नयी दिल्ली। लोकसभा चुनाव के दौरान राजनीतिक गलियारे में नेता लोग अपने फायदे के लिये पाला बदल लेते हैं। कुछ लोग टिकट कटने से नाराज हो कर पार्टी बदल लेते हैं तो कुछ लोग पार्टी में वकत नहीं होने के कारण पार्टी छोउ़ देते हैं। ताजा मामला भाजपा के सांसद उदितराज का है जिनका टिकट पार्टी ने काट दिया। पहले तो उदितराज पार्टी के बड़े नेताओं से मिलने के लिये प्रयास करते रहे लेकिन किसी ने उनसे मिलने की जरूरत नहीं समझी। फिर बाद में राजनीतिक वजूद बचाने के लिये कांग्रेस का हाथ थाम लिया।
2014 में आम चुनाव से कुछ समय पहले उदितराज ने अपनी पार्टी का विलय भाजपा में कर दिया था। भाजपा ने उन्हें दिल्ली से टिकट दिया जिससे वो सांसद बन कर संसद भवन पहुंचने में सफल रहे। यह कहा जाये कि मोदी लहर के चलते ही उदितराज जनप्रतिनिधि बनने में सफल रहे। भाजपा में आने से पहले उदितराज इंडियन जस्टिस पार्टी के संस्थापक थे लेकिन आज तक कोई चुनाव जीत नहीं सके थे। अपनी इसी ख्वाहिश को पूरी करने के लिये उन्होंने भाजपा का दामन थामा था। लेकिन भाजपा 2019 में उनका टिकट काट दिया ओर उनकी जगह पंजाबी गायक हंसराज हंस को टिकट थमा दिया है। इससे नाराज उदितराज ने पहले तो अपने ट्विटर से चैकीदार शब्द हटाया और कांग्रेस में जुगाड़ लगा कर शामिल हो गये। कांग्रेस में शामिल के बाद उन्होंने भाजपा पर दलित विरोधी होने का आरोप लगाया है। उन्होंने यह भी कहा कि 2014 में वो पहले कांग्रेस में ही शामिल होना चाहते थे।