kejriwal and rahul
Rahul Gandhi and Kejriwal are playing blame game for alliance in Delhi

विनय गोयल
नयी दिल्ली। दिल्ली में आम चुनाव प्रचार का सियासी पारा काफी चरम पर है। यहां मुकाबला त्रिकोणीय होता दिख रहा है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और बीजेपी प्रत्याशी जोर शोर चुनाव प्रचार में उतर गये हैं। रोड शो और रैलियां निकाली जा रही हैं। कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के बीच गठबंधन को लेकर काफी चचाएं गर्म रहीं। लेकिन अंत में सभी चर्चाओं को पूर्ण विराम लगाते हुए दोनों दलों ने अपने अपने प्रत्याशियों की घोषणा करते हुए नामांकन करवा दिया है। बीच में यह लगने लगा था कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी ओर कांग्रेस का गठबंधन हो ही जायेगा लेकिन ऐन वक्त पर कांग्रेस की ओर से साफ कर दिया गया कि पार्टी दिल्ली में सभी सातों सीटों पर लड़ेगी। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी ने भी सभी सातों सीटों पर चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया।
इस गठबंधन पर सहमति क्यों नहीं बनी दोनों ही दल एक दूसरे पर आरोप लगाते दिखे। लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने साफ कर दिया कि उनकी पार्टी दिल्ली मंे आम आदमी पार्टी के साथ मिल कर चुनाव लड़ना चाहती थी। लेकि न केजरीवाल ने अपनी कई शतें लगा दीं जिसकी वजह से यह गठबंधन नहीं हो सका। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पहले आप और कांग्रेस का गठबंधन की बात हो रही थी। जिसके लिये हम तैयार थे। यह तय हुआ कि आम आदमी पार्टी 4 और कांग्रेस 3 सीटों पर चुनाव लड़ेगी। लेकिन बाद में केजरीवाल ने हरियाणा और पंजाब में भी गठबंधन की शर्त रखी। पंजाब में हमारी सरकार है। वहां हमारी पार्टी ने वहां अकाली और बीजेपी को हरा कर सरकार बनायी है। वहां कांग्रेस के नेता आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन को तैयार नहीं थे। वहीं हरियाणा में भी पूर्व सीएम हुड्डा ने भी आम आदमी पार्टी से गठबंधन को लेकर अपनी असहमति जतायी थी। दिल्ली में भी पूर्व सीएम शीला दीक्षित और अजय माकन गठबंधन के खिलाफ थे। लेकिन इसके बाद भी हमारी पार्टी केजरीवाल के साथ मिलकर चुनाव लड़ने को तैयार थे।
वहीं आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह का कहना है कि दिल्ली में कांग्रेस के हालात किसी से छुपे नहीं है। दिल्ली में कांग्रेस का न तो सांसद है और न ही कोई विधायक इस पर इतनी अकड़ दिखाना कहां तक जायज है। पंजाब में हमारे 4 सांसद और 20 विधायक हैं नेता प्रतिपक्ष का पद हमारी पार्टी के नेता के पास है। इस पर कांग्रेस हमें पंजाब में एक भी सीट देने को तैयार नहीं है। इससे हमारा नुकसान नहीं लेकिन बीजेपी को फायदा पहुंचने वाला है। हरियाणा में भी पार्टी का संगठन कांग्रेस से बहुत बेहतर स्थिति में है। चुनाव परिणाम आने पर कांग्रेस को अपने फैसले पर अफसोस होगा।

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