जेएनयू पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार को किस पार्टी से आम चुनाव में टिकट मिलेगा यह अब दिवास्वप्न होता जा रहा है। बीच में तो यह भी सुनाई दिया था कि सीपीएम की ओर से कन्हैया को बेगूसराय से टिकट दिया जायेगा। लेकिन बिहार की राजनीति में अब काफी बदलाव देखा जा रहा है। पहले महागठबंधन मंे बामदल भी शामिल होता दिख रहा था लेकिन जैसे जैसे आम चुनाव निकट आये सबके असली चेहरे सामने आ गये। बामदल अब महागठबंधन का हिस्सा नहीं है। राजद अपनी साख बनाने के लिये अधिक से अधिक सीट पर अपने प्रत्याशी उतारना चाहता है। वहीं कांग्रेस भी बिहार में अपनी ताकत बढ़ाने के लिये जुगत लगा रही है। कांग्रेस और राजद में भी ठीक से सीटों का बंटवार नहीं हुआ है। अभी सिर्फ तालमेल बैठाने की तैयारी हो रही है। ऐसे बेगूसराय से कन्हैया को समर्थन देने के लिये राजद और बामदल में एकराय नहीं हो पायी है।
2016 के पहले जेएनयू के स्टूडेंट यूनियन अध्यक्ष कन्हैया कुमार को शायद ही कोई जानता होगा। लेकिन 9 फरवरी की शाम जेएनयू कैंपस में अफजल गुरु की बरसी पर जो हुआ उससे पूरे देश में जो बवाल मचा उसे पूरे विश्व ने देखा। इससे कन्हैया कुमार रातों रात हीरो बन गया। हर टीवी चैनल पर कन्हैया कुमार छा गया। जहां देखो वहां कन्हैया कुमार के ही चर्चे। कन्हैया कुमार के जलवों का अंदाज यह था कि लोग उन्हंे मोदी की टक्कर का वक्ता समझने लगे थे। कन्हैया के भाषण इतने सुलझे और प्रभावी अंदाज मंे होते हैं कि सुनने को लोग बाध्य हो जाते हैं। उनका सबसे सकारात्मक पहलू यह है कि वो सामने वाले को बोलने का पूरा अवसर देते हैं और एक के बाद एक सवालांें का वो सटीक और तार्किक जवाब देते हैं। दिग्गज नेता और प्रवक्ता उनके आगे बौने दिखने लगते हैं। कन्हैया का सबसे बड़ा प्लस पाइंट यह है कि बिल्कुल ही सामान्य तरीके से अपनी बात रखते हैं। लेकिन पिछले पांच छह माह से वो बिल्कुज साइड लाइन में आ गये हैं। यदा कदा ही उनका राजनीति में जिक्र होता है। पहले वो देश के अनेक हिस्सों में होने वाले व्याख्यान मालाओं में शिरकत करने जाते थे। लेकिन आज कल वो चर्चाओं से बाहर हैं। बीच में यह भी सुनने में आया था कि वो प्रोफेसर बनने की फिराक में हैं।
कन्हैया कुमार को हीरो बनाने में बीजेपी और उनके समर्थक दलों ने कन्हैया कुमार की कई बार पिटायी की। एक बार बीजेपी समर्थक सो काल्ड देशभक्त वकीलों ने कोर्ट परिसर में ही पिटायी कर दी। ये सब होने से देश मे ही नहीं पूरे विश्व में कन्हैया स्टार बन गया। सब लोग उसके प्रति सहानुभूति रखने लगे। यहां तक की देश भर की राजनैतिक दलों के दिग्गज नेता यहां तक कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल और कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी भी कन्हैया के समर्थन मंे पहुंच गये। इतना ही नहीं बाम दलांे के बड़े नेता सीताराम येचुरी, डी राजा भी कन्हैया के समर्थन में खड़े दिखे। राजद के नेता तेजस्वी यादव जानते है कि कन्हैया कुमार अपनी आक्रामक भाषणों से उनके लिये भी समस्या खड़ी कर सकते हैं। वो भी अपना उममीदवार बेगूसराय से खड़ा करना चाहते हैं। इसी लिये वो बामदल से किया गया वादा खिलाफ कर रहे हैं। पहले यह तय था कि बेगूसराय सीट से कन्हैया कुमार बामदल के टिकट पर चुनाव लड़ेंगे कांग्रेस के भरोसेमंद नेता ने बताया कि कन्हैया को बेगूसराय से भूमिहारों का सारा वोट नहीं मिलेगा क्योंकि वहां से बीजेपी ने गिरिराज सिंह को मैदान में उतारा है। यह बात सही हे कि कन्हैया एक उम्दा और योग्य प्रत्याशी है। हमने राजद को यह समझाने का बहुत प्रयास किया है। यह बात काफी दिलचस्प है कि राजद सुप्रीमो लालू यादव ने छात्रनेता कन्हैया कुमार को 2016 में यह आश्वासन दिया था कि वो बेगूसराय से चुनाव लड़ने में पूरी मदद करेंगे। लेकिन जब से तेजस्वी ने पार्टी की कमान संभाली है तब से कन्हैया के मामले में ढीला रवैया अपनाया गया है। कुछ लोगों का तो यह भी कहना है कि कन्हैया कुमार आने वाले समय में लालू की राजनीति का उत्तराधिकारी बन सकता है।

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