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united Progressive Allience

इस साल की शुरूआत से ही देश की राजनीति में उबाल देखा जा रहा है। राजनीतिक दलों के अंदर हड़कंप मचा हुआ है। हर दल का असंतुष्ट नेता अंदर ही अंदर छटपटा रहा है। अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने के लिये किसी हद तक जाने के लिये बेताब हो रहा है। उसे पार्टी नहीं सत्ता चाहिये उसके लिये वह अपनी पार्टी बदलने तक को तैयार हो जाते हैं। आम चुनाव 2019 की तारीखों का ऐलान हो चुका है। अपने मंसूबों को पूरा करने वाले नेतागण दूसरे दलों में अपनी जगह टटोलने में लगे हुए है। कुछ टटोल चुक हैं और कुछ तैयारी में लगे हैं। दोनो महागठबंधन यूपीए और एनडीए भी घात लगा कर बहेलियों की तरह जाल बिछाये ताक लगा कर बैठे हैं। इस बार का मुकाबला काफी दिलचस्प व कांटे का होने वाला है।
मुकाबला यूपीए बनाम एनडीए होता दिखाई दे रहा है। दोनो ही गठबंधन एक दूसरे के नेताओं को तोड़ने में लगे हैं। लेकिन कुछ दल मिलकर तीसरा मोर्चा बनाने की फिरक में हैं। लेकिन अभी तक धरातल में कुछ भी नजर नहीं आ रहा है। कांग्रेस और भाजपा में दोनों ही ओर से नेताओं का आना जाना शुरू हा ेगया है। इसमें बीजेपी बाजी मारती दिख रही है। बीजेपी अघ्यक्ष अमित शाह छोटे और दूसरों दलो को अपने पाले में करने में जुटे हुए हैं। कुछ दलों को अपने खेमे में चुनाव ऐलान होने से पहले ही अपने पालेमें कर चुके हैं। इसमें सबसे बड़ा नाम शिवसेना का हे। अमित शाह ने शिवसेना सबसे पहले बोतल में उतारा और लोकसभा चुनाव के लिये एकसाथ रहने को तैयार किया। पहले शिवसेना ने तेवर दिखाये लेकिन बाद में वो मान गयी। शायद वो समझ गयी कि एनडीए से अलग होने में समझदारी नहीं हैं। इसलिये कमल को पकड़े रखा और सीटों के बंटवारे में सहमति बन गयी। इससे पहले शिवसेना सार्वजनिक रूप से कई बार यह बयान दे चुकी थी कि वो लोकसभा चुनाव अकेले ही लड़ेगी। इससे बीजेपी को परेशानी होने के आसार थे।
इसके बाद शाह ने दक्षिण भारत की ओर रुख किया और एआईएडीएमके के साथ गलबहियां डाल दी। तमिलनाडु में 39 सीटें में 37 पर अन्नाद्रमुक का कब्जा हैं। 19 फरवरी को भाजपा ने एआईएडीएमके और पीएमके के साथ अहम् गठबंधन कियां इस गठबंधन से विपक्षी खेमें में हड़कंप मच गया। लेकिन अगले दिन ही कांग्रेस ने डीएमके से हाथ मिला कर मामला बराबरी पा ला दिया। लेकिन भाजपा के खेमे में जाने वाले लोगों की संख्या दिन ब दिन बढ़ती ही जा रही है। विपक्षी दलों के नेता अपना भविष्य ज्यादा सुरक्षित देख रहे हैं। उन्हें लग रहा है कि आगामी चुनाव में एक बार फिर मोदी का करिश्मा होने वला है। लेकिन इसका मतलब यह बिल्कुल नहीं है कि भाजपा के अंदर सब कुछ सही हे। वहां भी कुछ लोग हैं जो अंदर ही अंदर सुलग रहे हैं जो मौका पाते ही अपना पाला बदल सकते हैं। कुछ ने तो पाला बदल ही लिया है और कुछ मौके की तलाश में हैं।
फिलहाल 14 मार्च को भाजपा ने कांग्रेस और टीएमसी में संेध लगाते हुए गहरा झटका दिया है। गुजरात के चार विधायकों ने हाथ छोड़ भाजपा का कमल थाम लिया। इतना ही नहीं केरल के बडंे पुराने़ कांग्रेस नेता टाॅम वडक्कन को तोड़ने भाजपा सफल रही। बीजेपी मुख्यालय में वडक्कन को केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने पार्टी की सदस्यता दिलवायी। इसी दिन टीएमसी विधायक अर्जुन सिंह भाजपा में चले गये। दूसरी ओर टीएमसी 12 मार्च को टीएमसी सांसद अनुपम हाजरा भाजपा में शामिल हुए। महाराष्ट्र में कांग्रेसी नेता के बेटे सुजय विखे भी भाजपा में शामिल हुए हैं। नौ मार्च को टीएमसी के सांसद सोमित्र खान ने भी बीजेपी की सदस्ता ली है। दिलचस्प यह है कि जिन विपक्षी नेताओं कोे भाजपा कोसती और गाली देती थी वही लोग भाजपा में शामिल होने के बाद माननीय और गंगाजल की तरह पवित्र हो जाते हैं।

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