिन इस इलाके मे रहने वाले लोग इलीट क्लास के हैं उन पर केजरीवाल सरकार का कितना जादू चलता है। यह 23 मई को ही पता चल सकेगा।

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