नयी दिल्ली। युवा पाटीदार नेता हार्दिक पटेल ने इस बार कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा चुनाव लड़ने का ऐलान किया तो सत्ताधारी दल के होश उड़ गये। उन्होंने देश द्रोह के मुकदमे में फंसा कर ऐसा फंसाया कि वो गुजरात से नामांकन नहीं कर पाया। गुजरात हाईकोर्ट ने उसे चुनाव लड़ने की अनुमति नहीं दी तो उसने सुप्रीमकोर्ट में गुहार लगायी। लेकिन वहां भी हार्दिक की जल्द सुनवायी करने से मना कर दिया। ऐसे में हार्दिक पटेल को आम चुनाव लड़ने के लिये नामांकन नहीं करने दिया गया।
सबसे दिलचस्प बात यह है कि एक तरफ हार्दिक पटेल को देशद्रोह के आरोप में मुकदमा चलाया जा रहा वहीं दूसरी ओर मेडिकल ग्राउन्ड पर जमानत पर रिहा हुई साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को बीजेपी ने भोपाल से टिकट दे कर अपनी मंशा जाहिर कर दी है। मालेगांव विस्फोट में प्रज्ञा ठाकुर मुख्य अभियुक्त की आरोपी हैं। पिछले दस साल से जेल में सजा काट रही थी। मेडिकल ग्राउन्ड पर रिहा हुई साध्वी ने भाजपा से मुलाकात की और भाजपा ने उन्हे भोपाल से टिकट दे दिया। भोपाल से मध्यप्रदेश के पूर्व सीएम दिग्गी राजा को कांग्रेस ने टिकट दिया है। कांग्रेस ने बीजेपी पर हमला करते हुए कहा कि एक तरफ हार्दिक पटेल और जेएनयू छात्रनेता कन्हैया कुमार को देशद्रोही बताते नहीं थकते वहीं दूसरी और आतंकवादी गतिविधियों में लिप्त सजायाफ्ता को संवैधानिक पद पर लड़े के लिये टिकट दे रही है। इससे साफ जाहिर हो रहा है कि राजनीतक लाभ लेने के लिये बीजेपी किसी भी हद तक गिर सकती है। साध्वी प्रज्ञा ठाकुर को वोटों के पोलराइजशन के लिये इस्तेमाल करने की तैयारी हो रही है। जैसे ही कांग्रेस ने दिग्विजय को भोपाल से टिकट दिया उसी समय बीजेपी किसी ऐसे चेहरे की तलाश में जुट गयी जो कांग्रेस उम्मीदवार को कड़ी टक्कर दे सके। प्रज्ञा ठाकुर से बेहतर बीजेपी को कोई नहीं मिल सकता है। वहीं दूसरी ओर मालेगांव विस्फोट में मारे गये लोगों के परिजनों ने प्रज्ञा ठाकुर की उम्मीदवारी पर रोक लगाने के लिये कोर्ट में रिट भी दायर की है।