नयी दिल्ली। कहते हैं कि देश के पीएम का रास्ता यूपी से होकर गुजरता है। इसलिये हर राजनीतिक दल यूपी में एड़ी चोटी का दम लगा रही हैं। सत्तादल बीजेपी और उनके अलायंस ने तो इस चुनाव को अपनी प्रतिष्ठा का सवाल बना लिया है। इसका मतलब यह नहीं है कि यहां विपक्ष ने भाजपा को वाॅक ओवर दे दिया है। यहां भाजपा के लिये सबसे बड़ा सिर दर्द अपने पूर्व साथियों से ही है। सपा, बसपा और रालोद तो पहले ही भाजपा के दुश्मन थे। उनकी सबसे बड़ी तो अपनी ही सरकार में मंत्री रहे ओमप्रकाश राजभर से है। उन्होंने भी अपनी पार्टी के उम्मीदवारों को भाजपा के खिलाफ उतार दिया है।
ओमप्रकाश राजभर ने यूपी में 29 जगहों पर उम्मीदवार खड़े किये हैं जाहिर सी बात है कि इन उम्मीदवारों के खडे होने से सबसे ज्यादा नुकसान भाजपा को ही होने जा रहा है। यूपी विधानसभा चुनाव में राजभर ने बीजेपी के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था उसका फायदा यह हुआ कि भाजपा को प्रचंड बहुमत मिला और योगी जी की सरकार में ओ पी राजभर को कैबिनेट मंत्री बनाया गया। लेकिन योगी सरकार में राजभर केवल नाम मात्र के मंत्री थे। उनकी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भाजपा कभी भी सम्मान से नहीं देखती थी। इस बात की शिकायत शुरू से राजभर को रही। वो हमेशा योगी और सरकार के अन्य मंत्रियों की सरे आम निंदा करते रहे। उन्होंने पिछले दो ढाइ साल में कई सीएम योगी और पीएम को चेताया था कि यदि प्रदेश भाजपा और योगी सरकार अपने रवैये में बदलाव नहीं लाई तो आम चुनाव में वो अपनी पार्टी को एनडीए से अलग कर लेंगे ऐसा उन्होंने कर भी दिखाया। उन्होंने अपनी रैलियों से यह दिखाया कि वो जीत नहीं सके तो भाजपा के केैंडिडेट के लिये परेशानियां जरूर पैदा कर देंगे।
बसपा, सपा और बसपा ने तो उपचुनावों में अपनी एकता का प्रदर्शन दिखा दिया है। अब यही एकता उन्हें आम चुनाव में दिखानी है। अगर ऐसा हुआ तो भाजपा के लिये बहुत ही संकट वाली बात होगी। पिछले आम चुनाव में सपा और बसपा अलग अलग चुनाव लड़ी थीं। जिसका फायदा भाजपा को हुआ था और प्रदेश की 73 सीटों पर भाजपा के प्रत्याशियों को सफलता मिली थी। पूरा विपक्ष बिखरा हुआ था। कांग्रेस को वैसे भी कोई वजूद यूपी में नहीं था। संगठन भी काफी कमजोर था।
लेकिन वर्तमान कांग्रेस में काफी परिवर्तन देखने का मिल रहा है। यह बदलावा प्रियंका गांधी वाड्रा को पार्टी महासचिव बनने के देखने का मिल रहा है। राहुल और प्रियंका एक साथ मोदी के हमलों का न केवल जवाब दे रहे हैं बल्कि जबरदस्त हमले भी कर रहे हैं। महासचिव होने के साथ राहुल ने प्रियंका को पूर्वांचल का इंचार्ज भी बनाया है। पूर्वांचल में 21 सीटें हैं जिनमे 19 पर बीजेपी का कब्जा है। प्रियंका गांधी यहां अपने तूफानी दौरों से लोगों में कांग्रेस के प्रति आस जगा दी है। कुल मिला कर यह सब बातें बीजेपी के लिये परेशानी का सबब होने जा रही हैं।
यूपी में हाल ही में मुलायम सिंह के छोटे भाई शिवपाल ने भी समाजवादी प्रगतिशील मोर्चा बनाया है। उनका भी यह कहना है कि वो भाजपा के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेंगें। इसके साथ ही उनका यह मानना है कि सपा के गठबंधन का भी विरोध करेंगे। लेकिन अंदर की बातें बता रही हैं कि शिवपाल बीेजेपी की बी टीम हैं जो सपा और कांग्रेस के वोट करटने के लिये बनायी गयी है। शिवपाल को योगी सरकार ने मायावती का विशाला आवास आवंटित कर इस बात की पुष्टि कर दी है। वहीं दबंग राजा भैया ने भी अपनी एक पार्टी बनायी है। पहले तो यह अंदाज लगाया कि भाजपा और राजा भैया के बीच सुलह हो जायेगी। लेकिन भाजपा नेतृत्व ने उन्हें कोई तवज्जो नही दी। अतः नाराज हो कर राजा भैया ने एक दर्जन उम्मीदवारों की लिस्ट जारी कर बीजेपी को चुनौती दी है कि अब उनकी जीत की राह में राजा भैया सबसे बडे रोड़े हैं।